यह वारदात बीते शुक्रवार को हुई बेंगलुरु के इस आॅटो ड्राइवर पाशा के साहस के कारण एक और निर्भया कांड होने से बच गया। ये पूरी घटना 45 मिनट में ख़त्म हो गई। बाद में पता चला कि वो लड़की दूसरे शहर से बेंगलुरु आई थी और अपने कज़न के साथ थी। लड़की और उसके रिश्तेदार चित्रदुर्ग इलाके के रहने वाले हैं और वे गुरुवार को ही हुसुकुर के पास अपने रिश्तेदार के यहां आए थे। उन्हें रिश्तेदार के घर का पता नहीं मालूम था, उन्होंने उसी दिन वापस चित्रदुर्ग जाने का फैसला किया। जब उन्हें मालूम चला कि ट्रेन रात 12 बजे की है, तो वे स्टेशन के बाहर आ गए। स्टेशन के बाहर पुल के पास एक ऑटो रिक्शा में 3 लोगों ने उन्हें रोका।
यह है पूरा वाक़या, हैवानियत पर जीती इंसानियत
हुआ यूँ कि असगर पाशा यशवंतपुर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ा था। पाशा को सामने की तरफ फ़याज़ नाम का एक दूसरा आॅटो चालक किसी शख्स से हाथापाई करता और उलझता हुआ दिखा। अगले ही पल फ़याज़ तथा कुछ लोगों ने उस आदमी को बुरी तरह पीट कर अधमरा कर दिया। इसके बाद वो उसके साथ वाली लड़की को घसीट कर ले जाने लगे। पाशा जानता था, कि अगर वो अकेले उस लड़की को बचाने जाता है, तो वो उसे आसानी से मार देंगे।
पाशा भाग कर अपने तीन दोस्तों को बुला कर लाया। जब वो वापस लौटा तो उस रोड पर लड़की और गुंडे नहीं थे, आस पास की जगहों पर भी जब वो नहीं दिखे तो पाशा ने पुलिस को फ़ोन कर दिया। पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और स्टेशन के पास के एक खाली गोडाउन में रेड मार दी। वो लोग लड़की को लेकर वहीं गए थे और सामूहिक रेप की पूरी कोशिश में थे। पुलिस ने फैयाज और जुबैर नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पार्ट टाइम ऑटो रिक्शा चलाने का काम करते हैं। मुख्य आरोपी फैयाज एक ऑटो ड्राइवर है। वह आपराधिक प्रवृत्ति का है। पुलिस तीसरे संदिग्ध आरोपी सलमान को पकड़ने की कोशिश कर रही है।
पाशा की हिम्मत की सब दे रहे दाद, मिला इनाम
शहर के पुलिस कमिश्नर टी सुनील कुमार ने पाशा को इस काम के लिए 5,000 रु. का इनाम दिया और साथ ही लड़की को खोज निकालने वाली टीम के लिए भी 25,000 रु. नकद पुरस्कार की घोषणा की। पुलिस अधिकारी ने कहा कि असगर जैसे लोगों को पुलिस की मदद करने के लिए आगे आना होगा तभी समाज में गलत काम करने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है। असगर पाशा ने कहा कि मैं तीनों आरोपियों को जानता हूं। देर रात मैं अपने ऑटो पर बैठा था, तभी मैंने देखा कि दो लोग पीड़िता के रिश्तेदार के पीट रहे हैं और मुख्य आरोपी फयाज लड़की को जबरदस्ती घसीटकर ले जा रहा है। तभी मैंने लड़की को बचाने का फैसला किया।
असगर का कहना है कि फयाज जैसे लोगों की वजह से ही शहर के ऑटो ड्राइवर्स बदनाम हो रहे हैं। पाशा की हिम्मत की सब दाद दे रहे हैं, पर अब उसे अपनी जान का खतरा है। पाशा के अनुसार मैं चाहता तो चुप रह सब देख सकता था क्योंकि फ़याज़ मेरा जानने वाला था, पर मैंने ऐसा नहीं किया। अब जब अपराधियों के खिलाफ़ कार्यवाही हो चुकी है, मुझे अपनी जान का ख़तरा है। मुझ पर इसका कोई फ़र्क नहीं पड़ता, लेकिन मैं पुलिस से दरख्वास्त करूंगा कि अगर ऐसा कुछ होता है तो न्याय जरूर होना चाहिए।