क्यों लगता है कि माल्या का इरादा पैसे लौटाने का नहीं?
विजय माल्या दो मार्च को जब देश छोड़कर गये (भागे) तब उनके साथ सात बड़े सूटकेस में भरकर सामान भी गया. जाहिर है उनकी तैयारी जल्दी भारत लौटने की नहीं है. वह भी ललित मोदी की तरह विदेश में रहकर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. देश के तमाम बड़े बैंकों ने उनको विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया है यानी एक ऐसा व्यक्ति जो जानबूझकर बैंकों के पैसे नहीं लौटाना चाहता. माल्या के ऊपर ब्याज सहित 9000 करोड़ रुपये का कर्ज है जबकि एक आकलन के अनुसार उनकी खुद की संपत्ति 1500 करोड़ रुपये से अधिक है. लेकिन यहां एक तकनीकी पेंच है. माल्या की कंपनियों ने जो कर्ज लिया है वह उनकी निजी संपत्ति से नहीं वसूल किया जा सकता है. जिन कंपनियों के नाम पर उन्होंने कर्ज लिया है उनके पास कोई खास संपत्ति नहीं है.
आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि माल्या का इरादा यह पैसा लौटाने का कभी था ही नहीं. इसलिये क्योंकि जिस किंगफिशर एयरलाइंस के नाम पर उन्होंने यह कर्ज लिया है वह कभी भी फायदे में चली ही नहीं. वर्ष 2005 से 2012 तक लगातार घाटे में चलने के बाद यह एयरलाइंस बंद हो गयी लेकिन इसी बीच एक ओर जहां माल्या एयरलाइंस के लिये कर्ज पर कर्ज ले रहे थे वहीं वह निजी जिंदगी में कुछ ऐसे खर्च भी कर रहे थे जो बताते हैं कि माल्या के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी.
आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ उदाहरण जिनसे माल्या की नीयत साफ उजागर होती है:
माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत वर्ष 2005 में अपने बेटे सिद्घार्थ माल्या के 18वें जन्मदिन पर की थी. कुछ साल बाद उन्होंने 1000 करोड़ रुपये लगाकर डेक्कन एयरवेज का अधिग्रहण कर लिया ताकि उनको विदेशों में अपने लक्जरी विमान उड़ाने का लाइसेंस मिल जाये. ऐसा इसलिये क्योंकि विदेशी उड़ान चलाने के लिये कम से कम 5 ासल का अनुभव जरूरी है जो किंगफिशर के पास नहीं था. यह सारा काम वह कर्ज लेकर कर रहे थे लेकिन इस बीच वह अपने पैसे से कुछ और काम कर रहे थे एक नजर डालते हैं उनकी ऐसी ही कुछ गतिविधियों पर:
आईपीएल टीम
विजय माल्या ने वर्ष 2008 में आईपीएल की बेंगलुरू फ्रेंचाइजी खरीदी जिसे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू का नाम दिया गया. यह उस समय आईपीएल की सबसे महंगी टीम थी जिसे 55 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च कर तैयार किया गया था. एक समय इस टीम की ब्रांड वैल्यू 300 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गयी थी.
फार्मूला वन टीम
विजय माल्या ने इससे ठीक एक साल पहले वर्ष 2007 में 72 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च कर फोर्स इंडिया नामक फॉर्मूला वन टीम तैयार की. उन्होंने इसके लिये दुनिया के दिग्गज एफ वन ड्राइवर जुटाये. वह बेंगलुरू में एक एफ वन टै्रक तैयार करना चाहते थे लेकिन संयोगवश ऐसा नहीं हो सका.
रॉयल याच
विजय माल्या याच के बहुत शौकीन हैं. उन्होंने वर्ष 2006 में सैकड़ो करोड़ रुपये खर्च करके एक विशालकाय याच खरीदी. कतर के शाही परिवार से खरीदी गयी इस याच के साज सज्जा पर ही उन्होंने करोड़ो रुपये खर्च किये. करीब 95 मीटर लंबी इस याच को नया नाम दिया गया इंडियन इंप्रेस. इस तीन मंजिला याच में 22 डबल बेड कमरे और दो कारें खड़ी करने का गैराज तब बनाया गया है.
अन्य
माल्या के पास एक बोइंग 727 विमान के अलावा दो छोटे विमान और लक्जरी कारों का एक पूरा का पूरा जखीरा मौजूद है. इतना ही नहीं विंटेज कारों के शौकीन माल्या के पास 260 विंटेज कारें भी मौजूद हैं.
रियल एस्टेट
माल्या ने दुनिया के अलग अलग हिस्सासें में दो द्वीप खरीद रखे हैं. इनमें से एक द्वीप तो उन्होंने सन 2009 में 800 करोड़ रुपये की राशि खर्च करके खरीदा. दुनिया के 10 से अधिक देशों में उनके आलीशान बंगले और फार्महाउस हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि ऊपर जितनी भी संपत्ति की बात हमने की. माल्या ने वह सारी संपत्ति किंगफिशर एयरलाइंस के लिये कर्ज जुटाने के दौरान ही खरीदी. अगर उनकी नीयत सही होती तो वे इस पैसे को यूं विलासिता पर उड़ाने के बजाय अपनी डूब रही कंपनी पर लगाते. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि अपने राजनीतिक संपर्क के बदले उनको पूरा भरोसा था कि वे सरकारी पैसे यानी हम टैक्सपेयर के पैसे लेकर आसानी से हजम कर सकते हैं.
अचल संपत्ति
खबरों के मुताबिक माल्या के पास लक्षद्वीप के निकट एक द्वीप का अधिकार है. उनके पास यूरोप में भी एक द्वीप है. खबरों के मुताबिक मोंटे कार्लो के निकट स्थित इस द्वीप को उन्होंने 2009 में 750 करोड़ रुपये की राशि खर्च करके खरीदा था. माल्या की संपत्तियां दुनिया भर में हैं. इस लिहाज से तो उनको विश्व नागरिक तक कहा जा सकता है. भारत में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और गोवा के अलावा स्कॉटलैंड, मोनाको, न्यूयॉर्क, दक्षिण अफ्रीका और लंदन समेत दुनिया के अनेक शहरों और देशो में माल्या के निजी ठिकाने हैं.
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