जब कॉलेज में भाषण की जगह गाना सुनाने लगे थे भूपेन
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भूपेन एक ऐसे कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते, कंपोज करते और फिर इसे खुद ही गाते थे। संगीत के अलावा कविता लेखन, पत्रकारिता और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी इनकी गहरी पकड़ थी।
प्रतिभा के धनी इस कलाकार का जन्म 8 सितंबर, 1926 को भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम के सादिया में हुआ। बचपन से ही भूपेन हजारिका एक बहुमुखी प्रतिभा से धनी थे। इन्होंने बचपन में अपना पहला गीत लिखा और महज दस साल की उम्र में उसे गाया। असमिया भाषा की फिल्मों से भी इनका जुड़ाव बचपन में ही हुआ। इन्होंने असमिया भाषा की फिल्म ’इंद्रमालती’ के लिए 1939 में काम किया।
न्यूयॉर्क से की थी पीएचडी
भूपने हजारिका ने केवल 13 साल 9 महीने की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा तेजपुर से की और आगे की पढ़ाई के लिए गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज में दाखिला ले लिया। यहां उन्होंने अपने मामा के घर में रह कर आगे की पढ़ाई की। इसके बाद 1942 में गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट किया और फिर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। वहां से 1946 में राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया। इसके बाद उन्होंने न्यूयॉर्क के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली। फिर 1993 में असोम साहित्य सभा के अध्यक्ष पद को भी संभाला।
स्टेज पर भूल गए थे भाषण
भूपेन की गायकी से जुड़ा एक मजेदार किस्सा है। एक बार उन्हें कॉलेज में आए नए विद्यार्थियों के लिए रखे गए स्वागत समारोह में एक भाषण पढ़ना था। भूपेन के पिता ने उन्हें वो भाषण लिख कर भी दिया था। लेकिन स्टेज पर आते ही भूपेन वह भाषण भूल गए और वहां उन्होंने एक गाना सुनाया। वहां उपस्थित सभी लोगों को भूपेन ने अपने गाने से मंत्रमुग्ध कर दिया और इसके बाद वो अपने कॉलेज में लोकप्रिय हो गए। इसके बाद भूपेन ने संगीत से जुड़ी कई पुस्तकों का अध्ययन किया और धीरे-धीरे संगीत के क्षेत्र में खुद को स्थापित किया।
मिले कई अवॉर्ड्स
भूपेन को 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें नेशनल अवॉर्ड एज द बेस्ट रीजनल फिल्म 1975 में, पद्म भूषण 2011, असम रत्न 2009 और संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड 2009 जैसे कई पुरस्कार उनके नाम किए गए हैं। ’गांधी टू हिटलर’ फिल्म में महात्मा गांधी के प्रसिद्ध भजन ’वैष्णव जन’ को इस महान कलाकार ने ही अपनी आवाज दी थी।
निमोनिया ने ली थी जान
आज भूपेन हजारिका के गाए कई प्रसिद्ध गीत हमारे बीच गूंजते हैं दिल हूम हूम करे…, गंगा तुम बहती हो… के साथ ही बिहू के गीतों में भूपेन हजारिका ने ही अपनी आवाज दी है। 2011 में उनकी तबियत कुछ ख़राब रहने लगी। उन्हें निमोनिया हो गया था और निमोनिया के संक्रमण के बाद से ही उनकी हालत और बिगड़ गई। इसके अलावा उनकी किडनी में भी संक्रमण फैल चुका था जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी।
हमारे बीच से संगीत जगत का एक और महारथी गुजर चुका है और अपने पीछे छोड़ चला है कभी ना मिटने वाली यादें और दिल को छू लेनी वाली आवाज।
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