कलम से क्रांति लाने वाले कवि थे पाश
क्रांतिकारी तो देश में कई हुए है जिन्होंने अपनी बंदूक की नोक पर कई जंगे लड़ी है लेकिन एक कवि ऐसा भी है जिसने अपनी कलम की नोक पर एक अलग ही क्रांति ला दी। ये कवि थे अवतार सिंह संधु उर्फ ‘पाश’। इनका जन्म 9 सितंबर 1950 को पंजाब के तलवंडी सलीम में हुआ था। पंजाब के इस शेर ने अपनी कलम के दम पर ऐसा जादू किया कि लोग इनकी कविताओं के मुरीद हो गए। इनकी कविताओं को आज भी पसंद किया जाता है। 9 सितंबर को इनके जन्मदिन पर हम आपको पढ़ाने जा रहे है इनकी कुछ क्रांतिकारी कविताएं….
हर किसी को नहीं आते
बेजान बारूद के कणों में
सोई आग के सपने नहीं आते
बदी के लिए उठी हुई
हथेली को पसीने नहीं आते
शेल्फ़ों में पड़े
इतिहास के ग्रंथो को सपने नहीं आते
सपनों के लिए लाज़मी है
झेलनेवाले दिलों का होना
नींद की नज़र होनी लाज़मी है
सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते