Tuesday, August 8th, 2017
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30 सितंबर तक खुले सामान पर बदले रेट की जानकारी देनी होगी स्टीकर लगाकर




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जीएसटी से पहले उत्पादित सामानों की बिक्री पर स्टीकर लगाकर जीएसटी के तहत नई कीमतों की जानकारी देनी ज़रुरी होगी। इसके साथ ही उत्पाद पर मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) की जानकारी भी देनी ज़रुरी होगी। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टरी ने इसके संबंध में सर्कुलर जारी कर इस नयी व्यवस्था को 30 सितंबर 2017 तक जारी रखने के निर्देश दिए है। राज्य सरकारों को जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है, ‘बदले हुए एमआरपी की घोषणा स्टैंप, स्टिकर लगाकर या फिर ऑनलाइन प्रिंटिंग के ज़रिए की जाएगी।’

सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि मैन्युफैक्चर्स, पैकर्स या आयातकों को समाचार पत्रों में कम से कम दो विज्ञापन देने होंगे, जहां बिना बिके स्टॉक की कीमतों के बारे में की गई बढ़त के बारे में बढ़ाई जाने की जानकारी दी जाए। इसके साथ ही सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि डीलरों को राज्य और केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को भी जानकारी देनी होगी। सितंबर की गाइडलाइन के बाद, बिना बिके कमोडिटी पर प्रिंटिड एमआरपी पर जीएसटी दर शामिल करना ज़रुरी होगा। जिसके कारण अतिरिक्त स्टीकर लगाने की ज़रुरत नहीं होगी।

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सरकार के इस सर्कुलर का मकसद बिक्री मूल्य में बदलाव को बताना है। इसके लिए सरकार ने तीन महीने का समय दिया है। दरअसल सरकार को यह जानकारी मिली थी कि कई कंपनियों के पास एक जुलाई से लागू जीएसटी से पहले के काफी माल बचे हुए हैं। ऐसे में, जीएसटी से पहले के सामानों पर सभी करों के साथ एमआरपी भी है, लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के साथ कर घटने या बढ़ने के कारण कुछ वस्तुओं के खुदरा मूल्य में बदलाव आया है।

उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘पुराना एमआरपी को बचे हुए माल पर अनिवार्य रूप से दिखाना है और नई दर को स्टिकर के जरिये दिखाया जा सकता है।’

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