सेल्फी से हो रहीं कई मौतें, ये रखें सावधानियां
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By Abhishek Mehrotra
स्मार्टफोन के चलते जहां ‘दुनिया मुट्ठी में’ की कल्पना साकार हुई है और तमाम सुविधाएं उंगलियों की महज कुछ हरकतों से ही हासिल की जा सकती हैं, वहीं जोश में होश खो देने की हमारी आदत के चलते इससे जिंदगी के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। पिछले दिनों कानपुर में गंगा नदी में एक साथ 11 युवकों के डूब जाने की घटना बताती है कि ये खतरा किस स्तर तक जानलेवा है। ये युवक अपनी जान जोखिम में डालकर नदी के खतरनाक बहाव तक महज इसलिए पहुंच गए ताकि ऐसी सेल्फी ले सकें जिसमें वे दूसरों से अलग दिखें और सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स बटोर सकें। नतीजा भीषण त्रासदी के रूप में सामने आया। वैसे सेल्फी की सनक में जान चली जाने का ये पहला वाकया नहीं है। पूरी दुनिया में एक के बाद एक लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जहां लोगों ने महज एक अच्छी सेल्फी के लिए जिंदगी दांव पर लगा दी और वे मौत के शिकार बन गए। सबसे दुखद ये है कि सेल्फी के चलते मरने वालों में सबसे ज्यादा हम भारतीय ही हैं।
मुंबई में 14 साल का स्कूली छात्र ट्रेन के डिब्बे के ऊपर चढ़ सेल्फी लेने के चक्कर में करंट से झुलसकर दम तोड़ देता है तो रावलपिंडी में चलती ट्रेन के सामने सेल्फी लेने की कोशिश में युवक की जान चली जाती है। रूस में एक किशोर छत से लटककर सेल्फी लेने की कोशिश में मौत का शिकार बन जाता है तो इटली में 16 साल की लड़की ऐसी ही कोशिश में खाई में गिर जाती है। कजाखिस्तान के पर्वतों पर दो लोग एक हैंड ग्रेनेड का पिन निकालकर सेल्फी खींचने की सनक में मारे जाते हैं तो ह्यूसटन में युवक अपने गले पर गन रख सेल्फी खींचने की कोशिश में खुद की ही गर्दन उड़ा देता है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के ये महज चंद उदाहरण हैं। आज हालत ये है कि दुनिया भर में सरकार और प्रशासन के लिए सेल्फी की सनक पाले ऐसे लोग समस्या बन गए हैं। वे न सिर्फ खुद की बल्कि दूसरों की जिंदगी भी खतरे में डाल रहे हैं। मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्री हैरान हैं और इसके कारणों का अध्ययन कर समाधान तलाशने में जुटे हैं।
फरवरी में गूगल न्यूज के जरिए दुनिया भर में सेल्फी से हुई मौतों की खबरों का अध्ययन किया गया तो पाया गया कि ऐसे मामलों में भारत का नंबर सबसे ऊपर है। सेल्फी से पिछले दो साल में मारे गए कुल लोगों में 40 फीसदी से ज्यादा भारतीय थे। उसके बाद रूस, अमेरिका और स्पेन जैसे देश आते हैं। बढ़ते मामलों को देख रूस में बाकायदा कुछ गाइडलाइन्स जारी की गई हैं ताकि सेल्फी लेने की हड़बड़ी में कोई दुर्घटना न हो। इसके तहत नाव में किनारे खड़े होकर, हथियार के साथ, ट्रेन या चलते वाहन से लटकते हुए, सड़क के बीचोबीच आकर, छत से या किसी ऊंचे स्थान से लटकते हुए, फिसलते हुए, या खतरनाक जगह पर, चलती ट्रेन के सामने सेल्फी हरगिज न लें। ये गाइडलाइनें न सिर्फ रूस बल्कि भारत सहित दुनिया के हर हिस्से के लिए अमल के लायक हैं। अगर सेल्फी से हुई मौतों के तरीकों पर बात करें तो सबसे ज्यादा मौते पहाड़ से गिरने और पानी में डूबने से होती हैं। उसके बाद ट्रेन हादसों का नंबर आता है। मुंबई पुलिस ने भी 15 ऐसे प्वॉइंट की पहचान की है जहां सेल्फी लेने को खतरनाक माना जा रहा है। इनमें बैन्डस्टैंड, कार्टर रोड, ससून डॉक, पवई लेक, माहिम किला, अक्सा जैसी जगहें शामिल हैं। यहां सेल्फी के दीवानों पर नजर रखी जाती है और उन्हें आगाह किया जाता है।
