मुस्लिम नेता ने लगाए गंभीर आरोप, कहा मायावती ने की थी 50 करोड़ की मांग
उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (BSP) से निष्कासित नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि मुझे झूठे आरोप लगाकर पार्टी से निकाला गया. मायावती ने मुझे काफी उल्टा-सीधा कहा. मायावती ने कांशीराम के बारे में जो कहा मैंने उसका विरोध किया था. मैंने मायावती को हार के कारणों के बारे में बताया था जिस पर वह नाराज हो गई थीं. यही नहीं मायावती ने मुझसे पैसे की मांग की. पार्टी को 50 करोड़ रुपये की जरूरत है. मैंने कहा कि मैं कहां से लाऊं तो बोलीं अपनी प्रॉपर्टी बेच दो. मैंने कहा कि अगर मैं अपनी प्रॉपर्टी बेच भी दूंगा तो 50 करोड़ का चौथाई भी हो जाए तो बड़ी बात है. मैंने ये भी कहा कि नोटबंदी के होने से अब अगर प्रॉपर्टी बेचूंगा तो भी कैश नहीं मिलेगा. लेकिन पार्टी हित के लिए मैं ये करने को भी तैयार हूं. इसके बाद मैंने अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से कहा कि कुछ करें. पार्टी के लोगों से कहा कि मेरी प्रॉपर्टी बिकवा दो. जब थोड़ा पैसा इकट्ठा हो गया तो मैंने बहनजी को कहा कि पैसा इकट्ठा हो गया है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही खास बातें… पार्टी के जनक कांशीराम के बारे में मायावती ने गलत बोला
मैंने मायावती से कहा कि जिन कांशीराम ने पार्टी की नींव रखी, जिन्होंने आपको राजनीति सिखाई, उनके बारे में आपने गलत बोला. ये कार्यकर्ताओं को अच्छा नहीं लगा. इस पर मायावती ने कहा कि मैं तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करूंगी. चुनावों में हार के बारे में पूछा तो मैंने मायावती को घोषणापत्र जारी करने की सलाह दी थी.
हार का एक कारण मैंने उन्हें बताया था कि आपने मंच से किसी प्रत्याशी के लिए वोट नहीं मांगा.मैंने यह भी कहा कि आप लोगों से मिलती नहीं हैं, आपको लोगों से मिलना चाहिए. आपकी सुरक्षा का मैंने हमेशा ख्याल रखा, लेकिन जो अब हो रहा है वो कभी नहीं हुआ. आप पेन, घड़ी सब रखवा लेती हैं, सतीश चंद्र मिश्रा की गाड़ी के लिए तुरंत गेट खुल जाता है, तलाशी हो रही है तो सबकी होनी चाहिए. मायावती माथा देखकर तिलक लगाती हैं
50 करोड़ की नाजायज मांग की
मायावती के अब राज्यसभा की सांसद बनने के भी लाले हैं, मायावती खुद चाहती हैं कि पार्टी खत्म हो जाए ताकि कोई और पार्टी में खड़ा न हो पाए. मायावती नहीं चाहतीं कि कोई और दलित चेहरा सीएम बन
मुझे गलती बताए बिना सजा सुना दी गई
मायावती ने मेरा पक्ष सुने बिना ही सजा सुना दी, मैंने कौन सी पार्टी विरोधी गतिविधियां की बताओ तो सही. सिद्दीकी ने बयान में कहा है, ‘मैं समझता हूं कि इस निष्कासन से मेरे व मेरे परिवार की और मेरे सहयोगियों की बहुजन समाज पार्टी में 34-35 साल की कुबार्नी का सिला मुझे दिया गया है. मैंने इस मिशन के लिए और मायावती के लिए खासतौर पर इतनी कुबार्नी दी है, जिसकी मैं गिनती नहीं कर सकता.’ मैंने मंडी वाला केस भी उनके कहने पर अपने ऊपर ले लिया.
मेरी बेटी दफना दी गई
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मायावती जब बिल्सी से चुनाव लड़ रही थीं, उस दौरान सभी जिम्मेदारी मेरे पर ही थी. इस दौरान मेरी इकलौती बेटी बीमार हो गई. पत्नी का फोन आया कि फौरन आ जाओ, शायद बचेगी नहीं. मैंने मायावती से घर जाने की इजाजत मांगी. लेकिन उन्होंने जाने नहीं दिया. और कहा कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं है. इसके बाद मेरी बेटी की मौत हो गई. लेकिन फिर भी उन्होंने उसकी अंत्येष्टि में जाने की नही दिया. मैं नहीं गया और मेरी बेटी दफना दी गई.
मुझे मानसिक प्रताड़ना दी
नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया, ‘मायावती, उनके भाई आनंद कुमार और सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा अवैध रूप से, अनैतिक रूप से और मानवता से परे कई बार ऐसी मांगें की गईं, जो मेरे बस में नहीं थीं. कई बार मुझे मानसिक प्रताड़ना दी गई, टार्चर किया गया. जिसके पुख्ता प्रमाण मेरे पास हैं.’ नसीमुद्दीन ने कहा, ‘2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव और 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मायावती की गलत नीतियों के कारण सफलता नहीं मिली.
दाढ़ी वाले मुसलमानों को तो उन्होंने क्या कुछ कह डाला
उन्होंने मुसलमानों पर गलत झूठे आरोप लगाए.’ उन्होंने कहा, ‘2017 के चुनाव से काफी पहले से मैंने पार्टी के लिए जो प्रयास किए, उसी का नतीजा था कि बसपा को 22 प्रतिशत से अधिक वोट मिले. नहीं तो स्थिति और बदतर होती. शिकस्त के बाद मायवती ने मुझे बुलाया और अपर कास्ट, बैकवर्ड कास्ट को बुरा-भला कहने के साथ ही खासतौर पर मुसलमानों के लिए अपशब्द कहे, यहाँ तक कि दाढ़ी वाले मुसलमानों को तो उन्होंने क्या कुछ कह डाला बता नहीं सकता. जिसका मैंने विरोध किया था.मनगढ़ंत आरोप लगकर मुझे व मेरे बेटे को निकाला गया. सतीश चंद्र मिश्रा ने अवैधइससे पहले मैं बताना चाहूंगा कि विधानसभा चुनाव के बाद मायावती ने दिल्ली में मुझे बुलाया. मेरे साथ मेरा बेटा अफजल भी था. मायावती ने मुझसे सबसे पहला सवाल यही किया कि मुसलमानों ने BSP को वोट क्यों नहीं दिया? मैंने कहा कि असलियत यह है कि कांग्रेस और सपा गठबंधन से पहले मुसलमान हमारे साथ था लेकिन गठबंधन के बाद मुसलमान कंफ्यूज हुआ और बंट गया. हमें भी उसका वोट मिला लेकिन उतना नहीं. बूचड़खाने का आरोप तो लगा दिया, लेकिन किसी एक का नाम तो बता दें.
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