गुजरात में अभी हाल में हुए राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के हीरो साबित हुए हैं अहमद पटेल. जो बहुत ही अलग राजनैतिक परिस्थिति से गुज़र कर राज्यसभा के सदस्य बन गए हैं. गुजरात का राज्यसभा चुनाव और अहमद पटेल की जीत कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गया था. मन जा रहा था कि अगर अहमद पटेल हार गए तो सोनिया गांधी की हार मानी जाएगी और ऐसा इसलिए क्योंकि अहमद पटेल 2001 से सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव रहे हैं और सोनिया गांधी के राजनैतिक फ़ैसलों में उनका बड़ा योगदान रहता है.
अहमद पटेल का कल जन्मदिन दिन है और वो 21 अगस्त को अपने जन्मदिन पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलेंगे. पटेल के साथ, उनको राज्यसभा में जीत की मंज़िल तक पहुंचाने वाले सभी 43विधायक भी सोनिया गांधी से मिलेंगे. अहमद पटेल अपना जन्मदिन उन सभी विधायकों के साथ मनाएंगे जिनकी वजह से वो विजयी रहे.
अहमद पटेल की जीत की राह आसान नहीं थी. बीजेपी पूरी तरह प्रयास में थी की कांग्रेस राज्यसभा तक ना पहुँच सके. चुनाव के दौरान कई आरोप प्रत्यारोप का दौर चला और कांग्रेस भी इस चुनाव में अपनी साख बचाने के लिए बहुत सक्रिय रही. कांग्रेस ने अपने पक्ष के विधायकों को अहमदाबाद से बंगलौर शिफ्ट कर दिया था, और बीजेपी के नेता इस बात को लेकर परेशान थे कि कांग्रेस के विधायकों को कैसे पार्टी में शामिल किया जाए.
कांग्रेस और बीजेपी की सारी तिकड़म के बीच ये चुनाव संपन्न हुए और अहमद पटेल की जीत हुई. अहमद पटेल की जीत पर कांग्रेस में जितना ख़ुशी का दौर चला बीजेपी में उतना ही वैचारिक मंथन की कहा चूक हो गई. यहाँ तक कि बीजेपी की नेता स्मृति इरानी अपनी जीत का जश्न ना मना कर भाजपा प्रत्याशी बलवंत सिंह राजपूत की हार पर रों दी थीं.
कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो सभी को जब बेंगलुरु में रिसोर्ट में रखा गया था तब सबकी दिली ख्वाहिश थी कि वो तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिये जाएं. लेकिन हालात ही कुछ इस तरह के बने कि वो तिरुपति जा नहीं पाए. इस वजह से अब वो तिरुपति बालाजी का दर्शन कर अहमद पटेल कि जीत के लिए उनका शुक्रिया अदा भी करेंगे.
साफ है कि अहमद पटेल की जीत ने कांग्रेस में नयी चेतना ला दी है. तिरुपति से लौट कर सभी नेता और विधायक चुनावी तैयारियों में जुट जाएंगे क्योंकि गुजरात में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.