सिंहस्थ में कारोबारी अवसर जबरदस्त
कुंभ केवल आस्था का ही महापर्व नहीं है बल्कि इसमें कारोबार के अवसरों की भी कोई कमी नहीं। इसकी बदौलत प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 10,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है।
सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत हुए 15 दिन बीत गये हैं। यह आस्था का महापर्व तो है ही साथ ही यह आस्था का बहुत बड़ा कारोबार भी है। आखिर जिस कार्यक्रम के आयोजन पर राज्य सरकार ने साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च की हो, जिसकी ब्रांडिंग और विज्ञापन पर ही सैंकड़ों करोड़ रुपये की राशि खर्च कर दी गयी हो वह कोई छोटा मोटा आयोजन तो हो नहीं सकता। शुरुआत में राज्य सरकार ने उम्मीद जताई थी कि सिंहस्थ में देश और विदेश से तकरीबन 5 करोड़ श्रद्धालु आयेंगे। यह अनुमान भले ही सही साबित नहीं होता दिख रहा है लेकिन इसके बावजूद प्रदेश और उज्जैन की अर्थव्यवस्था पर सिंहस्थ के प्रभाव और उसके दूरगामी परिणामों को झुठलाया कतई नहीं जा सकता है।
कुछ अरसों पहले जब मैंने सिंहस्थ की तैयारियों का प्रभार संभाल रहे उज्जैन के संभागीय आयुक्त रवींद्र पस्तोर से बात की थी तो उन्होंने साफ कहा था कि यह आयोजन प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिये दूरगामी फायदे वाला साबित हो सकता है क्योंकि इतने बड़े धार्मिक आयोजन में पैसे की आवक जावक बहुत तेज गति से होती है। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ में आने वाले करोड़ों लोग यदि यहां रुकने के दौरान 1000-2000 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से भी खर्च करते हैं तो इससे करोड़ों रुपये प्रदेश की अर्थव्यवस्था में आयेंगे।
पस्तोर की बात गलत नहीं है और राज्य सरकार भी इस बात को भली भांति समझ चुकी थी। यही वजह है कि पिछले सिंहस्थ के मुकाबले इस सिंहस्थ के बजट में 80 प्रतिशत का इजाफा किया गया था। उज्जैन में कई पुल, फ्लाईओवर और अस्पताल बनाये गये। एक कारोबारी संगठन का अनुमान है कि सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का आदान प्रदान होगा।
पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के एमपी चैप्टर के रीजनल डायरेक्टर आर जी द्विवेदी कहते हैं कि सिंहस्थ का सबसे बड़ा फायदा मध्य प्रदेश के पर्यटन और स्वागत उद्योग को मिल रहा है। क्योंकि दूर-दूर से सिंहस्थ भ्रमण के लिये आने वाले लोग अन्य पर्यटक स्थलों मसलन, सांची, भीमबेटका, पंचमढ़ी आदि का भी रुख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय लाभ की बात करें तो इंदौर और उज्जैन में होने वाली फूलों की खेती और होटलों को इसका बहुत अधिक फायदा मिल रहा है।
हालांकि इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। तीसरे दर्जे का शहर होने के कारण उज्जैन में होटल आदि का किराया बहुत अधिक नहीं है लेकिन सिंहस्थ के चलते कई होटलों के मालिकों ने किराया तीन गुना तक बढ़ा दिया था। यह इजाफा अच्छी भीड़ आने की उम्मीद में की गयी थी। लेकिन अपेक्षित भीड़ नहीं आने के बाद अब कारोबारी खाली बैठे ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। कई होटलों ने मायूस होकर अपने किराये दोबारा कम कर दिये हैं।
ऐसा नहीं है कि यह लूट केवल होटलों में ही चल रही है। मेला परिसर में बैठे साधू संतों को भी कम समझने की आवश्यकता नहीं है। वहां भी उनके कई रंग देखने को मिल रहे हैं। कहीं सोने से लदे फदे गोल्डन बाबा हैं तो कहीं विदेशी भक्त भक्तिनियों से घिरे नित्यानंद।
कभी सेक्स स्कैंडल से घिरा स्वामी नित्यानंद इस बार मेला परिसर में श्रद्धालुओं की आंखों में धूल झोंकने के कारण सुर्खियों में आया। हुआ यूं कि स्वामी नित्यानंद का संस्थान थर्ड आई नामक एक कोर्स कराने के लिए दो लाख रुपये शुल्क ले रहा है जबकि बच्चों को विज्ञान से परिचित कराने वाले एकदम आम संस्थानों में यह कला महज 10,000 रुपये में सिखायी जाती है। इतना ही नहीं स्वामी जी के संस्थान के मुताबिक यह कोर्स पांच लाख रुपये का है यहां रियायत पर दो लाख रुपये में कराया जा रहा है।
राज्य सरकार ने बकायदा मेला परिसर में अस्थायी दुकान निर्माण के लिए जगह का आवंटन किया ताकि इच्छुक कारोबारी इस एक माह लंबे आयोजन में कारोबारी अवसरों का लाभ उठा सकें। कुंभ में स्केचिंग, रत्न-आभूषणों, भोजनालय, रिफ्रेशमेंट सेंटर जैसे तमाम कारोबारी अवसर मौजूद हैं जिनका लाभ कारोबारी उठा रहे हैं। सरकार ने इस दिशा में लोगों की मदद के लिए एक डेडिकेटेड कॉल सेंटर भी स्थापित किया है।
इस सिंहस्थ ने कारोबारी अवसरों को एक नयी दिशा दी है क्योंकि यह पहला कुंभ है जहां व्यापारिक और पर्यटन संभावनाओं को इस तरह टटोला जा रहा है। इससे पहले हर अवसर पर कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन बनकर रह जाता था।
तमाम धार्मिक संस्थानों का साहित्य यहां व्यापक पैमाने पर बेचा जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आस्था का कारोबार बहुत बड़ा है। स्वामी रामदेव, श्री श्री रविशंकर और आसाराम बाबू से लेकर तमाम धर्म गुरू और धार्मिक संस्थान कारोबार की दुनिया में भी न केवल हाथ आजमा रहे हैं बल्कि वे सफल भी हैं।
नोटः आस्था और कारोबार के इस गठजोड़ को हम आलेखों की आगे की शृंखला में टटोलेंगे।
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