Saturday, September 2nd, 2017 14:57:41
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मौत के चंद घंटों पहले की थी हिटलर ने शादी




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हिटलर को हम आमतौर पर एक तानाशाह के नाम से जानते हैं। दुनिया मानती है कि सेकंड वर्ल्ड वार में उसी का हाथ था अब जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता लेकिन हिटलर की कहानी बड़ी दिलचस्प है। एक सामान्य से बच्चा आखिर हिटलर कैसे बन गया। कैसे उसने पूरी दुनिया को लोहे के चने चबवा दिए।

हिटलर कोई बचपन से तो तानाशाह नहीं था। वक्त और हालात ऐसे रहे कि वो एक तानाशाह शासक बनकर उभरा। 20 अप्रैल 1889 को पैदा हुए एडोल्फ हिटलर बचपन से ही कला के क्षेत्र में जाना चाहता था लेकिन पिता चाहते थे कि मेरा बेटा टेक्नीकल की पढ़ाई करे इसलिए हिटलर को टेक्नीकल स्कूल में भेज दिया। वहां हिटलर अच्छा परफॉरमेंस नहीं दे पाया उसकी पढ़ाई भी ठीक नहीं चल रही थी।

पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण हिटलर का स्वभाव काफी हिंसक भी हो गया था। स्कूल में पढ़ने वालों के साथ लड़ाई झगड़ा करना ये हिटलर के स्वभाव में आ गया था। लेकिन हिटलर की ये समस्या कुछ ही दिन रही साल 1909 में हिटलर के पिता की अचानक मृत्यु हो गई और उसके बाद माताजी से उन्हें फाइन आर्ट में पड़ने की इजाजत मिल गई।

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हिटलर ने फाइन आर्ट के स्कूल में एडमिशन लिया और यही से हिटलर की प्रगति होना शुरू हो गई। लेकिन हिटलर की ये खुशी भी ज़्यादा दिन की मेहमान न थी। हिटलर की मां उन दिनों कैंसर की पैंशेंट हुआ करती थी। हिटलर की ज़िन्दगी में कुछ ही दिन खुशिया और फिर उनकी मां का भी निधन हो गया। मां की मौत पर हिटलर खूब रोए। मां की मौत के बाद वो काफी अकेले हो गए थे।

17 साल की उम्र में हिटलर वियना चले गए। वहां वो पोस्टकार्ड पर चित्र बनाकर अपना निर्वहन किया करते थे। यहीं वो समय था जब हिटलर साम्यवादियों और यहूदियों से नफरत करने लगा था। हिटलर को काम करते हुए सेना में भर्ती होने का मौका मिला। हिटलर पहले विश्व युद्ध के समय सेना में भर्ती हुआ था।

फ्रांस में कई लड़ाईयों में उसने भाग लिया था। 1918 ईस्वी में घायल होने के कारण वो अस्पताल में रहा। हिटलर को जर्मनी की हार का काफी दुख हुआ। 1918 में ही उसने नाजी दल की स्थापना की और साम्यवादियों और यहूदियों से अधिकार छीनने में जुट गए। नाजी दल में ऐसे सदस्यों को लिया जाता था जिनमें देश-प्रेम कूट-कूट कर भरा होता था।

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हिटलर को दूसरे विश्वयुद्ध के लिए दोषी माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध क समय नाजी सेना ने पौलेंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पौलेंड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनों ने नाजी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। सेकंड वर्ल्ड वार को दुनिया का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है और इसलिए एडोल्फ हिटलर को सबसे घृणित व्यक्ति भी कहा जाता है।

साल 1933 में हिटलर जर्मनी के चांसलर बने थे। चांसलर बनते ही उन्होंने जर्मन संसद को भंग कर दिया, साम्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया और राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा। हिटलर ने जोज़ेफ गोयबल्स को अपना प्रचारमंत्री नियुक्त किया। नाजी दल के विरोधी व्यक्तियों को जेलखाने में डाल दिया।

इसके बाद हिटलर ने वहां की कार्यकारिणी और कानून बनाने की सारी शक्तियां अपने हाथों में ले ली। 1934 में उसने अपने को सर्वोच्च न्यायधीष घोषित कर दिया। उसी वर्ष हिंडनबर्ग की मृत्यु के पश्चात वो राष्ट्रपति भी बन बैठा। नाजी दल का आतंक जनजीवन के प्रत्येक क्षेत्र में छा गया। 1933 से 1938 तक लाखें यहूदियों की हत्या कर दी गई।

