जानिए दही -हांडी और जन्माष्टमी का कया है रिश्ता
25 अगस्त को जन्माष्टमी है। देशभर में ये त्योहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन कहीं रंगारंग कार्यक्रम होते हैं तो कहीं झाकियां सजाई जाती हैं। लेकिन महाराष्ट्र और साउथ इंडिया में इस त्योहार के लिए दही जमाया जा रहा है साथ ही हांडी भी तैयार की जा रही हे। कयोंकि लड्डू गोपाल के जन्मदिन पर इस दिन यहां दही-हांडी की प्रतियोगिता होती है। जन्माष्टमी पार दही हांडी के बारे में तो आपने कई बार सुना ही होगा, लेकिन कया आप जानते हैं कि जन्माष्टमी और दही हांडी का आखिर रिश्ता कया है। हम आपको बताते है कया है इन दोनों में कनेकशन।
ये है पंरपरा-
दही हांडी प्रतियोगिता के तहत दही हांडी की प्रतियोगिता होती है, जिसमें एक लड़का ऊपर चढ़कर ऊपर लटकी हुई दही हांडी फोड़ता है। ये लड़के गोविंदा बनकर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं। इस दौरान आसपास खड़े लोग पिरामिड की तरह खड़े लड़कों पर पानी फेंकते हैं, जिसमें हांडी तक पहुंचना आसान नहीं होता। जो लड़का हांडी फोड़ता है वो विजेता बन जाता है।
माना जाता है कि कान्हाजी को दही पसंद था और वे हांडी में से चुरा-चुराकर दही खाते थे, इसलिए दही -हांडी का खेल उन्हें ही समर्पित है।
दही हांडी प्रतियोगिता आसान नहीं है। इस दौरान अगर कोई इंसान गिर जाए, तो बहुत चोट लगती है। लेकिन ये खेल ये दिखाने के लिए किया जाता है कि अगर आपका लक्ष्य तय है और अगर आप मेहनत करें तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। यही उपदेश भी भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया था।
गोविंदा तो वही होता है जो आखिरी तक हार नहीं मानता। इसलिए ये खेल होता है ताकि लोग ये समझें कि किसी भी चीज को पाने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करनी होती है और जो मौके का फायदा उठाता है वहीं जीतता है।