एक कहानी : इनकम टैक्स की रेड शर्मा जी के यहां (पार्ट-3)
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राहुल ने इतना कहा ही था कि शर्मा जी ने उसे वहां से जाने के लिए कह दिया। राहुल मना करता रहा किंतु उसे ’जरूरत पड़ेगी तब बुला लूंगा’ कहकर रवाना कर दिया। राहुल कहां चुप रहने वाला था। दूसरे कमरे में जाते ही उसने अपने दोस्त रमेश को फ़ोन लगाया। उसको विस्तार से सब बताया। थोड़ा सोच-समझकर उसने जो बताया उससे तो राहुल के दिमाग में एक नई ख़ुरापात ने जन्म लिया। उसे लगने लगा यही एक मौका है जिससे हम अपनी पूरी लाइफ बदल सकते हैं। यही वो तरीका है जिससे हम अपने सपने पूरे कर सकते हैं। ये सोच-सोच कर वो तो जैसे दिन में ही ख़्वाब देखने लगा। वहां शर्मा जी को ऑफ़िसर की बात पल्ले नहीं पड़ रही थी और वे ये सोच कर घबरा रहे थे कि अब तक ईमानदारी से रहा और अब बजाए इज्जत के बेइज्जती झेलनी पड़ रही है। पता नहीं अब क्या होगा, सबको क्या मुंह दिखाऊंगा, दूसरी तरफ़ इसी बात को लेकर राहुल मुस्कुरा रहा था।
राहुल जल्दी से ये बात शेयर करने के लिए मां को किचन में जाकर देखता है, मां वहां नहीं मिलती। वो बढ़कर दादाजी के कमरे में घुसता है तो वहां परिवार के बाकि सब सदस्य बैठे मिल जाते हैं। जो बहुत परेशान दिख आपस में बात कर रहे होते हैं कि क्या किया जाए, किस प्रकार इस मुसीबत से बचा जाए।
मां सरला अनु से कह रही होती है, ’’तेरे दादाजी ईमानदार, तेरे पिताजी ईमानदार, हम इतनी पूजा-पाठ करते हैं फिर भी हमें इतनी परेशानियां आ रहीं हैं और दूसरी तरफ़ लोग बेईमानी करते हैं, नास्तिक भी होते हैं फ़िर भी वो आनंद में रहते हैं। बेटा मेरा तो भगवान पर से विश्वास ही उठ गया है।’’
दादा विशम्भर दयाल जी जो बहुत देर से चुप थे, सब देख-सुन रहे थे बोल पड़ते हैं, ’’बहु मैं एक बार बाहर जाकर देखूं क्या?’’ सरला जी बोल पड़ीं, ’’बाबूजी आप क्या करेंगे वहां जाकर? आप कुछ समझते तो हैं नहीं, रहने दीजिए।’’ इतने में अनु कहती है, ’’मां राहुल आ गया है, अब ये ही कुछ दिमाग लगाएगा।’’
राहुल ने इन सब की बातें सुन ली थीं। उसको मुस्कुराते हुए देख मां चिढ़ जाती है, ’’राहुल कभी तो सीरियस हो जाया करो। यहां घर में मुसीबत आन पड़ी है और तुमको हंसी आ रही है।’’
राहुल कहता है, ’’मां बातें बाद में करना पहले किचन में जाकर उन लोगों के लिए कुछ चाय-नाश्ते की व्यवस्था करो।’’ ये सुनते ही सरला जी चिढ़ गईं, ’’पागल हो गया है क्या? एक तो वो हमें परेशान कर रहे हैं दूसरा हम उनको नाश्ता कराएं? मुसीबत तो जितनी जल्दी घर से जाए उतना ही अच्छा है।’’
’’मां अब ये परेशानी नहीं रही। ये तो भगवान का भेजा दूत है जो हमारी ज़िंदगी बदलने आया है। अभी पहले तुम नाश्ता तो लगाओ फिर मैं समझाता हूं आप लोगों को।’’
राहुल के इतना कहने पर बहन अनु समझ गई कि भाई के दिमाग में किसी खुरापात ने जन्म ले लिया है जो हमारी मुसीबत का अंत करेगा। इसलिए वह मां को जल्दी से किचन की ओर ले जाती है।
’’मां जल्दी से पहले नाश्ता लगा देते हैं फ़िर राहुल से पूछ लेंगे। चलो मैं भी आपका हाथ बंटाती हूं।’’
मां देख रही थी जो अनु कभी किचन की ओर देखती भी नहीं थी वह किचन में हाथ बंटाने आ रही है और वो दोनों जल्दी से किचन में नाश्ता लगाने चले जाते हैं।
राहुल के दिमाग में क्या चल रहा था? वो क्यों ऐसा कह रहा था कि ये तो भगवान के भेजे यमदूत हैं? जिन इनकम टैक्स वालों के नाम पर अच्छे-अच्छे लोगों को पसीने आ जाते हैं उनको देख अब राहुल मुस्कुरा रहा है। चाहता है कि वो ज्यादा से ज्यादा समय तक उनके यहां रुकें। ऐसे अनेक प्रश्नों ने जन्म ले लिया था जिनके उत्तर भविष्य के गर्भ में ही छुपे हुए थे।
एक कहानी : इनकम टैक्स की रेड… (पार्ट-4)
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