नोटबंदी से हुआ कितना असर पता लगाएगा CAG
भारत में नोटबंदी करने के बाद एक बड़े बदलाव की उम्मीद की गई थी, लोगों को और सरकार को ये उम्मीद थी कि देश में कुछ बड़े बदलाव होंगे। इन्हीं बदलावों के असर का आकलन अब सीएजी यानि कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल करेगी। कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल की योजना नोटबंदी के प्रभाव का ऑडिट करने और इसके सरकार के राजस्व पर पड़े असर का आकलन करने की है।
कैग शशिकांत शर्मा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऑडिटर ने नई वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत कर राजस्व का ऑडिट करने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा उसने क्षमता निर्माण और अपने ऑडिट के तरीके तथा प्रक्रियाओं का पुनर्गठन शुरू किया है। विशेष ऑडिट के तहत कैग ने पहले ही कृषि फसल योजना तथा बाढ़ नियंत्रण एवं बाढ़ अनुमान का ऑडिट पूरा कर लिया है। अब वह शिक्षा के अधिकार, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, रक्षा पेंशन, गंगा पुनरोद्धार का ऑडिट कर रहा है। शर्मा ने कहा कि इनकी ऑडिट रिपोर्ट चालू साल के अंत तक तैयार हो जाएंगी।
राजस्व पर पड़ने वाले असर का होगा आकलन
शर्मा ने जोर देकर कहा कि कैग के पास सरकार के राजस्व और व्यय से किसी तरह का संबंध रखने वाले निकाय या प्राधिकरण के ऑडिट का अधिकार है। कई शहर विकास निकायों, डिस्कॉम तथा मेट्रो निगमों का इसको लेकर विरोध खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी योजना नोटबंदी के वित्तीय प्रभाव से संबंधित कुछ मुद्दों का ऑडिट करने की है। विशेषरुप से इसके कर राजस्व पर पड़ने वाले असर को लेकर।
ऑडिट में चीजें होंगी शामिल
सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1,000 का नोट बंद करने की घोषणा की थी। इसके अलावा पुराने नोटों में बेहिसाब धन रखने वालों के लिए कर माफी योजना भी शुरू की है। कैग के ऑडिट में नोटों की छपाई पर खर्च, रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान तथा बैंकिंग लेनदेन आंकड़ों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा,‘इस प्रक्रिया के तहत क्षमता निर्माण, डेटा पहुंच और विश्लेषण, ऑडिट के तरीके और प्रक्रियाओं पर पुनर्गठन तथा ऐंड टू ऐंड उपायों का विकास शामिल है।’
शर्मा ने बताया किया कि सरकारी, विधायी, न्यायिक और ऑडिट की भूमिकाएं और दायित्व पूरी तरह स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा कि कैग के सशक्तीकरण में किसी तरह की खामी नहीं है, लेकिन समय के साथ कामकाज के संचालन मॉडल में बदलाव आया है। कैग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के दूरसंचार मामले में 2014 के फैसले से यह महत्वपूर्ण सिद्धान्त एक बार फिर पुष्ट हुआ है कि निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा जहां भी राजस्व सृजन के लिए सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा, कैग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह देखे कि सरकार को उस राजस्व में उसका समुचित हिस्सा मिल रहा है या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में, मैं कह सकता हूं कि वे निकाय और प्राधिकरण जिनका सरकार के राजस्व और खर्च से किसी भी तरह का संबंध है, कैग के ऑडिट के दायरे में आते हैं। शहरी विकास निकाय, बिजली वितरण कंपनियां और मेट्रो निगम कैग के ऑडिट का विरोध करते रहते हैं।’ उनका कहना है कि वे स्वायत्त निकाय हैं तथा उन्हें सरकार से किसी तरह का समर्थन नहीं मिल रहा है। शर्मा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि समय के साथ चीजें ठीक हो जाएंगी और यह विरोध समाप्त हो जाएगा।’
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