वैसे बात सिर्फ खतरे की नहीं है। सेल्फी की ये सनक समाजिक व्यवहार भी तेजी से बदल रही है। पिछले दिनों महानायक अमिताभ बच्चन ने एक ट्वीट में इस बात को लेकर दुख जताया था कि कैसे उनके एक मित्र के अंतिम संस्कार के दौरान भी वहां मौजूद कुछ लोग सेल्फी लेने और फोटो खिंचवाने में मशगूल रहे। मौके के प्रति ऐसी असंवेदनशीलता ने उन्हें हैरान कर दिया था। कुछ समय पहले ही सऊदी अरब में एक किशोर ने अपने दादा के मृत शरीर के साथ सेल्फी लेकर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। चीन में एक व्यक्ति को कथित तौर पर गर्लफ्रेंड की हत्या करने और उसकी लाश के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पिछले साल जनवरी में पेरिस में शार्ली हेब्दो मैग्जीन के दफ्तर पर आतंकी हमले के वक्त एक पुलिसकर्मी सेल्फी लेते पकड़ा गया था तो इसी साल मार्च में इजिप्ट एयरलाइन के पैसेंजर प्लेन के हाईजैक होने से जब दुनिया परेशान थी तब एक यात्री हाईजैकर के साथ सेल्फी खिंचवा रहा था। आज हालत ये है कि आप किसी भी अच्छी जगह घूमने जाएंगे तो वहां उस जगह के सौंदर्य का आनंद लेते कम ही लोग नजर आएंगे ज्यादातर लोग सेल्फी और फोटो खिंचवाने की होड़ में अव्यवस्था का कारण बनेंगे।
सेल्फी की सनक दरअसल सोशल मीडिया की लत से ही जुड़ी हुई है। आज बड़ी संख्या में युवा अपना काफी समय फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी साइटों पर बिता रहे हैं। इस वर्चुअल दुनिया का स्टार बनने का एक ही पैमाना है ज्यादा से ज्यादा फैन फॉलोइंग और लाइक। अब अगर आपकी खुद की शख्सियत ऐसी नहीं है कि आप उसके बल पर ये सब हासिल कर सकें तो आपके पास एक ही रास्ता बचता है और वो है ऐसी सेल्फी जो दूसरों से अलग नजर आए व खास हों। खुद को दिलेर दिखाने की ये होड़ ही ऐसी खतरनाक सेल्फी के लिए युवाओं को प्रेरित करती है।
ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि वहां एक युवा हर रोज औसतन छह सेल्फी लेता है। भारत में जिस तरह स्मार्टफोन की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए हमारे यहां भी ऐसी स्थिति दूर नहीं है। मनोवैज्ञानिक इसके लिए माता-पिता को सजग रहने और समाज को इस समस्या की गहराई समझकर उसपर रिएक्ट करने की सलाह देते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों के इस शौक को उनकी सनक बनने से रोकें। सोशल मीडिया पर बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें और उन्हें सेल्फी के लिए किसी तरह का जोखिम न उठाने दें। इसके अलावा सेल्फी प्वाइंट के नाम से चर्चित हो चुकीं जगहों पर प्रशासन को भी विशेष ध्यान देना पड़ेगा। नदी, रेलवे ट्रैक, ऊंची पहाड़ियों के खतरनाक हिस्सों को नो सेल्फी जोन घोषित करना होगा और उसपर सख्ती से अमल भी करवाना होगा।
अगर ऐसी कोई सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट होती भी है जिसमें यूजर किसी तरह का कोई रिस्क उठाते हुए दिखे तो उसकी फ्रेंडलिस्ट में शामिल यूजरों का फर्ज है कि उसे लाइक करने की बजाय यूजर को ताकीद की जाए कि भविष्य वो ऐसी रिस्क न उठाए और उसकी सेल्फी में उसकी दिलेरी कम और बेवकूफी ज्यादा झलकती है। अस्पतालों में भी ऐसे केस अब आने लगे हैं जिसमें यूजर या उसका परिवार सोशल मीडिया की उसकी लत से परेशान है और इसे छोड़ना चाहता है। सेल्फी मेनिया के एक के बाद एक केस सामने आने के बाद पीजीआई चंडीगढ़ के साइकेट्री विभाग ने 500 नौजवानों पर स्टडी की। इसमें सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर डालने का जुनून और उस पर मिलने वाली प्रतिक्रिया पर चौंकाने वाला रुख नजर आया। ऐसे लोगों के हर दिन की खुशी, उदासी, अकेलापन सब कुछ सेल्फी और उस पर मिलने वाली प्रतिक्रिया से तय हो रही थी। ये एक गंभीर खतरे का आहट है और हम कैसा समाज बनाने जा रहे हैं उसकी चेतावनी भी है। समय चेत जाने का है।
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