बाजीराव-मस्तानी वाले रणवीर सिंह को तो हर कोई जानता ही है उनका फैशन, उनकी बिंदासगिरी और उनका अफेयर हर किसी की जुबान पर बस यही चर्चे मिलते हैं। वैसे रणवीर की लाइफ जितनी कॉम्पलीकेटेड दिखती है उससे भी ज़्यादा रीयल में हैं क्योंकि बॉलीवुड में आने के लिए उन्होंने जो किया है न कसम से वो रणवीर जैसा एक्टर ही कर सकता है।
रणवीर फिल्म में आपको जितने बिंदास नज़र आते हैं वो रियल लाइफ में भी उतने ही बिंदास है। रणवीर पैदा हुए 6 जुलाई 1985 को और अब वो पूरे 32 साल के हो जाएंगे। अपने फिल्मी करियर में उन्होंने हमें कई तरह की फिल्में दी है। बॉलीवुड में रहते हुए उनकी लाइफ कैसी चल रही है इस बारे में तो आप सभी जानते ही है लेकिन फिल्मों में आने से पहले उनकी लाइफ कैसी थी इस बारे में हम आपको बताने वाले हैं।
रणवीर जब 18 साल के थे तब वो अमेरिका के इंडियाना विश्वविधालया में मीडिया स्टडीज की पढ़ाई के लिए चले तो गए लेकिन उनका दिल फिल्मों की ओर था। उनका इरादा था बीए खत्म करके न्यूयॉर्क या शिकागो में कॉपी राइटिंग का काम करने का लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि सेकंड ईयर में एक्टिंग की क्लास में सिर्फ एक सीट खाली थी जिसमें रणवीर को मौका मिला। उस कोर्स के इंस्ट्रक्टर ने एक नया पैटर्न इजाद किया।
उसने सभी स्टूडेंट्स से कहा कि बारी-बारी से आए और आकर किसी भी चीज़ पर परफॉर्म करे। जब रणवीर की बारी आई तो उन्हें कुछ नहीं सूझा इस कारण उन्होंने फिल्म दीवार में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के बीच हुई डॉयलॉगबाजी को कहा। उन्होंने उसे इतने जोश और जूनून से कहा कि वहां बैठे सभी लोग बिना हिंदी समझे ताली बजा बैठे।
फिर क्या था रणवीर ने सोच लिया कि अब चाहे सिर फूटे या माथा बस एक्टिंग ही करनी है। उन्होंने लगाया अपने पापा को फोन और अपने मन की बात पापा को बता डाली। पापा ने भी शर्त रखी कि पहले तीन साल की पढ़ाई पूरी करो फिर फिल्मों में काम करना। बस फिर किसी तरह रणवीर ने अपनी पढ़ाई पूरी की और आ गए इंडिया अपने सपने को पूरा करने।
हिंदुस्तान की जमी पर पैर रखते ही उनके सामने बॉलीवुड का संघर्ष विलेन की तरह खड़ा हुआ था। रणवीर सिंह वो एक्टर नहीं है जिनकी झोली में डेब्यू फिल्म किसी गिफ्ट की तरह आ गिरी हो। इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थी। इंडिया आकर सबसे पहले उन्होंने राइटिंग की बारिकियों को सीखा। इसके बाद उन्हें सहायक निर्देशक काम काम मिल गया कुछ एड फिल्में की लेकिन उन्हें मजा नहीं आ रहा था।
काम का ये सिलसिला डेढ साल तक चला। फिर उन्होंने अपनी एक्टिंग की स्किल को निखारने के लिए थिएटर ज्वाइन किया लेकिन वहां भी उन्हें एक्टिंग का मौका नहीं मिला। वहां बस उन्हें चाय-समोसे लाने का काम दिया गया था। उन्हें लगने लगा कि बॉस यहां काम नहीं मिलने वाला इसलिए उन्होंने थिएटर को भी अलविदा कह दिया।
रणवीर ने पहले सहायक निर्देशक का काम किया था तो उन्हें पता था कि उनकी बॉलीवुड में एंट्री के लिए एक पोर्टफोलियो जरूरी है लेकिन आमतौर पर दस में से आठ पोर्टफोलियो को कोई देखता ही नहीं तो फिर क्या किया जाए। फिर रणवीर ने एक ऐसा पोर्टफोलियो कराया जिस पर सभी की नज़र ठहर सके।
इस पोर्टफोलियो पर नज़र पड़ी यशराज फिल्म की कास्टिंग डायरेक्टर शानु शर्मा की और उन्हें अपनी पहली फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ मिल गई। फिल्म काफी अच्छी चली थी और इसी के साथ रिलीज हुई फिल्म ‘नो प्रॉब्लम’ बुरी तरह पिट गई थी। फिल्म ‘नो प्रॉब्लम’ में अनिल कपूर और संजय दत्त जैसे मंझे हुए कलाकार थे।