आरक्षण बर्बाद कर रहा है युवाओं का करियर?
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आईएएस टॉपर टीना डाबी पिछले काफी दिनों से सुर्खियों में बनी रही हैं उनकी टॉपर बनने की सफलता के कारण उन्हे पूरा देश जानने लगा है। लेकिन उनकी सफलता के बाद जहाँ प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण कामुद्दा फिर से गरमा गया है, वही इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई है कि कहीं आरक्षण की मौजूदा पद्दति देश की प्रतिभाओं को अवसाद के गहरे भंवरजाल में तो नहीं डाल रही, या फिर जो पद्दति है वो तमाम तर्को के बादजूद गैरबराबरी को ख़त्म करने के लिए जरुरी है चर्चा कर रहे है अंकित श्रीवास्तव की। गौरतलब है कि अंकित श्रीवास्तव ने भी यूपीएसी टॉपर टीना डाबी के साथ 2015 में परीक्षा दी थी लेकिन अंकित इसमें असफल रहे। टीना डाबी के परिणाम को देखने के बाद अंकित श्रीवास्तव ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है, यह पोस्ट जिसमे अंकित सिस्टम को जिम्मेदार ठहराते हुए देश छोड़ने की बात करता है, देश के किसी भी युवा की कहानी हो सकती थी तेजी से वायरल हो रहे इस पत्र का सारांश हमको पढ़ा रहे ,हांलाकि वो पोस्ट फेसबुक ने हटा ली है।
अंकित लिखते हैं ’’टीना का सीएसपी 2015 का स्कोर 96.66 हैं और मेरा 103.5 और इतना ही नही पेपर 2 में मेरे 127.5 अंक है जबकि टीना के 98.7।“ अंकित लिखते हैं मैंने टीना से 35 अंक ज्यादा प्राप्त किये हैं। अंकित आगे लिखते हैं, ’आरक्षण व्यवस्था की महिमा कितनी चमत्कारी है इसका एहसास आज हुआ। याद रहे टीना किसी वंचित तबके से सम्बन्ध नहीं रखती हैं। उनके माता पिता दोनों इंजीनियरिंग सेवा में अधिकारी रहे हैं और वह हम जैसों की तरह सम्पन्न मध्यम परिवार से आती हैं।
अंकित आगे कहते हैं वो टीना के प्रयासों की प्रशंसा करते हैं परन्तु एक प्रश्न यह भी निसंदेह उतना ही महत्वपूर्ण है कि मेरे जैसे सैकड़ो निहायत ही क्षमतावान और समर्पित नौजवान, जो अपनी बड़ी-बड़ी नौकरियां ठुकराकर अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिनों के रोज 12-14 घंटे सिर्फ पढाई करते हैं, वो आज किसके द्वारा किये गए अन्यायों का दंश झेल रहे हैं? क्या आरक्षण व्यवस्था का पुनरावलोकन करने और उसे वर्तमान जातिगत व्यवस्था से अलग कर ’वास्तविक आर्थिक और सामजिक पिछड़ेपन’ से सम्बद्ध करने का राजनैतिक साहस किसी में नहीं है? अंकित श्रीवास्तव ने अपनी इस पोस्ट में रोल नम्बर के साथ टीना और अपनी मार्कशीट को संलग्न किया है।
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