पैन कार्ड अर्थात परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) वाले कार्ड को जारी तो इन्कम टैक्स विभाग करता है लेकिन यह हमारी वित्तीय साख का साक्ष्य होने के साथ ही देश के विभिन्न कार्यवाहियों की औपचारिकताओं में भी हमारी पहचान सुनिश्चित करता है। लेकिन शायद आप यह नहीं जानते कि पैन नंबर का लापरवाही से किया गया इस्तेमाल आपको जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। कैसे? तो जान लीजिये, आयकर कानून के तहत अगर इन्कम टैक्स रिटर्न (ITR) के असेसमेंट में पैन नंबर की जानकारी मैच नहीं होती, या फिर टैक्स पेयर गलत जानकारी देता है तो इस पर सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।
7 साल की कैद एवं 20,000 रु. जुर्माने के कानून
आयकर कानून की धारा 114 (B) के तहत तय सीमा से अधिक के वित्तीय लेन-देन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है। लेकिन कई बार लोग ऐसे वित्तीय लेन-देन के दौरान अपने पैन कार्ड का प्रयोग करने से बचते हैं। या कभी गलत पैन नंबर भी डाल देते हैं। लेकिन अगर टैक्स असेसमेंट के दौरान आयकर विभाग की नजर इस पर पड़ती है, तो यह चूक बहुत भारी पड़ सकती है। आयकर कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति पैन कार्ड की गलत जानकारी देता है, तो उस पर 20,000 रु. का जुर्माना लग सकता है। और यदि ITR फाइल करते समय अगर 25 लाख रु. से अधिक के अमाउंट का विवरण नहीं दिया, तो ऐसी स्थिति में 6 महीने से लेकर 7 वर्ष तक की सश्रम कारावास की सजा मिलती है।
आपके नॉलेज के लिए अहम् बातें
आपके नॉलेज में लाना चाहते हैं कि 5 लाख रु. से ऊपर की प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने पर (खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए) कागजात में सही पैन नंबर इंगित करना और सम्बंधित विभागों को बताना जरूरी है। इसके अलावा अगर आप 5 लाख रु. से अधिक की ज्वेलरी खरीदते हैं, तो भी इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट को पैन नंबर के का रेफरेंस देते हुए जानकारी देना होती है। इसके अलावा अगर आप होटल में ठहरते हैं, और उसका बिल 25 हजार रु. से अधिक बना है, तो बिल भुगतान के समय पैन का रेफरेंस अनिवार्य होता है। बड़े-बड़े वित्तीय लेन-देन में पैन नंबर का इस्तेमाल होता है। इसमें किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए लेन-देन के बारे में सारी जानकारी होती है। पैन का रेफरेंस देने पर ही टैक्स का भुगतान, टैक्स का आकलन, टैक्स की बकाया राशि आदि को कैल्कुलेट किया जाता है। साथ ही टैक्सपेयर का निवेश, कर्ज और अन्य व्यवसायिक गतिविधियों का भी पूरा कच्चा चिट्ठा पैन कार्ड से पता चल जाता है। आयकर विभाग इसकी मदद से टैक्स चोरी का पता भी लगा सकता है।
पैन होने के फायदे और पैन ना होने के नुकसान
अगर वित्तीय लेन देन के दौरान पैन नहीं दिया जाता है, तो उस स्थिति में सम्बंधित विभाग लेन-देन की प्रक्रिया को वहीं रोक सकता है। वहीं जहाँ जॉब करते हैं, वहां पैन रेफरेंस नहीं देते हैं तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। जैसे कि अगर 25 वर्षीय कार्तिक किसी कंपनी में काम कर रहा है और उसने अपना पैन नंबर नहीं दिया तो उसका TDS 20% कटेगा, भले ही उसकी टैक्सेबल इनकम 10% ही क्यों न हो! TDS की राशि को प्राप्त करने (Refund) के लिए भी पैन के माध्यम से रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होता है। पैन न होने की स्थिति में आप न तो रकम पा सकते हैं और न ही उस रकम के लिए टैक्स डिपार्मेंट में दावा कर सकते हैं।
यह इंगित करता है पेन नंबर का प्रत्येक डिज़िट
पैन के पहले 3 डिजिट अंग्रेजी लेटर होते हैं। ये AAA, ZZZ या कुछ भी हो सकते हैं। यह तीनों डिजिट कौन-से होंगे इसे आयकर विभाग तय करता है। पैन का चौथा डिजिट भी अंग्रेजी का शब्द होता है। यह धारक के स्टेटस को बताता है। पैन में स्थित पांचवां डिजिट भी एक अंग्रेजी शब्द होता है, यह धारक के सरनेम (उपनाम) के हिसाब से तय होता है। अगले चार डिजिट 0001 से लेकर 9999 तक कुछ भी हो सकते हैं। ये नंबर मौजूदा समय में आयकर विभाग में चल रही सीरीज को दर्शाते है। इसका आखिरी डिजिट अल्फाबेट होता है, जो कुछ भी हो सकता है।