ट्रंप से पहले ही क्रांति ला चुके थे ठाकरे, ऐसी थी बाल ठाकरे की लाइफ
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लोग भी बड़े अजीब है जो कुछ अलग कर जाता है उसे याद रखते है और जो रोज एक ही काम करता रहता है उसे कोई याद ही नहीं रखता। इस समय दुनियाभर की नज़र अमेरिका पर टिकी हुई हैं डोनाल्ड ट्रंप ने आते ही ‘आरेकल’ पर जुर्माना लगा दिया वो भी गोरो को नौकरी में भेदभाव करने के लिए। ट्रंप ने पहले ही कहा था कि वो अमेरिका में अमेरिकियों को पहले नौकरी देंगे इसके बाद दूसरे देश के लोगों को और अपने इसी कहे अनुसार ही वो चल भी रहे है।
जरा सोचिए आपको क्या लगता है ट्रंप ऐसा क्यों कर रहे है क्या इससे उनका कोई निजी फायदा जुड़ा है। शायद आपका जवाब नहीं होगा। इसका सीधा सा कारण है कि अगर वो अमेरिका में देश के निवासियों को पहले नौकरी देंगे तो देश से बेरोजगारी कम होगी और बेरोजगारी कम हो तो बहुत सी निगेटिव चीज़ें कम की जा सकती है।
आप आप अपने आस-पास ही देख लीजिए। आपके शहर में ही दूसरे शहरों और राज्यों के लोग आकर नौकरी करते है। जिससे कॉंपीटिशन बढ़ जाता है और नौकरियां कम होने लगती है भारत में भी एक इंसान ऐसा है जिसने ट्रंप की तरह ही कार्य किया था और वे थे शिवसेना प्रमुख बाल साहब ठाकरे।
शिवसेना को आज जमाना कुछ भी बोले पर इसका मकसद साफ है जो मराठी मानुष यानी मराठी लोगों के हितों में काम करता है। बाल साहब ठाकरे भी मराठी लोगों का भला ही चाहते थे इसलिए उन्होंने एक ऐसा संगठन बनाया जो मराठी लोगों को सशक्त कर सके। आज शिवसेना को पूरा महाराष्ट्र मानता है।
बाल ठाकरे को हिंदुत्व की वकालत करने वाला कहा जाता है, उन्हें कट्टर हिंदूवादी भी कहते कई लोग नज़र आते है सब अपनी जगह ठीक है और बाल ठाकरे अपनी जगह ठीक। बाल ठाकरे उन प्रबुद्ध वर्ग के लोगों में से एक है जिन्होंने उस समय के लोगों की सबसे बड़ी समस्या को दूर किया था।
बाल ठाकरे खुद पहले एक कार्टूनिस्ट हुआ करते थे। उन्होंने पहले फ्री प्रेस में और फिर टाइम्स ऑफ इंडिया में कार्टूनिस्ट की नौकरी की। लेकिन नौकरी उन्हें कुछ जमी नहीं तो उन्होंने रिजाइन कर दिया। इसके बाद 1960 में उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर साप्ताहिक अखबार मार्मिक शुरू किया।
1950 में ही मुंबई में मराठी लोगों के लिए नौकरियां मिलना कम हो गई मुंबई में साउथ इंडियन लोगों को नौकरी में प्राथमिकता मिलने लगी। हालांकि मराठी लोग भी हायर एजुकेशन ले रहे थे लेकिन उन्हें साउथ इंडियन लोगों के मुकाबले कम नौकरी मिल रही थी। बाल ठाकरे ने अपने अखबार मार्मिक के माध्यम से इसके खिलाफ जंग छेड़ दी।
इस अखबार में अपनी परेशानी को छपता देख उस जमाने के युवा उनके पास अपनी बातें लेकर आने लगे। ये युवा पढ़े-लिखे तो थे लेकिन मराठी थे और नौकरी के लिए पहली प्राथमिकता साउथ इंडियन को थी। उन्होंने बताया कि इस तरह से तो हमारे राज्य की सारी नौकरियां साउथ इंडिया वाले ही ले जाएंगे अब सिर्फ लिखने से ही काम नहीं चलेगा।
साल 1966 में बाल ठाकरे ने शिवाजी पार्क में ‘शिवसेना’ का बिगुल बजा दिया। शिवाजी पार्क में उन्होंने शिवाजी की सेना का निर्माण किया। एक ऐसी सेना जो मराठाओं का स्वरूप दर्शाती है, जो मराठाओं को सशक्त करती है। शिवसेना जब बनी तो इसके बाद बाल ठाकरे मुंबई में अपनी पहुंच बनाने लगे। जगह-जगह शाखाएं खोली गई और सारी समस्याएं निपटाई जाने लगी।
कई लोग मानते है कि बाल साहेब ठाकरे और उनका संगठन शिवसेना मुस्लिम विरोधी है। इस पर बाल ठाकरे ने साल 1999 में कहा था कि ‘‘हम सभी मुस्लिमों के विरोधी नहीं हैं। हम सिर्फ पाकिस्तान परस्त, जिहादी और देशद्रोही मुस्लिमों के ही विरोधी हैं। कहा जाता है कि बाल ठाकरे शाहरूख के भी विरोधी थे।
अमिताभ और बाल ठाकरे के बीच भी गहरा नाता है। जब अमिताभ बच्चन का नाम बोफोर्स मामले में सामने आया था तब अमिताभजी बाल ठाकरे से मदद मांगने गए। तब ठाकरे ने अमिताभ से पूछा ‘‘क्या आप दोषी हैं’’ तो अमिताभ ने उत्तर दिया ‘‘नहीं’’। तब ठाकरे ने कहा कि आप एक अभिनेता है जाइए अपना काम कीजिए आपको कुछ नहीं होगा। अपने वादे को पूरा करते हुए बाल ठाकरे ने उन्हें जेल जाने से बचाया।
वैलेंटाइन पर प्रेमी जोड़ों को घूमते हुए पकड़ने को भी लेकर उनका काफी विरोध किया जाता रहा है। 2006 में उनके किसी कार्यकर्ता ने एक महिला पर हाथ भी उठाया था। इसी पर ठाकरे ने माफी मांगते हुए कहा था कि ‘‘मैने शिवसैनिकों से कहा है कि किसी भी स्थिति में महिलाओं को हानि नहीं होनी चाहिए। महिलाओं को मारना कायरता का प्रतीक है।’’
उन्हें देश और देश के हालातों की काफी चिंता रहती थी अपने आखिरी दिनों में भी उन्होंने अपनी संपादकीय में लिखा था कि ‘‘आजकल मेरी हालत चिंताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे अधिक चिंताजनक है। ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूं।’’ ठाकरे साहब एक ऐसी हस्ती थे जिनके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है उनके जन्मदिन पर बस यही प्रार्थना है कि दुनिया में कुछ लोग ठाकरे साहब जैसे भी होने चाहिए जो दुनिया बदलने की हिम्मत रखते हो।
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