राममंदिर का जिक्र पहली बार नहीं
लखनऊ। बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि का मुद्दा संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लिए शुरू से ही राजनीतिक मुद्दा रहा है। जहां तक बात बीजेपी की है तो राजनीतिक रूप से उसे यहां तक पहुंचाने में इस मुद्दे का ख़ासा योगदान रहा है, इसे कोई नकार भी नहीं सकता। जब-जब चुनाव आता है, भाजपा को राममंदिर की याद आती है।
राम मंदिर आंदोलन का चेहरा रहे लाल कृष्ण आडवाणी जब 2009 आम चुनाव में पीएम उम्मीदवार बने थे तो यूपी में बीजेपी को महज 10 सीटें नसीब हो पाई थीं। 2012 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर पहली बार समाजवादी पार्टी ने कब्जा किया जबकि इस सीट पर 1991 से बीजेपी का ही उम्मीदवार जीतता आ रहा था। यह इस बात का संकेत था कि अगर बीजेपी केवल राम मंदिर का मसला उठाए तो यूपी क्या, अयोध्या में भी नहीं जीत सकती।
मौजूदा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने घोषणा पत्र में संवैधानिक तरीके से राममंदिर के निर्माण की बात की है। 2012 विधानसभा चुनाव के दौरान राममंदिर बनाने के रास्ते में सभी बाधाओं को दूर करने का वादा किया गया था। सिर्फ शब्दों का फेर है बात एक ही है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा को राम का ख्याल आया था।
ये रहा है इतिहास
यूं तो मामला वर्ष 1528 से चल रहा है लेकिन राम मंदिर मुद्दे के परिदृश्य में भाजपा वर्ष 1984 से आई। वर्ष 84 में कुछ लोगों ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की अगुवाई में जन्म स्थल को ’मुक्त’ करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए समिति बनाई। फिर भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया था। इसके बाद कुछ वर्षों तक विहिप इस मामले में सक्रिय रही। वर्ष 92 में बाबरी मस्जिद को भीड़ ने ध्वस्त कर दिया। इसके बाद वर्ष 98 में अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की केंद्र में सरकार बनी। हालांकि एक ऐसा वक्त भी आया जब भाजपा ने खुद को इस मुद्दे से पीछे खींचने की कोशिश की। वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान राम मंदिर के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में शामिल करने से मना कर दिया था।
अब पार्टी इस मुद्दे से पीछे हटती नहीं दिख रही है। भले ही राम मंदिर का जिक्र घोषणा पत्र के आखिर में हो लेकिन ये मुद्दा विकास और तमाम अन्य दावों पर भारी ही पड़ता है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान जारी किए गए घोषणा पत्र में भी राम मंदिर बनाए जाने की घोषणा की गई थी। घोषणा पत्र जारी करने के बाद राम मंदिर से जुड़े तमाम सवालों पर शाह ने यही कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर आगे बढ़ रही है। यह पूछे जाने पर कि बीते ढाई साल में सरकार ने क्या किया, शाह गोलमोल जवाब दे गये।
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