भारत के एक गाँव का नाम बाशिंदों को रखना पड़ा POK
मूलभूत सुविधाओं से वंचित एक गाँव के लोगों ने प्रशासन और सरकार का ध्यान अपनी समस्याओं की ओर खींचने के लिए अपने गाँव का नाम POK (पाक अधिकृत कश्मीर) रख लिया है. बात कानपुर मुख्यालय से करीब 40 कि.मी. दूर सिरम्मनपुर गाँव की है. करीब 600 की आबादी वाले इस गाँव के ज़्यादातर लोग मध्यम किसान हैं और पशुपालन कर अपना जीवनयापन करते हैं.
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गाँव के कई आदमी बूढ़े हो गए शादी के इंतज़ार में
गाँव के एक निवासी विजय मिश्रा बताते हैं कि बिजली विभाग हर 2-3 साल में हर बार क्रांकीट के कुछ खंभे खड़े कर देता है, पर आज तक यहाँ बिजली के तार नहीं लगे हैं. पानी के लिए पूरा गांव को सिर्फ 2 हैंड पंप पर निर्भर है. यहाँ किसी भी घर में शौचालय नहीं है. उन्होंने आगे बताया कि इस गाँव के कई आदमी शादी के इंतज़ार में बूढ़े हो गए हैं. गाँव की इतनी ख़राब हालत देख कर शादी के रिश्ते करने से भी लोग मना कर देते हैं.
गाँव का नाम POK रखना विद्रोह वाले विरोध का एक तरीका
सिरम्मनपुर के लोगों में इसलिए ज़्यादा गुस्सा है क्योंकि दो पड़ोसी गाँवों -दौलतपुर और ईंटारोड़ा में जो विकास हुआ है, वह यहाँ नहीं हुआ. गांव-निवासियों का कहना है कि गाँव का नाम POK रखना विद्रोह वाले विरोध का एक तरीका है.
उनको उम्मीद थी कि नई सरकार शायद गाँव में कुछ विकास के काम शुरू करेगी. पर जब ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो उन्होंने गाँव में तमाम जगह बैनर लगा दिए, जिन पर गाँव को POK कह कर सम्बोधित किया गया है.
ये है मोदी सरकार का शौचालय के ऊपर इतना ज़ोर
उन्होंने और यह भी बताया कि मोदी सरकार का शौचालय के ऊपर इतना ज़ोर है, पर गाँव में एक भी शौचालय नहीं है. गाँव की एक महिला सरोज देवी ने बताया कि चाहे बुज़ुर्ग हों या फ़िर विकलांग या लड़कियां या औरतें, सभी को शौच के लिए दूर जाना पड़ता है. गाँव के किनारे एक बहुत बड़ा तालाब था, जो सूख चुका है. गाँव वाले अब उस सूखे तालाब में गाय और भैंस बांधते हैं. गाँव में मवेशियों की संख्या करीब 2000 है, उन्हें पानी पिलाने के लिए उनको सुबह-शाम 5 कि.मी. दूर बहने वाली ऋंद नदी तक ले कर जाना पड़ता है. सिरम्मनपुर के आसपास कई किलोमीटर तक न ही कोई स्कूल है और न अस्पताल.
गाँव का नाम POK रखने पर देशद्रोही करार दिया जा सकता है
55 साल के प्रेमचंद की इसी कारण से आज तक शादी नहीं हो पाई है. वे मज़ाक में कहते हैं कि अब मैं रिटायर हो चुका हूँ. जब गाँव की ही हालत इतनी खराब है, तो कौन चाहेगा की उसकी लड़की यहाँ आकर रहे? सिरम्मनपुर का हर व्यक्ति विजय मिश्रा का साथ दे रहा है. उनको कोई डर नहीं है कि गाँव का नाम POK रखने के कारण प्रशासन उन्हें देशद्रोही करार देकर उन्हें जेल भेज सकता है.
क्षेत्र के अन्य गांव भी इतने ही पिछड़े – प्रधान
विजय मिश्रा कहते हैं कि अपने गाँव के विकास के लिए मैं जेल भी जाने के लिए तैयार हूँ. प्रशासन को जब मामले की जानकारी हुई, तो लेखपाल इस गाँव आए और लोगों से समस्याएं पूछीं और लौट गए. गाँव के प्रधान अनिल पाल कहते हैं, कि ये बात ग़लत है कि सिरम्मनपुर गांव अन्य गांवों के मुक़ाबले पिछड़ा है. लेकिन क्षेत्र के अन्य गांव भी उतने ही पिछड़े हैं और वहां भी विकास की ज़रूरत है. पाल 3 गाँवों के प्रधान हैं – दौलतपुर, ईंटारोड़ा और सिरम्मनपुर. वो इस बात से इंकार करते हैं की सिरम्मनपुर में ज़्यादा दिक्कतें हैं.
गांव प्रधान वोट ना दिए जाने का बदला निकाल रहे
वे यह भी कहते है कि दिक्कते हर गांव में हैं और जिन्हें धीरे-धीरे दूर किया जाएगा. उस गांव में एक हैंड पंप 1-2 दिन में ठीक करवा दूंगा. पाल के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन या हर घर में शौचालय तो अभी नई बात है, जिसे धीरे-धीरे लागू करेंगे, पर गाँव के लोगों का कहना है कि प्रधान वोट ना दिए जाने का उनसे बदला निकाल रहे हैं. कानपुर के ज़िलाधिकारी सुरेंद्र सिंह के अनुसार मामला उनके संज्ञान में आया है और वो तथ्यों की जाँच करा रहे हैं.
साभार – बीबीसी हिंदी के लिए रोहित घोष की रिपोर्ट
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