उप्र में जेल गईं थीं शीला, बनकर निकली राष्ट्रीय नेता
By Satish Tripathi
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2017 सर पर है। तो ऐसे में सभी पार्टीयों ने राजनीतिक तौर पर सक्रिय हो गई हैं। लेकिन आज कांग्रेस ने जल्दबाजी दिखाते हुये अपने मुख्यमंत्री चेहरे को घोषित कर दिया शीला दीक्षित। शीला दीक्षित कांग्रेस की वरिष्ठ लीडर हैं। और यह दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। यूपी में पिछले 26-27 साल से कांग्रेस का कोई वजूद नही दिखाई पड़ रहा था। इतने लम्बे वर्ष के वनवास को समाप्त करने के लिए कांग्रेस ने चुनावी जादूगर प्रशांत किशोर को कमान सौंपी है जिसका असर धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने अब प्रदेश में’पीके’ फॉर्मूले पर चलते हुए ब्राह्मण कार्ड खेला है। दिल्ली में मुख्यमंत्री के तौर पर 15 साल बिताने वाली शीला दीक्षित अपने काम के लिए पहचानी जातीं हैं और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में उनपर भरोसा दिखाया है. इससे साफ है कि युवाओं की जगह पार्टी ने अनुभवियों पर भरोसा जताया है. खास बात यह हैं कि शीला दीक्षित यूपी के कन्नौज से सांसद भी रह चुकी हैं। और इनका यूपी में ससुराल भी है।
शीला दीक्षित का राजनीतिक इतिहास
शीला दीक्षित का जन्म कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ और इन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की. दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री लेने के बाद शीला ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि ग्रहण की. 1984 से 1989 तक शीला दीक्षित यूपी के कन्नौज जिले से सांसद रही। और वह देश की पहली ऐसी महिला हैं, जो लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के रुप में चुनीं जा चुकी हैं।
जेल में बिताने पड़े थे 23 दिन
शीला दीक्षित की पहचान दिल्ली की पहली महिला सीएम के रुप में भी है. 1990 में शीला ने अपने 82 साथियों के साथ महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था जिसके बाद उन्हें उनके 82 साथियों के साथ 1990 में 23 दिन जेल में बिताना पड़ा था. शीला दीक्षित का संबंध ब्राह्मण समुदाय से है यही कारण है कि ब्राह्मण वोट बैंक पर सेंध लगाने के इरादे से कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा है. प्रदेश में इस समय 14 फीसदी ब्राह्मण वोट है। ब्राह्मण कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि जिन्होंने अब भाजपा और बसपा का रुख कर लिया है।
हम आपको बता दें कि हाल ही में पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बनाने के काम पर लगाए गए प्रशांत किशोर। जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की2014 में हासिल जीत और पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की शानदार जीत का श्रेय भी दिया जाता है। प्रशांत किशोर की टीम ने प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई ब्राह्मण चेहरे के बारे में राहुल और सोनिया को सलाह दे चुके थे। जिसमें शीला दीक्षित फिट बैठती हैं। इसके अलावा प्रशांत किशोर के मुताबिक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में उनका तजुर्बा उत्तर प्रदेश के लोगों को भी लाभान्वित कर सकता है,जो अपने राज्य के पिछड़ेपन से दुःखी हैं। तो अब राजनीतिक गलियारे में ये कयास लगाये जा रहे हैं कि शीला दीक्षित को कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिये घोषित करने के बाद पार्टीयों के वोट बैंक पर सेंध जरूर पड़ेगी। जिससे आगमी विधानसभा चुनाव 2017 काफी रोमांचक माना जा सकता है।