Wednesday, September 20th, 2017 06:37:04
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लकी ‘प्रेम’ ने बनाया पारिवारिक फिल्मों का शहंशाह




Entertainment

sooraj barjatya

फिल्मों का संसार भी न बड़ा अजीब है। इसमें कुछ फिल्में ऐसी होती है जिन्हें हम घरवालों के साथ बैठकर देख सकते हैं तो कुछ फिल्में ऐसी जो अकेले देखें तो ही अच्छा रहेगा। खैर अकेले देखने वाली फिल्में तो बॉलीवुड में हर हफ्ते ही रिलीज होती है लेकिन जो परिवार के साथ में बैठकर देखने वाली फिल्में है वो बहुत ही कम रिलीज होती है।

बात अगर आज से 10 से 15 साल पहले की करे तो बच्चे जब घर पर सबके साथ फिल्म देख रहे होते थे तो हीरो-हीरोइन के तनिक से रोमेंटिक सीन पर अपनी नज़रे झुका लेते थे लेकिन आज जमाना बदल गया है। आज हर फिल्म में किसिंग सीन कंपल्सरी हो गया है और अब तो ये आम बात हो गई है।

बात पंद्रह साल पहले की चल रही थी। उस जमाने में घरवालों के साथ में बैठकर कई सारी फिल्में सब मिलजुलकर देख लिया करते थे जैसे जय संतोषी मां, राम लखन, नील कमल इत्यादि। इस फिल्म इंडस्ट्री में कई तरह के फिल्ममेकर हुए जो अपनी-अपनी क्वालिटी के अनुसार फेमस हुए। कुछ बॉलीवुड रोमेंटिक फिल्में बनाकर फेमस हुए तो कुछ धार्मिक फिल्में बनाकर।

इन सभी के बीच में एक फिल्ममेकर ऐसे भी है जो इस बात का ध्यान रखते हैं कि एक ऐसी फिल्म बनाई जाए जिसे पूरा परिवार साथ बैठ कर देख सके और वो सुपरहिट भी हो। ऐसे फिल्मकार की लिस्ट में सूरज बड़जात्या का नाम टॉप लिस्ट में है। इनकी पहली फिल्म से लेकर आखिरी फिल्म तक सभी फिल्मे पारिवारिक है।

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आजकल किसी भी फिल्म को देखने को दौरान पूरे परिवार को साथ में बैठाकर पूरी फिल्म देखना नामुमकिन सा हो गया हैं लेकिन सूरज बड़जात्या की फिल्मे ऐसी है जिन्हें सब साथ-साथ में देखना पसंद करते है। कुछ दिनों पहले ही सूरज बड़जात्या ने एक इंटरव्यू में कहा था कि आजकल पारिवारिक फिल्मों के साथ इंडस्ट्री में बने रहना मुश्किल है।’’

बड़जात्याजी का कथन सही भी है। आज का इंसान कुछ और तरह की फिल्में पसंद करता है। कुछ को एक्शन पसंद हैं तो कुछ लीक से हटकर फिल्मे तो कुछ तो ऐसे है जिन्हें हिंदुस्तान की जमीं पर बनी फिल्में भाती ही नहीं है। खैर सबकी अपनी-अपनी पसंद है। इन्हीं पसंद के बीच पारिवारिक फिल्मे पसंद करने वाले अब बहुत कम लोग बचे है।

पारिवारिक फिल्में बनाने वाले सूरज बड़जात्या का जन्म 22 फरवरी 1964 को मुंबई में हुआ था। इनकी पढ़ाई सिंधिया स्कूल ग्वालियर और सेंट मेरी स्कूल मुंबई में हुई। अपने दादा ताराचंद बड़जात्या के कहने पर इन्होंने पहली फिल्म ‘मैने प्यार किया’ राजश्री बैनर के तले डायरेक्ट की। 24 साल की उम्र में डायरेक्ट की ये फिल्म बड़े पर्दे पर चल पड़ी।

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इनकी पहली फिल्म की जोड़ी सलमान खान और भाग्यश्री को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया था। इस फिल्म के बाद सूरज बड़जात्या ने साल 1994 में सलमान खान को ही लेकर फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ बनाई। इस फिल्म में सलमान के अपोजिट माधुरी दीक्षित थी। फैमेली ड्रामा बेस्ड इस फिल्म ने एक बार फिर बड़े पर्दे पर धमाल मचा दिया।

सूरज बड़जात्या ने इस फिल्म के बाद साल 1999 में ‘हम साथ-साथ हैं’ बनाई। जो फिर से फैमिली ड्रामा पर आधारित थी। इस फिल्म में एक बार फिर सलमान खान थे और उनके साथ सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, करिश्मा कपूर और मोहनीश बहन मुख्य भूमिका में थे। ये फिल्म पूरे परिवार को एक साथ सिनेमाघरों तक खींच लाई और फिल्म सुपरिहट गई।

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अब तक सूरज बड़जात्या सलमान को लेकर ही फिल्में बना रहे थे तो इस फिल्म के बाद उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा। हम साथ-साथ है के बाद वे एक और फिल्म लेकर आए जिसका नाम था ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’। इस फिल्म में ऋतिक रोशन, अभिषेक बच्चन और करीना कपूर लीड रोल में थे। लेकिन ये फिल्म अन्य फिल्मों की तरह नहीं चल पाई।

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साल 2006 में सूरज बड़जात्या एक और पारिवारिक फिल्म लेकर आए जिसमें सलमान खान नहीं थे। इस बार जो फिल्म आई उसका नाम था ‘विवाह’। फिल्म में लीड रोल में शाहिद कपूर और अमृता राव थे। बिना सलमान के ये फिल्म चल निकली और सूरज बड़जात्या के कैरियर की एक और बिग हिट साबित हुई।

सूरज बड़जात्या अब एक और पारिवारिक फिल्म बनाने में लग गए जो विवाह जैसी ही थी जिसका नाम था ‘एक विवाह ऐसा भी’। फिल्म में लीड रोल में सोनू सूद और ईशा कोपीकर थे। फिल्म बड़े पर्दे पर तो नहीं चली लेकिन खूब सराही गई। फिल्म की कहानी को ऑडियंस ने खूब सराहा और टीवी पर ये फिल्म काफी सफल रही।

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इस फ्लॉप फिल्म के बाद सूरज बड़जात्या ने साल 2015 में एक बड़ा धमाका किया और इस बार वे सलमान खान को अपने साथ लेकर लौटे। साल 2015 में सूरज बड़जात्या ने ‘प्रेम रतन धन पायो’ बनाई। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई और उसने कमाई के रिकार्ड तोड़ दिए। इस फिल्म ने 200 करोड़ से भी ज़्यादा की कमाई की थी।

सूरज बड़जात्या की फिल्मे वाकई लाजवाब थी। इन फिल्मों में आपको दो तरह की समानताएं जरूर देखने को मिलेगी। पहली तो ये पारिवारिक फिल्मे होती है और दूसरा ये कि इनमें लीड एक्टर का नाम प्रेम होता है। आप जरा इस बात पर गौर किजिएगा कि उनकी हर फिल्म में एक्टर का नाम हमेशा प्रेम होता है। शायद प्रेम उनका लकी चार्म है।

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