किसी भी शहर , नगर या ग्राम में निस्तार का पानी नालियों या सीवर लाइन के माध्यम से नदियों तक पहुँचता है । इस बात में मुख्य बात निस्तार का पानी । निस्तार का पानी हर घर से निकलता है इसमें नहाने , कपड़ा धोने बर्तन मांजने आदि का पानी होता है तो कुछ घरों में इसे लैट्रिन टैंक से कनेक्ट कर घर के बाहर निकाल दिया जाता है ।
सभी घरों में रूटीन वेस्ट वाटर की पाइप अलग कर लें और टैंक की लाइन अलग कर लें जिससे आपको किसी भी प्रकार की घृणा नही रहेगी आपका वेस्ट वाटर जब घर के बाहर हो रहा उससे पहले घर मे एक बड़ा सा वाटर टैंक बनाये जिसमे वो पानी स्टोर हो सके उसमे कम से कम आपके 4 से 5 दिन के उपयोग का पानी आ सके इतना बड़ा वाटर टैंक अवश्य बनाये लेकिन इसमें वेस्ट ( उपयोग किये या गंदे पानी ) सीधा नही डालना है ।
जैसे मान लिया जाए आपके पानी का आउटलेट 4″ का है टैंक से 6 फीट पहले 1 फीट चौड़ी और 5″ ऊंची नाली बनाकर उस नाली के सहारे टैंक तक आने देना है नाली के एंड म् टैंक से 6″ पहले एक रेत और कच्चे कोयले की 5″ की दीवार उस पानी के सामने बनाना है जिससे आपका उपयोग किया पानी फ़िल्टर होकर एवं एकदम साफ होकर ( रंग के अंतर्गत ) टैंक में गिरे उस टैंक में एकत्र हुए पानी को आप अपनी बगिया में हाथ से या एक छोटी सी वाटर मोटर लगाकर डाल सकते है या अपनी छत पर स्टोरेज टैंक में चढ़ाकर बगीचे में दे सकते हैं इसके अतिरिक्त आपका पानी होगा तो टैंक भरता और आपकी उपयोगिता नही है तो नगर निगम या नगर पालिका के नियत नंबर पर फोन लगा कर 24 घंटे पहले सूचित कर दे तो कहे वो आपके यहां का एकत्र पानी ले जाकर कही और उपयोग कर सके इसके लिए अपने ओवर फ्लो सिस्टम में एक पाइप टैंक की तली तक लगाते हुए उससे हौज निप्पल जोड़े जिससे नगर पालिका घर के पीछे से या बाहर से आपका जमा पानी अपनी वाटर मोटर से बिना किसी परेशानी के ले सके और उस पानी से शहर के वृक्षारोपण कंस्ट्रक्शन आदि में दिया जा सकता है इसमें मेरा मूल उद्देश्य जमीन पर पानी की कीमत करे वो हमारी कीमत बड़ा देगा ।
ये तो हुई घरेलू बात अब संस्थागत बात
यहॉं से बात मुद्दे की सभी शहर नगर और ग्रामों के नालों का एक ही हश्र होता है कि वे नदी में जाकर मिलते है और अपार शुद्ध जल राशि को अशुद्ध करते हुए उसे पूर्णतः गंदा करते हुए उपयोग के नाकाबिल कर देते हैं । अब समस्या ये बनती है कि नाले से आता हुआ इतना पानी जाए कहाँ ?
1. जो भी नाला नदी तक पहुँच रहा हो उसे नदी से कुछ दूर पहले उसकी वास्तविक चौड़ाई से 3 गुना कर दें क्योंकि हम फ़िल्टर प्लांट नहीं लगा सकते इसलिए प्राकृतिक तरीके से गंदे पानी को फ़िल्टर करेंगे और फिल्टर की प्रक्रिया स्लो होती है इसलिए आते हुए पानी का आवेग उसमें समाहित हो सके ।
2 चौड़ाई बड़े नाले में एक अनुमानित दूरी पर पहली पार बड़े बोल्डर की बनायेगे बोले तो बोल्डर का स्टॉप डैम जिसमे से गंदा पानी तो निकल जाए लेकिन पानी के साथ आई हुई मोटी गंदगी को वही रोक ले ।
3 दूसरा स्टॉप डैम बजरे ( नदी की रेत में पाई जाने वाली गोल गिट्टी ) का बनाएंगे जिससे बारीक कचरा फिल्टर होकर पानी आगे बड़े ।
4 तीसरा स्टॉप डैम रेत का बनाएंगे जिसमे पानी बिल्कुल साफ होकर निकले
5 इसके बाद भी पानी नदी में नही जाएगा उस पानी को एक तालाब जैसे बड़े टैंक में इकठ्ठा किया जाएगा फिर उस पानी का शहर में नगर में ग्राम में कंस्ट्रक्शन में दिया जाए या शहर में वृक्षारोपण में किया जाए या लगे हुए पेड़ो में दिया जाए कुल मिलाकर पानी नदियों में नही जाना चाहिए ।
लेकिन विषम परिस्थितियों में पानी टैंक से ओवरफ्लो होकर निकले उसमे कोई दिक्कत नही ” बस उस संस्था का प्रण यही होना चाहिए कि हमारे क्षेत्र का पानी हमने रोककर हमारे क्षेत्र में उपयोग कर लिया. संस्थाओं के बाद सारे कल कारखाने अपने यहां से निकलने वाले पानी को ट्रीटमेंट करके ही निकाले जिससे उसमे केमिकल की किसी प्रकार की अशुद्धि ना हो उस पानी का उपयोग ऊपर बताए गए दिशा निर्देश के अनुसार करें अगर उक्त जलराशि ज्यादा होती है तो पास के खेत वाले को देकर उसकी एनर्जी बचाये एक सुंदर कल का आगाज़ करें.
लेखक- मनोज राठी