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6 साल में 60 लाख लाशें
1933 में जर्मनी की सत्ता पर जब एडोल्फ हिटलर काबिज हुआ था तो उसने वहां एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। उसके साम्राज्य में यहूदियों को सब-ह्यूमन करार दिया गया और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना गया। यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया, यानी समूचे यहूदियों को जड़ से खत्म करने की सोची-समझी और योजनाबद्ध कोशिश।

होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। कई देशों के साथ हुई संधि नवयुवकों में राष्ट्रपति के आदेशों का पूर्ण रूप से पालन करने की भावना भर दी गई और जर्मन जाति का भाग्य सुधारने के लिए सारी शक्ति हिटलर ने अपने हाथ में ले ली।

हिटलर ने 1933 में राष्ट्रसंघ को छोड़ दिया और भावी युद्ध को ध्यान में रखकर जर्मनी की सैन्य शक्ति बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। प्रायः सारी जर्मन जाति को सैनिक प्रशिक्षण दिया गया। 1934 में जर्मनी और पोलैंड के बीच एक-दूसरे पर आक्रमण न करने की संधि हुई। उसी वर्ष आस्ट्रिया के नाजी दल ने वहां के चांसलर डॉलफस का वध कर दिया। जर्मनीं की इस आक्रामक नीति से डरकर रूस, फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया, इटली आदि देशों ने अपनी सुरक्षा के लिए पारस्परिक संधियाँ कीं।

Hitler at Dortmund Rally

मौत के साए में थी हिटलर की ज़िन्दगी
हिटलर जितना बड़ा तानाशाह था लेकिन उसकी ज़िन्दगी हर दम मौत के साए में रहती थी। उसे हर दम ये डर सताता था कि कहीं कोई उसे मार न डाले। यहां तक कि खाना खाने से पहले भी वो उसे अपने नौकरों से चेक करवाता था। नौकरों को भी अपनी मर्जी के बिना खाने को चेक करके देना होता था। हिटलर को उसके निजी जासूसों ने बताया था कि उसके दुश्मन उसे खाने में जहर डालकर मारने की योजना बना रहे हैं इसी बात से हिटलर ने खाना चेक करवाने का निर्णय लिया था।

मौत से कुछ घंटो पहले की थी शादी
मौत से चंद घंटों पहले प्रेमिका ईवा ब्राउन से की थी शादी हिटलर का जिस समय अंत हुआ, उससे कुछ ही घंटे पहले उसने अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन से शादी रचाई थी। हिटलर और ब्राउन की 30 अप्रैल 1945 को बर्लिन में मौत हो गई थी। माना जाता है कि अपनी संभावित हार से हताश होकर उसने खुद को गोली मार ली थी जबकि ब्राउन ने जहर खा लिया था। ’हिटलर्स लास्ट डे : मिनट बाई मिनट’ किताब की अगर जिक्र करें तो 29 अप्रैल 1945 रात 12ः10 बजे बंकर के क्रांफ्रेंस रूम में हिटलर ने अपनी एक महिला सचिव को ’राजनीतिक वसीयतनामा’ लिखवाया। हिटलर ने जब ब्राउन से अपनी शादी की बात कही तो सचिव सन्न रह गई। हिटलर कहता रहा था कि वह कभी शादी नहीं करेगा।

उसने लिखवाया, मैं और मेरी पत्नी ने समर्पण और मारे जाने की शर्म की बजाय मौत चुनी है। यह हमारी इच्छा है कि हमारे शवों को तुरंत जला दिया जाएगा। इसके कुछ देर बाद हिटलर ने अपने साथियों को लंबा भाषण पिलाया और धोखे, नाकामी और भ्रष्टाचार को लेकर फटकार लगाई। देर रात शादी की रस्में पूरी हुईं। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने चाय पार्टी दी। लेकिन हिटलर का दिमाग युद्ध की लगातार बिगड़ती स्थिति में उलझा था। पांच बजे भोर में वह और ब्राउन अपने अपने कमरे में चले गए। बाहर रूस की भयानक बमबारी जारी थी। रूसी सेना हिटलर के बंकर से कुछ सौ कदमों की दूरी तक पहुंच चुकी थी।

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