सिनेमा जगत आज भी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों के लिए नूतन को याद करता है
आज प्रख्यात अदाकारा नूतन का जन्मदिन है। आज के दौर में जहां मिस इंडिया का ख़िताब जीतने वाली अदाकाराओं को फिल्मों में काम करने का मौका आसानी से मिल जाता है वहीं नूतन के लिए फिल्मी दुनिया में कदम रखना सहज नहीं था। नूतन को सिनेमा जगत आज भी याद करता हैं। संजीदा किरदारों के लिए मशहूर इस अदाकारा ने अपनी गहरी छाप सिनेमा की दुनिया पर छोड़ी हैं। आइए जानते हैं नूतन के जीवन सी जुड़ी कछ बातें-
नूतन का परिचय
नूतन हिंदी सिनेमा की ख्यात अदाकाराओं में एक रही हैं। नूतन का जन्म 4 जून 1936 को मुंबई में एक पढ़े लिखे परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती शोभना सामर्थ और पिता का नाम श्री कुमारसेन सामर्थ था।
11 अक्टूबर 1959 को नूतन ने लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से विवाह कर लिया था। नूतन के पुत्र मोहनीश बहल भी हिंदी फिल्मों में अभिनय करते हैं। नूतन की बहन तनूजा और भतीजी काजोल भी हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में शामिल हैं।
फिल्मी दुनिया में कदम
नूतन ने अपने फिल्मी जीवन की शुरूआत 1950 से की थी जब वह स्कूल में ही पढ़ती थी। एक तरह से नूतन को अभिनय की कला विरासत में ही मिली थी। उनकी मां शोभना सामर्थ जानी मानी फिल्म अभिनेत्री थीं। घर में फिल्मी माहौल रहने की वजह से नूतन अक्सर अपनी मां के साथ शूटिंग के साथ देखने जाया करती थीं और इसी वजह से उनका रूझान फिल्मों की ओर बढ़ता गया।
नूतन ने बातौर बाल कलाकार फिल्म ‘नल दमयंती’ से अपने करियर की शुरूआत की। इस बीच नूतन ने अखिल भारतीय सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया पर बॉलीवुड के किसी भी निर्माता की नजर उन पर नहीं गई। 1950 में नूतन ने ‘हमारी बेटी’ में अभिनय करने का मौका मिला। इसका निर्देशन उनकी मां शोभना सामर्थ ने किया।
1955 में नूतन ने फिल्म ‘सीमा’ से विद्राहिणी नायिका के सशक्त किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। अपने इस दमदार किरदार के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेत्री का पुरूस्कार प्राप्त हुआ था। 1958 में नूतन प्रदर्शित फिल्म ‘सोने की चिड़िया’ के हिट होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में नूतन के नाम के डंके बजने लगे और बाद में एक के बाद एक अलग-अलग भूमिकाओं को निभाकर वह फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गई।
1958 में प्रदर्शित फिल्म ‘दिल्ली का ठग’ में नूतन ने स्विमिंग कॉस्टयूम पहनकर उस समय के समाज में हलचल मचा दी थी।फिल्म बारिश में नूतन ने बोल्ड दृश्य दिए, जिसके लिए उनकी आलोचना भी हुई पर इसके बाद उन्होंनें विमल राय की फिल्म ‘सुजाता’ और ‘बंदिनी’ में अत्यंत मर्मस्पर्शी अभिनय कर अपनी बोल्ड अभिनेत्री की छवि को बदल दिया। 1959 में फिल्म सुजाता मील का पत्थर साबित हुई।
1963 में फिल्म बंदिनी भारतीय सिनेमा जगत में अपनी संपूर्णता के लिए सदा याद की जाती है। इसी बीच नूतन ने देवआनन्द के साथ पेइंग गेस्ट और तेरे घर के सामने में हल्के-फुल्के रोल कर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया। फिल्म कर्मा में नूतन ने दिलीप कुमार के साथ काम किया था। इस फिल्म में नूतन पर फिल्माया गाना ‘दिल दिया है जान भी देंगे’ श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। मैं तुलसी तेरे आंगन की फिल्म देखकर लोग आंसु पोंछते हुए थियेटर से बाहर निकले थे।
अवार्ड्स
नूतन ने 50 से भी अधिक फिल्मों में काम किया और उन्हें अपने फिल्मी करियर में कई पुरूस्कार मिले हैं जिसमें से कुछ फिल्मफेयर पुरूस्कार मिले हैं उनकी सूची इस प्रकार है-
1955 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सीमा
1959 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री सुजाता
1963 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री बंदिनी
1967 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री मिलन
1978 सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री मैं तुलसी तेरे आंगन की
लगभग चार दशक तक अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के बीच खासी पहचान बनाने वाली यह अभिनेत्री 21 फरवरी 1991 को कैंसर की वजह से इस दुनिया को अलविदा कह गई।
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