Monday, August 28th, 2017
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तीन तलाक के बाद यौन इच्छा को दबाने वाली कुप्रथा स्त्री-खतना पर रोक की मांग




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तीन तलाक पर बैन के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मुस्लिम बोहरा समाज की महिलाएं स्त्री-खतना Female Genital Mutilation (FGM) को लेकर भी आवाज उठा रही हैं। बोहरा मुस्लिम समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने पीएम मोदी के नाम एक खुला ख़त लिखकर इस कुप्रथा को रोकने की मांग की है। मासूमा ने अपने पत्र में पीएम को लिखा है कि – बोहरा समुदाय में सालों से ‘स्त्री-ख़तना’ या ‘ख़फ्ज़’ प्रथा का पालन किया जा रहा है।

ऐसे होता है स्त्री-खतना

बोहरा, शिया मुस्लिम हैं, इस समुदाय में आज भी छोटी बच्चियां जब 7 साल की हो जाती है, तब उसकी मां या दादी मां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाती हैं। बच्ची को ये नहीं बताया जाता कि उसे कहां ले जाया जा रहा है या उसके साथ क्या होने वाला है? दाई या आया या वो डॉक्टर उसके योनि का वह अग्र-भाग भगांकुर (Clitoris) जो यौन-सुख देने में महती भूमिका निभाता है, काट देते हैं। इस प्रथा का दर्द ता-उम्र के लिए उस बच्ची के साथ रह जाता है। इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य है, महिलाओं की यौन इच्छाओं को दबाना।

कैसे आई यह कुप्रथा?

भारत में मुख्यतः “मुस्लिम बोहरा समाज” में ही स्त्री-खतना Female genital mutilation (FGM) जैसी कुप्रथा की त्रासदी सामने आई है। इसकी तह तक जाने के लिए बहुत सारी ऐतिहासिक सामग्री पढ़ कर तथ्यपरक शोध करने की कोशिश की गई, इसके लिए गलियाकोट जहाँ से बोहरा धर्म का प्रादुर्भाव (Evolution) हुआ, वहां जाकर भी तथ्य जुटाने की कोशिश की। जहाँ इस तथ्य पर भी कि बोहरा समाज का यमन से सम्बन्ध पर भी विश्लेषण किया है। इस कुप्रथा के पीछे मुख्य तर्क यह है, कि जिन बातों का इस्लामिक-ग्रंथों में कोई उल्लेख नहीं है, वे बातें स्थान-गत (Place Related) कारणों से प्रचलन में आई, जैसे :

1. दाढ़ी में मूंछ का नहीं होना (Beard without mustache) एक ऐसे शासक को देख कर प्रचलन में आया, जिसको कुदरतन मूंछ उंगती ही नहीं थी।

2. पजामा पैर के पंजे से थोड़ा ऊपर पहनने का चलन रेगिस्तान की वजह से चलन में आया. इस तरह कई बातें जो इस्लामिक देशों के संस्कृति एवं पर्यावरण के कारण प्रचलन में आई, इनका धर्म से कोई लेना देना नहीं है। इसके द्वारा यह सिद्ध करना कि स्त्री-खतना Female genital mutilation (FGM) किये जाने के पीछे मूल-कारण कोई और रहा होगा, जो धर्म से या किसी स्त्री के पर-पुरुष के पास जाने के अलावा कुछ और रहा होगा, जिसको बोहरा समाज द्वारा धार्मिक प्रथा बना लिया गया।

बता दें कि UN ने 6 फरवरी को महिलाओं की खतना के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया है। इस साल का थीम ‘साल 2030 तक FGM के उन्मूलन के जरिए नए वैश्विक लक्ष्यों को पाना’ रखा गया है। दुनियाभर में हर साल करीब 20 करोड़ बच्चियों या लड़कियों का खतना होता है। इनमें से आधे से ज्यादा सिर्फ तीन देशों में हैं, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया।

रानाल्वी ने पीएम को बयां की दर्द भरी दास्ताँ

भारत में इसे मानने वाले दाऊदी बोहरा मजबूत व्यापारी मुस्लिम समुदाय है।करीब 10 लाख लोग मुंबई और आसपास के इलाकों में रहते हैं। दक्षिणी मुंबई के मालाबार हिल इलाके में इनका मुख्यालय हैं, जहाँ भारत के कुछ सबसे अमीर लोग रहते हैं, यहीं सैयदना भी बैठते हैं, जो बोहरा धर्मगुरु हैं। पीएम को खुला खत लिखने वाली रानालवी कहती हैं कि वे हमेशा कहते हैं, छोटा सा कट है, बस मामूली सा कट है। छोटी सी बात है, लेकिन ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जहां ये छोटे से कट खतरनाक साबित हुए हैं। गौरतलब है कि इस खतने की वजह से बहुत ज्यादा खून बहता है और दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। इनमें सिस्ट बनना, संक्रमण, बांझपन तो आम हैं ही, बच्चे के जन्म के समय जटिलताएं बढ़ जाती हैं और इसमें नवजात की मृत्यु का जोखिम बढ़ना भी शामिल है।

एक इंटरव्यू में रानालवी में बताया कि जब वह 7 साल की थीं तो उनकी मां ने उनसे टॉफी का वादा किया। उन्हें एक घर के पीछे के रास्ते से एक अंधेरे से कमरे में ले जाया गया। उन्हें कसकर पकड़ लिया गया। और फिर उन्हें बस असहनीय दर्द ही याद है, वे घर आते हुए पूरा रास्ता रोती रही थी। उन्हें अगले 20-25 साल तक समझ नहीं आया कि उनके साथ हुआ क्या था। फिर उन्होंने महिला खतने के बारे में पढ़ा। भारत में इसके बारे में कोई कानून नहीं है।

पीड़ितों ने मिलकर की दमन को कुचलने की शुरुआत

मासूमा आगे कहती हैं कि 2015 में बोहरा समुदाय की कुछ महिलाओं ने एकजुट होकर ‘WeSpeakOutOnFGM’ नाम से एक कैंपेन शुरू किया और यहां हमने आपस में अपनी दुख और कहानियां एक-दूसरे से कही। हमने Change.org पर एक कैंपन की शुरुआत की थी। इसे बंद करने के समर्थन में हमें 9 हजार से ज़्यादा साइन मिल गए हैं। साहियो नामक एक संस्था भी इस दमन चक्र को कुचलने की पृष्ठभूमि पर काम कर रही है।

दबाई गई इच्छा अधिक बलवती होकर, एक दिन ज्वालामुखी के माफिक फट पड़ती है

इस महिला-खतना के पीछे छुपा दूसरा पहलू यह भी है कि : किसी भी प्राणी कि इच्छाओं का दमन करने पर, उसकी वह दबाई गई इच्छा अधिक बलवती होकर, एक दिन ज्वालामुखी के माफिक फट पड़ती है, जिसके कारण वह अधिक अनैतिक व्यवहार भी कर गुजरता है। सरकार को तुरंत हरकत में आना चाहिए।

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