जब से मोदीजी पीएम बने हैं तब से पूरे देश में मोदी लहर छा रही है। लोग बीजेपी को भी भूल गए हैं। बीजेपी वही जिस पार्टी से मोदीजी पीएम बनकर आए हैं। आज देश में ऐसा आलम आ चुका हैं कि लोग पीएम मोदी के विरूद्ध कुछ भी नहीं सुनना चाहते। लोगों में आपस में ही झगड़े हो जाते हैं सोशल मीडिया पर गालियों की बौछार हो जाती है। लेकिन यहां मामला कुछ उलट दिख रहा है।
वो कहते हैं न कि घर का भेदी लंका ढाय, यहां भी हाल कुछ ऐसा ही नज़र आ रहा है। मीडिया में चल रही ख़बरों में ये ख़बर मोदीजी के विरूद्ध साबित हो रही है, हो सकता हैं कि इन महाशय ने जो बोला है वो मोदी भक्तों को पसंद न आए लेकिन इन्हें भी कहने की स्वतंत्रता है। हमारे भारत में एक विशेष अधिकार है ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार’ जो भारत के हर इंसान को अपनी बात कहने का हक देता है।
दरअसल हुआ कुछ यू है कि पीएम मोदी की ही पार्टी के एक सांसद ने यानि बीजेपी सांसद ने पीएम मोदी के विरूद्ध बयान दिया हैं। महाराष्ट्र सांसद ने आरोप लगाया है कि मोदी कोई सवाल पसंद नहीं करते और उठाए गए मुद्दों पर गुस्सा हो जाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये सांसद है कौन?
इन सांसद का नाम नाना पटोले हैं जिन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सवाल पूछना पसंद नहीं है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी उस वक्त उनसे गुस्सा हो गए जब ओबीसी मंत्रालय और किसान की आत्महत्या के बारे में सवाल करने की कोशिश की। पटोले के अनुसार उन्होंने यह सवाल भाजपा सांसदों की एक बैठक में उठाने की कोशिश की।
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र के नागपुर में किसानों की समस्या को लेकर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे भंडारा-गोंडिया से सांसद पटोले ने कहा कि ‘‘मोदी को सवाल पूछना अच्छा नहीं लगता और वो उस वक्त बहुत गुस्सा हो गए थे जब मैने ओबीसी मंत्रालय और किसानों की आत्महत्या के बारे में सवाल उठान की कोशिश की थी। जब मोदी से सवाल किया जाता है, तो वे पूछने लगते हैं कि क्या आपने पार्टी का घोषणा पत्र पढ़ा है और क्या सरकारी स्कीमों की जानकारी है आपको?
अंग्रेजी न्यूजपेपर इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पटोले ने यह दावा भी किया है कि ‘‘सभी केंद्रीय मंत्री हमेशा डरे रहते हैं। मैं मंत्री नहीं बनना चाहता, मैं हिटलिस्ट में हूं मगर मैं किसी से डरता नहीं। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस पर भी पटोले ने टिप्पणी की। पटोले ने कहा कि फडनवीस, राज्य के लिए केंद्र से फंड लाने में नाक़ाम हैं। केंद्र राज्य को कम पैसा देता है।