अपने टैलेंट के जरिए यूथ हर क्षेत्र में तरक्की हासिल कर रहा है, फिर चाहे वो पॉलिटिक्स ही क्यों न हो। पर किसी युवा से ये सुनकर अजीब लगता है कि उसे पॉलिटिक्स में करियर बनाना है। अब समय बदल रहा है, यूथ पॉलिटिक्स ज्वाइन कर देश का विकास करना चाहता है। वह जानता हैं कि, शिक्षित व्यक्ति के काम करने का तरिका अलग होता है, और शिक्षा के जरिए ही पॉलिटिक्स के आज के खराब चेहरे को बदला जा सकता है। इसी सोच के साथ यूथ इस ओर कदम बढ़ा रहे है, पर इससे जुड़ी कई परेशानी उनके सामने आती है। जैसे पॉलिटिक्स जैसे ज्वाइन करें, इस क्षेत्र में कितनी संभावनाएं हैं? क्या इससे रिलेटेड कोई ट्रेनिंग संस्थान होते है ? इन सभी सवालों के जवाब आपको यहां मिलेंगे –
पॉलिटिक्स में युवाओं के लिए आज कई संभावनाए हैं। नोटबंदी के बाद ईमानदारी से राजनीति करने वाले युवाओं के लिए इस क्षेत्र में करियर बनाने का अच्छा अवसर है। वैसे राजनीति ज्वाइन करने वालों को पागल ही समझा जाता है पर इसकी गंदगी को साफ करने के लिए इसमें युवा का उतरना जरुरी भी है।
पॉलिटिक्स की सीटें
लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, ग्राम सभा या स्थानीय निकायों में जनप्रतिनिधियों के कुल पदों की संख्या इतनी है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के लिए संभावनाएं ही संभावनाएं हैं। लोकसभा में 545 और राज्यसभा में 245 सीटें हैं। विभिन्न राज्यों के लिए विधायक(एमएलए), विधान परिषद (एमएलसी) के 4574 से भी ज्यादा पद और ग्राम सभा में प्रधानी, वार्ड परिषद, जिला परिषद, नगर निगम परिषद के सभी पदों को मिलाकर देशभर में लाखों पद है। इन लाखों पदों पर यदि समझदार और संबंधित क्षेत्र का जानकार युवा मौजूद होगा तो देश की सूरत बदलने में देर नहीं लगेगी
इस तरह लड़े चुनाव
लोकसभा,विधानसभा और स्थानीय निकायों जैसे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन या प्रधानी के चुनाव लड़ने के नियम अलग-अलग होते हैं।
- लोकसभा – इस चुनाव के लिए उम्मीदवार की कम से कम 25 साल उम्र होनी चाहिए, व्यक्ति भारत का नागरिक हो। भारत के किसी भी राज्य का वोटर हो। आरक्षित सीट के लिए किसी भी राज्य की मान्य जाति का हो साथ ही पागल, विक्षिप्त या कोर्ट से चुनाव लड़ने पर बैन न हो। इन सभी तय नियमों के आधार पर ही लोकसभा चुनाव के लिए व्यक्ति योग्य माना जाता है।
- विधानसभा- कम से कम 25 साल उम्र आयु हो, भारत का नागरिक हो। जिस राज्य से चुनाव लड़ना है, उसकी लिस्ट में नाम हो। आरक्षित सीट के मामले में कैंडिडेट उसी राज्य की मान्य जाति का हो साथ ही पागल, विक्षिप्त या कोर्ट से बैन न हों।
- न्यनिसिपल कॉरपोरेशन – इस पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए कम से कम आयु 21 साल होनी जरुरी है। हर राज्य, संघ शासित राज्य की अपनी नियमावली होती है,जिसके तहत कई राज्यों में जिनके तीन बच्चे हैं, उन्हें चुनाव लड़ने पर रोक होती है। कैंडिडेट जिस म्यूनिसिपल क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहता है, वहां की वोटर लिस्ट में उनका नाम हो।
नामांकन प्रक्रिया
चुनाव आयोग चुनाव की तारीखें घोषित करता है, जिसके बाद निर्धारित वक्त में नामांकन भरना होता है। आमतौर पर इसके लिए 7 दिन की समयसीमा होती हो। इसके बाद दो दिन के अंदर नाम वापस लिए जा सकते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पार्टी कैंडिडेट के लिए एक प्रस्तावक और निर्दलीय उम्मीदवार के लिए 10 प्रस्तावक जरुरी हैं। चुनाव आयोग के अनुसार चुनाव प्रक्रिया न्यूनतम 14 दिनों में खत्म की जा सकती है। वोटिंग से 48 घंटे पहले सारे प्रचार बंद होना जरुरी होता है। नामांकन फार्म भरने लिए वैसे तो किसी कागजात की जरुरत नहीं होती है, सिर्फ कैंडिडेट का नाम वोटर लिस्ट में होना चाहिए।
चुनाव के लिए जमानती राशि फंड
हर चुनाव के लिए जमानत राशि फंड जमा होता है। लोकसभा के लिए 25000, विधानसभा के लिए 10,000, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में 500 से 1000 रुपए जमा करने होते हैं।
इन इंस्टिट्यूट से करें कोर्स
पॉलिटिक्स के क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए कई संस्थान प्रशिक्षण दे रहे जिनमें सें मुख्य ये हैं –
– गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकनॉमिक्स, पुणे
– इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल लीडरशिप नई दिल्ली
– हार्वर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स, कैंम्ब्रिज (अमेरिका)
– इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स, शिकागो
– इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स, पिट्सबर्ग