न्यूयॉर्क और चाइना से आई भारत के लिए तीखी सलाह
भारत इन दिनों तरक्की की ओर है ये बात आप तो जानते ही हैं साथ ही ये बात अब पूरी दुनिया भी जानती है। पिछले दिनों भारत कई बदलावों के दौर से गुजर रहा हैं और अब तो रोज एक नए बदलाव की आदत सी हो गई है। हर दिन कोई न कोई नई चीज़, नया कानून हमारे सामने आ जाता हैं और हम उसे स्वीकार कर लेते हैं। भारत पर दूसरे देशों की भी तीखी नज़र हैं ऐसा हम नहीं कहते हैं ऐसा खुद विदेशी मीडिया कहता है। हाल ही में विदेशी मीडिया से भारत को कई तरह की राय यानि सलाह मिलने लगी है।
कुछ दिनों पहले कश्मीर में पत्थरबाजों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमला बोला था जिसके बाद आर्मी ने भी करारा जवाब देते हुए। एक युवक को अपनी जीप पर बांधकर पत्थरबाजों से बचने के लिए उसे ढाल की तरह उपयोग किया। इस घटना का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया और ये घटना देश में ही नहीं विदेश में भी पहुंच गई।
विदेश में पहुंचने के बाद हुआ ये कि न्यूयॉर्क टाइम्स से भारत को ये सलाह मिली कि कश्मीर में जो भारतीय सुरक्षा बलों ने किया है वो ‘बर्बर’ है और इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा। शनिवार को प्रकाशित इस संपादकीय में कहा गया कि भारत की सरकार को कश्मीर में मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
न्यूयॉर्क टाइम्स के संपादकीय बोर्ड की ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब कुछ ही दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दिख रहा था कि कश्मीर में एक नागरिक को मानव ढाल बनाकर सैन्य वाहन से बांधा गया है। संपादकीय में कहा गया कि पथराव करने वाली भीड़ से बचाव के लिए शॉल बुनकर 24 वर्षीय फारूक अहमद डार को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करते हुए जीप के आगे बांधकर और उसकी पिटाई करके भारत के सैन्य बलों के लोग कश्मीर में ‘‘कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के लंबे इतिहास में बहुत ज्यादा नीचे गिर गए हैं।’’
‘कश्मीर में बर्बरता और बुजदिली’ शीषर्क से इस संपादकीय में कहा गया, ‘‘सोशल मीडिया पर चले इस वीडियो के जरिए प्रकाश में आई घटना कश्मीर में लगभग तीन दशकों से जमे आतंकवाद की गहराई का अंदाजा देती है।’’ इसमें कहा गया कि इस घटना के बाद भारत के सैन्य प्रमुख जनरल विपिन रावत ने डार को जीप से बांधने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का संकल्प तो लिया लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि कश्मीर के पथराव करने वाले युवा और अलगाववादी आतंकी ‘आज भले बच जाएं लेकिन कल हम उन्हें पकड़ ही लेंगे। हमारा कठोर अभियान जारी रहेगा।’’ संपादकीय में कहा गया कि ‘‘यह रूख अंत में कश्मीर को ऐसे भंवर में फंसा देगा जहां और ज्यादा बर्बर सैन्य तौर तरीके निराशा तथा आतंकवाद को और ज्यादा बढ़ावा देंगे।’’
वहीं दूसरी ओर चीनी मीडिया भी भारत को सलाह देने में पीछे नहीं है। इनका भी कहना है कि हिंद महासागर में चीन पर लगाम कसने के लिए विमानवाहकों के निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने से ज्यादा ध्यान भारत को अपने आर्थिक विकास पर देना चाहिए। चीन के सरकारी अखबार ने आज यह कहा।
सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में एक लेख में कहा गया, ‘‘विमान वाहक विकसित करने के लिए नई दिल्ली कुछ ज्यादा ही बेसब्र हो रही है। यह देश औद्योगिकीकरण के अभी शुरूआती चरणों में ही है और ऐसे में विमान वाहक बनाने की राह में कई तकनीकी अवरोध आएंगे।’’ चीन ने कल अपनी नौसेना की स्थापना की 68वीं सालगिरह मनाई । वह अपने बेड़े में तेजी से इजाफा कर रहा है।
अपने कट्टर राष्ट्रवादी मूल्यों के लिए पहचाने जाने वाले दैनिक की रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘विदेश कारोबार में विस्तार और चीन की ‘वन बेल्ट ऐंड वन रोड’ पहल के चलते चीन की नौसेना ने एक नया मिशन हाथ में लिया है, यह मिशन विदेशों में देश के हितों की रक्षा करना है।’’ रिपोर्ट में सैन्य विशेषज्ञ सांग जोंगपिंग के हवाले से कहा गया कि इसके परिणामस्वरूप नौसेना के लिए चीन की सैन्य रणनीति में बदलाव आया है और अब नई आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उसे विदेशों में अपनी मौजूदगी बढ़ानी होगी।
चीन की नौसेना ने विदेशों में खासा विस्तार करते हुए पाकिस्तान के ग्वादर और हिंद महासागर के दिज्बोउटी में नए साजो सामान के साथ सैन्य अ5यास किए हैं लेकिन चीन का आधिकारिक मीडिया भारत द्वारा चीन से दशकों पहले तैनात किए गए विमान वाहकों को लेकर शोर मचा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सामुद्रिक मार्गों को सुरक्षित रखने की खातिर मजबूत नौसेना बनाने में समक्ष है। चीन द्वारा अपने पहले विमान वाहक का निर्माण आर्थिक विकास का ही परिणाम है।’’ भारत वर्ष 1961 से विमान वाहक का संचालन करता आ रहा है।
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