ऐसी होंगी अब कमर्शियल बिल्डिंग्स, बचेगी सालाना 35000 करोड़ रू. की बिजली
केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता को पूरा करने के प्रयासों के तहत कमर्शियल भवनों में ऊर्जा की महाबचत करने वाले उन्नत डिजाईन सम्बन्धी ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC) संहिता 2017 को आज यहां लांच किया।
ECBC से होगी 35000 करोड़ रू. की बचत
ECBC को बिजली मंत्रालय और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की ओर से तैयार इस डिजाईन के अनुरूप भवन का निर्माण करने से 2030 तक ऊर्जा की खपत में 50% तक की कमी आने का अनुमान है, जिससे प्रतिवर्ष करीब 300 अरब यूनिट बिजली बचत होगी, 35000 करोड़ रू. की बचत होगी। इसके साथ ही पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली 25 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन भी घटेगा।
जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने की भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता
गोयल ने देशवासियों से बिजली की बर्बादी रोकने का आह्वान करते हुए कहा कि बिजली के उत्पादन से कहीं ज्यादा अहम बिजली की बचत है। गोयल ने ECBC को अग्रगामी और प्रगतिशील बताते हुए कहा कि यह जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने की भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाता है ताकि पृथ्वी को भावी पीढीे के लिए बेहतर ग्रह बनाया जा सके।
यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में बिजली की अथाह बर्बादी
उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में बिजली की अथाह बर्बादी हो रही है और वे जलवायु परिवर्तन के खतरों को लेकर बड़ी-बड़ी बाते कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार 2030 तक भवन निर्माण सेक्टर में एक अरब वर्गमीटर का विस्तार होने का अनुमान है। कमर्शियल भवनों में कुल ऊर्जा खपत का करीब 10% इस्तेमाल होता है। नई डिजाइन में प्राकृतिक रोशनी, हवादार भवनों अौर ऊर्जा की कम खपत वाली प्रणालियों एवं उपकरणों पर खास ध्यान दिया गया है।
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