Sunday, August 27th, 2017
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बीमार होने पर खुद ही दवाइयां लेने से बढ़ सकती है एलर्जी: IMA




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अक्सर बीमार पड़ने पर बिना डॉक्टर की सलाह लिए हम खुद ही दवाइयां लेकर अपना इलाज शुरू कर देते है। ऐसा करना आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि खुद से दवाएं लेने पर एलर्जी और अधिक बिगड़ सकती है। देश के कुल आबादी के लगभग 20 से 30 प्रतिशत लोग एलर्जी की राइनाइटिस डिसीज से पीडि़त हैं।

आईएमए के अनुसार, हर दो लोगों में से लगभग एक व्यक्ति आम पर्यावरणीय कारणों से किसी न किसी टाइप की एलर्जी से प्रभावित है। एलर्जिक राइनाइटिस से दुनिया भर की आबादी का एक तिहाई हिस्सा प्रभावित है। लोग इसे बीमारी की श्रेणी में नहीं रखते, इसलिए यह रोग बढ़ता चला जाता है। इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह है कि बहुत से लोग खुद ही दवाई लेकर इलाज शुरू कर देते हैं, जो कि ज्यादातर समय तक कोई राहत प्रदान नहीं करती है।

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आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, ‘एलर्जिक राइनाइटिस होने पर नाक अधिक प्रभावित होती है। जब कोई व्यक्ति धूल, पशुओं की सूखी त्वचा, बाल या परागकणों के बीच सांस लेता है तब एलर्जी के लक्षण उत्पन्न होते हैं। ये लक्षण तब भी पैदा हो सकते हैं जब कोई व्यक्ति कोई ऐसा खाद्य पदार्थ खाता है, जिससे उसे एलर्जी हो।’ उन्होंने कहा, ‘शरीर में एलर्जी पैदा होने पर हिस्टामाइन रिलीज होता है, जो एक नेचुरल कैमिकल है और शरीर को एलर्जिन से बचाता है। जब हिस्टामाइन जारी होते हैं, तो ये एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों के रूप में प्रकट होते हैं, जिसमें नाक बहना, छींकना और आंखों में खुजली शामिल है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एलर्जिक राइनाइटिस के सबसे आम लक्षणों में प्रमुख हैं- छींकना, नाक से पानी बहना, खांसी, गले में खराश, खुजली और आंखों से पानी बहना, लगातार सिरदर्द, खुजली, पित्ती और अत्यधिक थकान। कुछ बाहरी कारक इन लक्षणों को खराब कर सकते हैं जैसे धुंआ, रसायन और प्रदूषण आदि।

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उन्होंने बताया, ‘एलर्जिक राइनाइटिस मौसमी (जैसे वसंत के दौरान या कुछ अन्य मौसमों के दौरान) हो सकती है। बच्चों में मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस ज्यादा होती है। इसके लक्षण 20 की उम्र से पहले दिखने शुरू हो सकते हैं। एलर्जी की प्रतिक्रिया से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि शरीर को किसी संभावित ट्रिगर्स को प्रकट नहीं करने देना।’

एंटीहिस्टामाइंस, डिकंजस्टेंट्स और नाक में डालने वाला कॉर्टिकोस्टेरॉइड स्प्रे जैसी कुछ दवाएं एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। हालांकि ये केवल डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ली जानी चाहिए।

एलर्जिक राइनाइटिस से बचने के उपाय :

– परागकण वायुमंडल होने पर घर के अंदर रहें।

– सुबह-सुबह बाहर जाकर व्यायाम करने से बचें।

-बाहर से आने के तुरंत बाद एक शॉवर ले।

– एलर्जी के मौसम में खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें।

– जब आप बाहर निकलें तो मुंह और नाक को ढंक लें।

– अपने कुत्ते को सप्ताह में कम से कम दो बार स्नान कराएं।

– धूल के कणों को कम करने के लिए घर में कालीन न रखें।

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