बॉलीवुड की ये 10 मूवीज, जो आपको लाइफ में एक बार जरूर देखनी चाहिए
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फिल्म देखने का मतलब यह नहीं है कि केवल फिल्म टाइम पास के लिए देखी जा रही हो। कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो लाइफ से अटैचड् होती है। जो आपको लाइफ में कुछ न कुछ सिख जरूर देती है। तो आइए जानते है कुछ ऐसी ही मूवीज के जिन्हें लाइफ में एक बार जरूर देखनी चाहिए।
“क्वीन” पंख हर किसी के होते हैं
हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को एक सीमित सी दुनिया मिली हुई है। इस फिल्म में कंगना के अभिनय ने तो दम भरा ही है लेकिन एक भारतीय लड़की कैसे अपनी खुशी के लिए सारी हदें लांघ जाती है। ये आप इस फिल्म को देखने के बाद जान जायेंगे। पंख हर किसी के होते हैं बस कुछ लोग उससे आसमान की ऊंचाई माप लेते हैं। मेरी मानो तो आपको लाइफ में ये फिल्म एक बार जरूरी देखनी चाहिए।
“तारे जमीन पर ’’ हर बच्चा महत्वपूर्ण है
फिल्म को देखने के बाद बच्चों के प्रति आपका नजरिया बदल जायेगा। एक बच्चा पढ़ाई में कमजोर होने के बाद भी कला में हुनरबाज हो सकता है, बस उसे परखने वाला चाहिए। 25 साल की उम्र वाले वैसे तो परखे जाते हैं, लेकिन आगे के लिए एक सीख है।
“ए वेडनेसडे”
नीरज पांडे द्वारा निर्देशित फिल्म ए वेडनेसेड 2006 में आई थी। यह फिल्म मुंबई सीरियल ट्रेन धमाकों पर आधारित है। ये फिल्म आतंकवाद के खिलाफ खड़े एक आम आदमी की असाधारण कहानी है। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह के संवाद व अदायगी कमाल की है
“स्वदेश”
शाहरुख खान ने इस फिल्म में बड़ा धमाकेदार रोल किया है। एक नौजवान सारी सुविधाओं का त्याग करके अपने देश, अपने गांव के लिए काम करने लगाता है। आज हर कोई शहर की ओर दौड़ रहा है। ये फिल्म देखने के बाद शायद आपको एक मकसद मिल जाये। क्योंकि 25 साल की उम्र के मकसद तलाशने बड़े ही मुश्किल होते हैं।
“रंग दे बसंती 2006 ’’ यूथ कनेक्शन
2006 में आई फिल्म रंग दे बसंती पिछेल दशक की ऐसी फिलम थी जिसने भारतीय जनमानस के मनोरंजन के साथ उसकी सोच को भी बदला। युवाओं को इससे प्रेरणा मिली। नाम से ही नहीं, फिल्म है भी क्रांतिकारी विचारों वाली। पांच दोस्त कैसे अपने दोस्त की मौत और प्रशासन की नाकाम जवाबदेही का बदला लेते हैं इसमें ये दिखाया गया है। एक डॉयलाग से ही सारी बातें साफ हो जाती हैं “ दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक जो चुपचाप सहते रहते हैं, दूसरे वो, जो आवाज उठाते हैं, जिम्मेदारी उठाते हैं सब बदलने की।” अगर आपके अंदर बदलाव होते हैं, तो उन बदलावों को दिशा देती है ये फिल्म।
“दिल चाहता है”
कभी-कभी दोस्तों के साथ पल बिताते वक्त इंसान सोचता है कि काश ये पल थम जाये, बस यूं ही दोस्तों के साथ मस्ती करता रहूं मैं। दिल चाहता है एक ऐसी फिल्म है जो हर इंसान को अपनी लाइफ के साथ अटैचड् सी लगती है। यारी-दोस्ती में आने वाली दिक्कतों का सामना करते हुए उस दोस्ती को और भी मजबूत बनाने का मैसेज देती है ये फिल्म।
“अंदाज अपना-अपना”
राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित शानदार कॉमेड़ी वाली सुपरहिट फिल्म अंदाज अपना-अपना एवरग्रीन है। अगर आपको कॉमेड़ी फिल्म पसंद है और आपने ये फिल्म लाइफ में नहीं देखी तो क्या देखा।
“डोर”
ये फिल्म हिन्दी सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ कला और नाटक फिल्मों में से एक है। ये फिल्म नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित की गई है। हमारी संस्कृति की जड़ों से जुड़ी यह एक ऐसी फिल्म थी जो सीधे दिलों पर अपने निशान छोड़ जाती है, साथ ही बिना किसी नारे या हो हल्ले के ’नारीवाद’ का पुख्ता समर्थन करती है यह फिल्म। यह फिल्म दो भिन्न तबके की दो महिलाओं पर आधारित है जो एक दूसरे से अंजान होते हुए भी होनी के एक डोर से बँधी हुई हैं। इस संबंध में एक की वीरान जिंदगी दूसरे को उजड़ने से बचा सकती है पर बीच में बहुत से फ़ासले हैं।
“जिंदगी न मिलेगी दोबारा”
25 साल की उम्र, यानी जब आप अपनी जिंदगी का एक चौथाई हिस्सा जी चुके होते हो। अब आपकी बारी आती है ख़ुद को सफल करने की होती है। इस फिल्म में तीन लड़कों ने कैसे अपने-अपने हिस्सों के पलों को अपने दोस्तों के साथ जीने का फैसला किया है वैसा आपको भी करना चाहिए। क्योंकि दोस्त वही होता है जो अपनी खुशी आपसे बांटे।
“शोले”
तेरा क्या होगा कालिया आज भी सबके दिलो दिमाग पर है। बॉलीवुड की एवरग्रीन फिल्म शोले प्रशंसनीय फिल्मों में से एक है। एक गाँव रामगढ़ मे निर्देशित, यह एक परंपरागत हिन्दी फिल्म है जो आज तक हिन्दी फिल्म फैन्स के दिल मे घर कर बैठी है। जय और वीरू की दोस्ती, गब्बर सिंह का डर, सूरमा भोपाली और जैलेर का हास्य, और टाँगेवाली बसंती और उसकी धन्नो- हर पात्र ने दिलो दिमाग पर अपनी छाप छोड़ी है।
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