प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राह पर अब दूसरे देश भी चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। वेनेजुएला के बाद अब ऑस्ट्रेलिया भी नोटबंदी के फ़ैसले पर विचार कर रहा है। सूत्रों की माने तो ऑस्ट्रेलिया ने अपनी हाई वैल्यु करंसी को चलन से बाहर करने की योजना बना ली है। ऑस्ट्रेलिया भी काले धन की समस्या से जूझ रहा है। इसी से उबरने के लिए वहां की सरकार इस योजना पर गंभीरता से काम कर रही है।
बताया तो यह भी जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने एक विशेष टॉस्क फोर्स का गठन भी कर लिया है। यह टास्क फोर्स ब्लैकमनी को बाहर लाने और हाई वैल्यु करंसी का फ्यूचर सिक्योर करने की योजना पर काम करेगी। ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ी करंसी 100 डॉलर के नोट की है।
बता दें कि भारत और वेनेजुएला के नक्शे कदम पर चलते हुए बुधवार को राजस्व और वित्तीय सेवा मंत्री केली ओ’ डेयर ने इस बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि कुछ निश्चित सीमा तक नगद भुगतान की सीमा तय की जाएगी, ताकि सरकार बिना चुकाए जाने वाले टैक्स को हासिल कर सके। सोमवार को अर्धवार्षिक बजट अपडेट में पूर्व केपीएमजी ग्लोबल चेयरमैन माइकल एंड्रयू की नियुक्ति भी होगी, जो काली अर्थव्यवस्था को देखेंगे। केली ओ’डेयर ने कहा कि, काले धन पर कार्रवाई करना इसलिए जरूरी है क्योंकि हम किसी भी संभावित खामी को दूर कर सकें।
डिजिटल पेमेन्ट्स पर जोर देना चाहते हैं बैंक
पिछले दिनों खबर आयी थी कि ऑस्ट्रेलिया में यूबीएस बैंक ने वहां सौ डॉलर के नोट को बैन करने की मांग की है। बैंक का सुझाव था कि यदि सरकार 100 डॉलर के नोट बंद कर दे तो ये देश की इकॉनमी को सुधारने की दिशा में एक पॉजिटिव पहल होगी। बैंक का ये भी कहना था कि बैंकों में रकम जमा करने के काम में तेजी आ रही है, जिसके चलते काम का दबाव बिना वजह के बढ़ रहा है। अच्छा होगा कि डिजिटल और कैशलैस पेमेंट को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए भी बड़े नोटों को बंद करना ज़रूरी है। ग़ौरतलब है कि 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था।