Sunday, September 10th, 2017 15:17:37
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सैरोगेट मदर्स के लिए वरदान है गुजरात की ये “बेबी फैक्ट्री”




सैरोगेट मदर्स के लिए वरदान है गुजरात की ये “बेबी फैक्ट्री”Social

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हाल ही में फिल्म डायरेक्टर करण जौहर दो बच्चों के पिता बने, इससे पहले तुषार कपूर भी सैरोगेसी के जरिए एक बच्चे लक्ष्य के पिता बन चुके हैं। इतना ही नहीं शाहरूख खान, आमिर खान जैसे अभिनेता भी इस लिस्ट में टॉप पर हैं। इन में से कुछ अभिनेता यदि मैरिड हैं, तो कुछ ने अनमैरिड होते हुए सैरोगेसी की मदद से बच्चों के पिता बने। पर क्या आप जानते हैं कि ये सैरोगेट मदर्स आखिर रहती कहां हैं। यदि हम आपसे कहें कि एक जगह ऐसी है जिसे बेबी फैक्ट्री कहा जाता है तो शायद आपको यकीन न हो, लेकिन ये बेबी फैक्ट्री उन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो बच्चों को जन्म देती हैं। यानि की यहां रहती हैं सैरोगेट मदर्स। ये बेबी फैक्ट्री गुजरात में है। यहां पर सैरोगेसी के जरिए बच्चों का जन्म होता है और 9 महीने तक सैरोगेट मदर्स की पूरी देखरेख का जिम्मा इस बेबी फैक्ट्री का होता है।

गुजरात के आणंद गांव में ये आश्रम बना हुआ है। यहां पर डॉ.नयन पटेल इस आश्रम की देखरेख करती हैं। सैरोगेट मांओं की देखभाल से लेकर उनके स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से लेकर उनकी डिलीवरी तक वे खुद ही कराती हैं। आपको बता दें कि यहां ज्यादातर गरीब परिवार की औरतें ही आती हैं, जो आर्थिक हालातों से गुजर रही होती हैं। सैरोगेट मदर बनकर उन्हें लाखों रूपए मिलते हैं। अस्पताल में इन माओं के लिए एक नर्सिंग स्टाफ भी रहता है जो समय-समय पर इनकी दवाइयों का ख्याल भी रखता है। इस बेबी फैक्ट्री की खास बात ये है कि बच्चा पैदा होने के बाद केवल 10 सैकंड तक ही उन्हें ये बच्चा दिखाया जाता है।

18 लाख तक वसूलते हैं दंपत्ति से-

आज केवल इन महिलाओं की वजह से कई परिवारों में किलकारियां गूंज रही हैं। वर्तमान में इस आश्रम में 100 से भी ज्यादा सैरोगेट मदर्स एक साथ रह रही हैं। यहां पर सैरोगेट मदर के लिए फीस व रूल भी फिक्स हैं। कोई भी महिला तीन बार से ज्यादा प्रेग्नेंट नहीं हो सकती। इसके अलावा यहां सैरोगेसी अगर सफल होती है, तो मां चाहे तो दंपत्ति से 18 लाख रूपए तक वसूल सकती है। रोचक बात तो ये है कि अगर सैरोगेट मदर जुड़वा बच्चों को जन्म देती है तो उसे करीब सवा छह लाख रूपए दिए जाते हैं। जबकि अगर किसी स्थिति में मिसकैरेज हो जाए तो उसे 38 हजार रूपए देकर  भेज दिया जाता है।

आत्मनिर्भर बनती हैं महिलाएं-

इस आश्रम में उन नौ महीनों में महिलाओं को कड़ाई, बुनाई आदि जैसे काम सिखाए जाते हैं। डॉ.नयन पटेल का कहना है कि ऐसा करने से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगे। वे कहती हैं कि अब लोग इस आश्रम को बेबी फैक्ट्री बुलाते हैं। पर उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। खुशी की बात तो ये है कि अब देश से नहीं बल्कि विदेशी दंपत्ति भी यहां सैरोगेट बेबी लेने आ रहे हैं।

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