वीरप्पन ने 108 दिन तक किडनैप कर रखा था इस “राजकुमार” को
कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के कलाकार राजकुमार, जिनके व्यक्तित्व कि यादें आज भी लोगों से जुड़ी हुई हैं उनके जीवन से लोगों को आज भी प्रेरणा मिलती है। युवा उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, उनके जैसी सफलता हासिल करने की चाहत रखते हैं। इस महान हस्ती की आज जन्मतिथि है। अपने जीवनकाल मे इन्होंने कन्नड़ फिल्मों को बहुत ऊचांइयों तक पहुंचाया था। कन्नड़ के इस अभिनेता की प्रसिद्धि पूरे देश में आज भी है। इस बात का सबूत है, गूगल का आज का डूडल। अपनी योग्यता की वजह से ही उन्हें पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ था, ऐसी ही न जाने कितनी ही सफलातों से जुड़ी बातें हैं इनके जीवन की। तो आइए जानते हैं, सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुत्तुराज राजकुमार की जिंदगी को करीब से-
कर्नाटक के गजनौर में 24 अप्रैल 1929 को जन्मे एक्टर राजकुमार को किसी परिचय की जरुरत नहीं है। उनकी छबि इस तरह की रही थी कि लोग आज भी उन्हें अपने दिल में बैठाए हुए हैं। उनके फैन्स बदलते दौर के साथ बदले नहीं हैं। अभिनय के साथ उनके गीतों को आज भी बहुत पसंद किया जाता है। यही वजह थी कि वे अपने दौर के श्रेष्ठ कलाकार बने। कन्नड़ में उन्हें “राज्य के गहने” के नाम से भी जाना जाता है। इनका पूरा नाम सिंगनल्लूर पुट्टस्वामैया मुत्तुराज राजकुमार है। कला के क्षेत्र में राजकुमार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। वर्ष 2000 में कुख्यात डाकू वीरप्पन ने उन्हें उनके गृहनगर गजनौर से किडनैप कर लिया था, 108 दिन बाद उन्हें वीरप्पन के चंगुल से छुड़ाया गया था। इस घटना के बाद उनकी बहादुरी के किस्से हर तरफ सुनाई देते थे।
ऐसी थी इनकी लाइफ
राजकुमार अपनी पाबंदी के लिए फेमस थे। साल के हर मौसम सुबह 4 बजे उठकर वे अपने दिन की शुरुआत करते थे। बेहतर संगीतकार होने के बावजूद वे रोजाना संगीत का अभ्यास किया करते थे। अपनी जिंदगी में योग को इन्होंने अहम स्थान दिया था, उनके योग और प्रणायम के रियल वीडियो कैप्चर कर कई फिल्मों में दिखाए गए हैं। वे सिनेमा के पहले अभिनेता थे जिन्होंने योग में महारत हासिल की थी। अपने गृहनगर गजनौर से उन्हें बेहद लगाव था, यही वजह रही कि समय मिलते ही गृहनगर पहुंच जाते थे। अभिनेता राजकुमार अपने ड्रेसअप के लिए भी फेमस थे, उनका ड्रेस कोड सफेद धोती और शर्ट आज भी कन्नड़ फिल्मों में पसंद किया जाता है। 2006 में इनके निधन के बाद इनके फैन्स में लम्बे समय तक उदासी का माहौल रहा।
फिल्मी करियर
200 फिल्मों में काम कर चुके राजकुमार ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। उनके दौर में फिल्म निर्माता राजकुमार की ही डिमांड किया करते थे। हिन्दी फिल्म अभिनेत्री रेखा ने अपनी पहली फिल्म राजकुमार के साथ ही की थी। भारतीय फिल्मों में पहले जेम्स बांड का किरदार निभाने वाले राजकुमार ही थे।
उपलब्धियां
वैसे तो राजकुमार की जिंदगी पुरस्कार और सम्मान से भरी हुई थी, पर कुछ खास सम्मान है, जिनकी वजह से उनकी अलग छबि बनी हुई है। मैसूर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट, पद्म भूषण, कर्नाटक राज्य सर्वोच्च नागरिक सम्मान और कर्नाटक “राज्य के गहने” के रुप में इनकी पहचान है। 1985 में उन्हें केंटकी कर्नल पुरस्कार दिया गया, इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले वे अब तक एकमात्र भारतीय अभिनेता हैं। कन्नड़ फिल्म में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड दिया गया था।
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