Sunday, August 27th, 2017
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संभव नहीं चार हफ्तों में दोबारा एआईपीएमटी एग्जाम : सीबीएसई




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CBSE 10th class examination begin in New Delhi

नई दिल्ली। ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) -2015 की एग्जाम पूरे देश में 3 मई को कंडक्ट की गई थी। एग्जाम का पेपर लीक होने और साथ ही बड़े स्तर पर हुए अनियमितताओं के वजह से कुछ स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एआईपीएमटी एग्जाम को रद्द करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जून को इस एग्जाम को रद्द करने का फैसला लिया था और साथ ही सीबीएसई को चार हफ्तों के भीतर दोबारा एग्जाम लेने का फैसला सुनाया था। इसी फैसले पर सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे बुधवार को कोर्ट ने सुनने के लिए मान लिया। सीबीएसई ने कहा कि चार हफ्तों में दोबारा एआईपीएमटी करवाना संभव नहीं है। जस्टिस आरके अग्रवाल और एएम सप्रे की बेंच ने सीबीएसई की ओर से पेश हुए सलिसिटर जनरल रंजीत कुमार की दलीलों को सुनकर याचिका स्वीकार कर ली है।

अवधि है कम, तीन और माह की जरूरत

रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीएसई इस समय अवधि में फिर से एग्जाम कराने में वह असमर्थ है और कोर्ट से एग्जाम की नई तारीख के साथ ही और समय की मांग की है। उन्होंने बेंच को बताया कि अन्य 7 एग्जाम्स पहले से ही शेड्यूल हैं, जिसके चलते अगले चार हफ्तों में एआईपीएमटी-2015 फिर से कराना नामुमकिन है। सीबीएसई ने अपनी याचिका में एंट्रेंस एग्जाम कराने के लिए तीन और महीने का समय मांगा है।

इसलिए लिया था यह फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये एग्जाम संदेह के घेरे में आ गई है। एग्जाम आयोजित कराने वाले सभी इंस्टिट्यूशन्स के लिए जरूरी है कि वो इस मामले में सुरक्षित प्रणाली अपनाकर पब्लिक और स्टूडेंट्स में भरोसा पैदा करें। यह एग्जाम भविष्य में बनने वाले डॉक्टर्स से जुड़ी है, जो पब्लिक की हेल्थ का ध्यान रखेंगे, इस मामले में उनकी योग्यता के साथ समझौता नहीं हो सकता।

होगी परेशानी एग्जाम कंडक्टर्स को
कोर्ट ने कहा था, हम जानते हैं कि इस फैसले से एग्जाम कराने वालों को परेशानी होगी और कुछ समय भी लगेगा, लेकिन एग्जाम की मान्यता, विश्वसनीयता और सही स्टूडेंट्स के लिए ये कीमत कुछ भी नहीं है। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट को बताया कि पेपर लीक से 22 स्टूडेंट्स को लाभ पहुंचा था और इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। इसके बाद कोर्ट ने एग्जाम को रद्द करने का फैसला किया।

दरअसल, 3722 सीटों के लिए बीते 3 मई को 6.3 लाख स्टूडेंट्स एग्जाम में बैठे थे। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हरियाणा के रोहतक में पुलिस ने कुछ लोगों को आंसर शीट के साथ गिरफ्त में लिया था। इसके बाद कुछ स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर एग्जाम दोबारा कराए जाने की मांग की थी।

 

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