बीपीओ में रोजगार की आ सकती है बहार
प्रदेश सरकार की बीपीओ नीति इतनी लुभावनी है कि यह बड़े पैमाने पर कंपनियों को अपने यहां आकर्षित कर सकती है। इससे बहुत बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार सृजित होगा।
छोटे शहरों के कारोबारियों और उद्यमियों के लिए अच्छी खबर यह है कि देश की प्रमुख बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) कंपनियां अब बड़े शहरों के बजाय छोटे शहरों और उपनगरीय इलाकों की ओर अपना रुख कर रही हैं। ऐसा वे मुख्यतौर पर बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्र में दूरदराज स्थित अपने ग्राहकों की दिक्कतों से निपटने के क्रम में कर रही हैं।
इतना ही नहीं ऐसा करने वाले बीपीओ को जहां बुनियादी ढांचे में तमाम रियायतें हासिल हो रही हैं वहीं राज्य सरकार का फायदा यह है कि बड़े पैमाने पर रोजगार छोटी जगहों पर आ रहा है। यानी यह कुलमिलाकर सबके लिए फायदे वाली स्थिति है।
यह पूरी कवायद डिजिटल इंडिया अभियान के तहत की जा रही है। अकेले मध्य प्रदेश में 3,200 सीट वाले बीपीओ स्थापित करने की योजना है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संबंधित क्षेत्र की मदद ली जानी है। इसके तहत राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों में बीपीओ स्थापित करने और महिलाओं, दिव्यांगों आदि को रोजगार दिलाने वाले लोगों के लिए तमाम किस्म के लाभ मुहैया कराने की बात कही है।
बीपीओ क्षेत्र के आंकड़ों के मुताबिक देश का बीपीओ उद्योग सालाना 8 फीसदी की दर से विकसित हो रहा है और देश में 3500 से अधिक बीपीओ फर्म हैं। केंद्र सरकार ने गत वर्ष जो बीपीओ पॉलिसी जारी की उसके तहत देश में 50,000 से अधिक कॉल सेंटर वाले रोजगार तैयार किए जाने हैं। ग्रामीण इलाकों में बीपीओ स्थापित करने वाली कंपनियों को तमाम तरह के वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज संस्थान नैस्कॉम का अनुमान है कि देश में मौजूद 10 लाख से अधिक बीपीओ जॉब्स में से 80 प्रतिशत सात बड़े शहरों में केंद्रित हैं। इनमें दिल्ली, बेंगलुरू और मुंबई शामिल हैं। उसका अनुमान है कि अगले चार-पांच साल में छोटे शहरों में 100,000 से अधिक रोजगार तैयार होंगे।
आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि छोटे शहरों में बीपीओ के लिये कौन से आकर्षण हैं? इसका सबसे बड़ा उत्तर है बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं। सरकार की जनधन योजना आने के बाद देश के हर नागरिक का बैंक खाता खुलना अनिवार्य हो गया है। ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि देश के ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग क्षेत्र के बीपीओ की आवश्यकता कितनी बढ़ गई है?
बीपीओ क्षेत्र के दिग्गजों का कहना है कि छोटे शहरों में लगने वाली कम लागत भी इसकी एक वजह है। वहां के कर्मचारियों पर दबाव नहीं रहता और कम लागत में बहुभाषी उम्मीदवार आराम से मिल जाते हैं। बीपीओ छोड़कर जाने वालों की संख्या भी कम नहीं है और गत वर्ष इस सेक्टर की कंपनियों के करीब 20 प्रतिशत कर्मचारियों ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी।
बेंगलुरू की एक प्रमुख बीपीओ कंपनी रूरल शोर्स केवल घरेलू बाजार पर ही अपना ध्यान केंद्रित करती है और उसने उत्तर प्रदेश के सोनारी, कर्नाटक के चिकबलपुर और मध्य प्रदेश के बुधनी में अपने बीपीओ स्थापित किए हैं। कंपनी का कहना है कि हालांकि शुरू में उसके ग्राहक ग्रामीण इलाकों का नाम देखकर थोड़ा हिचकिचाते थे लेकिन अब वे आश्वस्त हो चुके हैं।
बीपीओ कारोबार के लिये मध्य प्रदेश बेहतर क्यों?
मध्य प्रदेश में बीपीओ कारोबार अन्य जगहों की तुलना में बेहतर इसलिए है क्योंकि प्रदेश सरकार वर्ष 2014 में इस पर केंद्रित अपनी ग्रामीण बीपीओ नीति पेश कर चुकी है। यह नीति पूरी तरह उन सुविधाओं पर केंद्रित है जो ग्रामीण इलाकों में बीपीओ बनाने वाली फर्म को दी जाएंगी। इनमें तमाम तरह के वित्तीय प्रोत्साहनों के अलावा भी कई बातें शामिल हैं। कुछ अन्य कारक भी हैं जो इस प्रकार हैं:
सस्ती जमीन– राज्य सरकार के पास लैंड बैंक में प्रचुर मात्रा में जमीन उपलब्ध है जो वह ग्रामीण इलाकों में बीपीओ स्थापित करने वाली कंपनियों को कुछ शर्तों के अधीन अच्छी खासी रियायत पर मुहैया करा सकती है। इसके तहत कलेक्टर गाइडलाइन के तहत निर्धारित मूल्य की तुलना में 25 प्रतिशत तक कम मूल्य पर जमीन उपलब्ध कराई जा सकती है।
सस्ती बिजली– बिजली की उपलब्धता के मामले में मध्य प्रदेश देश में सबसे बेहतर स्थिति में है। एक ओर जहां देश के कई राज्य बिजली की भारी कमी से जूझ रहे हैं वहीं मध्य प्रदेश बिजली के अधिशेष वाला राज्य है। इन उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए वह सस्ती बिजली मुहैया करा सकता है। इसके अलावा इन इकाइयों को कैप्टिव पॉवर प्लांट लगाने के लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
स्टाम्प शुल्क रियायत– बीपीओ इकाइयों को स्टाम्प शुल्क में रियायत देने की घोषणा राज्य सरकार अपनी बीपीओ नीति में कर चुकी है।
अन्य रियायतें– राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों में बीपीओ स्थापित करने वालों को कई तरह की आर्थिक रियायतें देने की घोषणा भी कर रखी है। इसमें ऋण पर लगने वाले ब्याज में मिलने वाली रियायत, किराये में रियायत, दूरसंचार सुविधाओं में रियायत, पूंजी निवेश में रियायत, रियायती दर पर कौशल प्रशिक्षण, मार्केटिंग में सहयोग आदि सुविधाएं शामिल हैं।
आंकड़े:
3500 से अधिक बीपीओ फर्म हैं देश में
10 लाख से अधिक बीपीओ जॉब हैं देश में
7 शहरों में केंद्रित हैं इसमें से 80 प्रतिशत जॉब
1 लाख रोजगार तैयार होंगे बीपीओ क्षेत्र में पांच साल में
प्रदेश सरकार की बीपीओ नीति को इस लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है:
http://www.google.co.in/url?

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