मृत्यु के देवता यमराज से तो हर किसी को डर लगता है लेकिन मौत तो एक दिन सबकी आनी है और यमराज से तो सबका सामना होना है।मृत्यु जीवन का एक ऐसा सच है, जिसे नकारा नहीं जा सकता और ना ही इसे होने से रोका जा सकता है। हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु कब होगी, कैसे होगी और मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाएगी, इस सबका संबंध यम देव से है। यमराज को ‘मार्कण्डेय पुराण’ के अनुसार दक्षिण दिशा के दिक्पाल और मृत्यु का देवता कहा गया है।
यमदेव के बारें में लोग ज्यादा तो नहीं जानते है लेकिन पुराणों में यमराज के बारे में जानकारी मिलती है। पुराणों के अनुसार यमराज का रंग हरा होता है और वे लाल वस्त्र धारण करते है। उनकी सवारी भैंसा है और उनके हाथों मे गदा होती हैं।
मृत्यु के देवता यमराज के अलावा ‘चित्रगुप्त’ को भी मृत्यु के संबंध में याद किया जाता है। कहा जाता है कि चित्रगुप्त यमराज के मुंशी है। वे यमलोक में प्रत्येक मनुष्य के कर्मो का लेखा-जोखा रखते है। चित्रगुप्त मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मो को अपनी बही में लिखते है जिसे ‘अग्रसंधानी’ कहा जाता है।
अभी तक हमें सिर्फ यही पता है कि मृत्यु के देवता यमराज सिर्फ एक ही हैं लेकिन पुराणों में यमदेव के बारें में कुछ आश्चर्यजनक जानकारी दी गई है। पुराणों के अनुसार 14 यम माने गए है-यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुम्बर, दध्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त। आजतक आपने केवल यम देव के बारे में ही सुना होगा, लेकिन वे स्वयं इतने प्रकार के हैं।
क्या आपने कभी यमराज के मंदिर के बारें में सुना है। शायद बहुत ही कम लोग ही जानते है कि यमराज के मंदिर भी होते है। यमराज, देव है और देव की आराधना की जाना जरूरी है। भारत के कई हिस्सों में यमराज के मंदिर है जहां पर यमदेव की पूजा होती है। तो आइए आपको बताते है यमदेव के मंदिर के बारें में…
यम मंदिर, भरमौर
यमराज का यह मंदिर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नाम स्थान पर स्थित है जो एक भवन के समान है। मान्यता हैं कि यहीं पर व्यक्ति के कर्मों का फैसला होता है। इस मंदिर में व्यक्ति के कर्मों का फैसला होता है। यमराज का नाम धर्मराज इसलिए पड़ा क्योंकि धर्मानुसार उन्हें जीवों को सजा देने का कार्य प्राप्त हुआ था।
यमुना-धर्मराज मंदिर, मथुरा
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमुना तट पर विश्राम घाट के पास स्थित है। इस बहन-भाई का मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यमुना और यमराज भगवान सूर्य के पुत्री और पुत्र थे। इस मंदिर में यमुना और धर्मराज जी की मूर्तियां एक साथ लगी हुई है। ऐसी पौराणिक मान्यता है की जो भी भाई, भैया दूज (भाई दूज) के दिन यमुना में स्नान करके इस मंदिर में दर्शन करता है उसे यमलोक जाने से मुक्ति मिल जाती है। इसकी पुराणों में एक कथा भी है जोकि बहन भाई दूज अर्थात यम द्वितीया के दिन सुनती है।
यमदेव मंदिर, ऋषिकेश
उत्तर प्रदेश के ऋषिकेश में स्थित यमराज का यह मंदिर भी बहुत ही प्राचीन है। यहां गर्भगृह में भगवान यमराज की स्थापित मूर्ति लिखने की मुद्रा में विराजित हैं और इसके आसपास स्थित अन्य मूर्तियों को यमदूत की मूतियां माना जाता है। हालांकि यमराज के बाईं ओर एक मूर्ति स्थापित है, जो चित्रगुप्त की मूर्ति है।
श्रीऐमा धर्मराज मंदिर, तंजावुर
यह मंदिर तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह हजारों वर्ष पुराना है।