भारत परंपरा से जुड़ा हुआ देश, कभी ये परम्पराएं पुरानेपन या रूढ़िवादिता का अहसास कराती है, लेकिन कभी एक दम आधुनिक या आजाद ख्याल संस्कृति की झलक भी दिखला जाती है। आज हम आपको एक ऐसे आध्यात्मिक स्थान से रूबरू करना चाहते हैं, जहाँ पवित्र प्रेम की रक्षा होती है क्योंकि प्रेम का रिश्ता सर्वश्रेष्ठ होता है। आइये चलते हैं दो परायों को अपना बनाने वाले उस प्रेम के रक्षक भोले की नगरिया :-
पांडव कालीन शंघचुल महादेव मंदिर
भारत का बेहद खूबसूरत राज्य है हिमाचल प्रदेश और इसी तरह ही यहां के लोगों के सुंदर मन के जैसे ही सुंदर हैं उनके रीति-रिवाज और मान्यताएं। इस लेख में हम बात करने वाले हैं कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के शांघड़ गांव में स्थित भगवान शिव के ऐसे मंदिर की जहां दो प्यार करने वाले प्रेमियों, विशेषकर घर से भागे प्रेमियों को आश्रय और रक्षण प्राप्त होता है। साथ ही नहीं उन्हें महादेव का आशीर्वाद भी मिलता है। मंदिर के बारे में आगे बताने से पहले हम आपको ये भी बता दें कि इस गांव में ऐसी कई धरोहरे हैं, जिनका संबंध पांडव काल से है। शिव जी को समर्पित यह शंघचुल महादेव मंदिर भी पांडवों के समय से ही मौजूद है।
मंदिर की सीमा में कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता
भोले बाबा के इस मंदिर की खासियत या कह लीजिए सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ऐसे प्रेमी जोड़े जो विवाह करने के उद्देश्य से घर से भागकर यहां आए हैं, वे जब तक इस मंदिर की सीमा में रहते हैं, कोई उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। इतना ही नहीं भागे हुए प्रेमियों के परिजन या उनके माता-पिता कितना ही क्रोधित क्यों ना हो जावें, वे भी इन्हें कुछ नहीं कह सकते। इस मंदिर का केम्पस करीब 100 बीघा में फैला हुआ है, मंदिर परिसर में पहुंचते ही प्रेमी जोड़े सुरक्षित हो जाते हैं, उन्हें भोले बाबा की शरण में आया हुआ मान कर अपने परिरक्षण में ले लिया जाता है।
मंदिर के पुजारी उनकी खातिरदारी करते हैं
यहां के लोग अपनी मान्यताओं और विरासत के लिए बहुत कठोर माने जाते हैं, यही वजह है कि यहां आज भी पुलिस का आना प्रतिबंधित है। साथ ही यहां शराब या अन्य कोई अन्य मादक पदार्थ या फिर चमड़े का सामान लेकर आना भी प्रतिबंधित है। यहां किसी भी तरह का हथियार लाना वर्जित है और साथ ही ऊंची आवाज में बोलना भी उचित नहीं माना जाता। आपको बता दें कि घर से भागकर यहां पनाह पाए प्रेमी जोड़े मंदिर के मेहमान माने जाते हैं और वे जब तक यहां रहते हैं, तब तक मंदिर के पुजारी उनकी खातिरदारी करते हैं।
प्रचलित किंवदंती
इस मंदिर के विषय में भी एक किंवदंती प्रचलित है जिसके अनुसार अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आकर रुके थे। तब कौरव उनका पीछा करते हुए यहां पहुंचे, लेकिन महादेव ने उन्हें मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया और साथ ही यह भी कहा कि यह मेरा क्षेत्र है और जो भी यहां आएगा मैं उसकी रक्षा करूंगा। भगवान शिव के भय से कौरवों को वापस लौटना पड़ा। उस दिन से अब तक जब भी कोई ऐसा व्यक्ति यहां आता है, जिसे समाज ने ठुकरा दिया हो या जिनके प्रेम को स्वीकार नहीं किया गया है, तो ऐसे लोगों को इस मंदिर में शरण दी जाती है और वे यहां पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं।
ये है प्रकृति सुंदरता से परिपूर्ण प्रेम शंघचुल महादेव मंदिर क्षेत्र –