कर्ज में हैं अनिल अंबानी की कंपनी, नहीं चुकाया 10 बैंकों का लोन
अंबानी परिवार को अभी तक आपने अमीरी के मामले में तो खूब सुना होगा लेकिन अब एक ऐसा मामला सामने आया है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। मुकेश अंबानी अपनी अमीरी और अपनी लेविश स्टाइल के लिए काफी फेमस है लेकिन उनके छोटे भाई बिजनेसमैन अनिल अंबानी की हालत इन दिनों थोड़ी खराब चल रही है।
हाल ही में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के जारी आंकड़ों के अनुसार अनिल अंबानी की कंपनी धीरूभाई अंबानी एंटरप्राइजेज की हालत कई ज़्यादा खराब है। रिलायंस कम्युनिकेशन पर 10 से ज्यादा स्थानीय बैंकों का लोन बकाया है। कई बैंकों ने तो अपनी एसेट बुक में स्पेशल मेंशन अकाउंट (एसएमए) के तौर पर रिलायंस के लोन को दर्ज कर लिया है।
क्या होते हैं SMA लोन
एसएमए लोन वो होते हैं जिसमें कर्ज लेने वाले ने ब्याज नहीं चुकाया होता। अगर तय तारीख से 30 दिनों तक इन लोन का भुगतान नहीं किया जाता तो उसे एसएमए 1 और अगर 60 दिनों बाद उसे एसएमए 2 श्रेणी में डाल दिया जाता है। अगर 90 दिनों के बाद भी बैंक को बकाया वापस नहीं किया जाता तो उसे नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) में डाल दिया जाता है। बिजनेस अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने एक बैंक अधिकारी के हवाले से बताया कि अब तक देश के 10 बैंकों ने लोन को एसएमए 1 और एसएमए 2 में डाल दिया है। एक अन्य ने कहा कि एक हफ्ते बाद कुछ बैंकों को इस लोन को एनपीए की तरह देखना होगा।
20 प्रतिशत तक गिरे शेयर
सीएआरई और आईसीआरए द्वारा दी गई खराब रेटिंग के बाद आरकॉम के शेयर 20 प्रतिशत तक गिर गए हैं। हालांकि रेटिंग एजेंसियों की एसएमए लोन की जानकारियों तक पहुंच नहीं हैं, क्योंकि उसे बैंक आपस में या रिजर्व बैंक से साझा करते हैं। केयर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस जियो के प्रभाव के कारण रिलायंस कम्युनिकेशन में गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक आरकॉम के लोन डिफॉल्ट के बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘एयरसेल और ब्रुकफील्ड के साथ समझौते के बाद आरकॉम ने बैंकों से कहा कि वह 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज 30 सितंबर 2017 तक या उससे पहले चुकाएगी। इसमें सभी शेड्यूल्ड पेमेंट तो आएंगी ही, कंपनी लोन का प्री-पेमेंट भी करेगी।’
पहले क्वार्टर में ही 966 करोड़ का नुकसान
कंपनी को जनवरी-मार्च तिमाही में 966 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा था, जो उसका लगातार दूसरा तिमाही नुकसान था। वित्त वर्ष 2017 भी कंपनी के लिए नुकसान का पहला साल रहा। मार्च 31 कंपनी पर 42000 करोड़ का बकाया था, जिसे वह एयरसेल और ब्रूकफील्ड के साथ डील करने के बाद घटाना चाहती है। इन कंपनियों को आरकॉम 11 हजार करोड़ रुपये में अपनी टावर यूनिट रिलायंस इन्फ्राटेल का 51 प्रतिशत हिस्सा बेच रही है। कड़ी स्पर्धा के अलावा लागत में बढ़ोतरी के कारण चौथी तिमाही की कमाई भी प्रभावित हुई है।
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