Saturday, September 23rd, 2017 13:13:31
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कैश v/s कैशलेस : क्या खत्म हो पाएगा कालाधन?




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दौर चल रहा है कैशलेस का। चर्चा में है यदि कैशलेस समाज हुआ तो सब समस्या खत्म हो जाएगी। सरकार से लेकर आम तक सभी लग गए है इस अभियान में। जैसे एक बार बयार थी लोकपाल की, सबको लगने लगा था लोकपाल के आते ही जादू की छड़ी घूम जाएगी और खत्म हो जाएगा भ्रष्टाचार किन्तु क्या हुआ लोकपाल आया, बस आकर रह गया। आन्दोलन हुआ, होकर रह गया। भ्रष्टाचार वहीं का वहीं है। उसी तर्ज पर आज बयार है कैशलेस की। जैसे ही समाज कैशलेस होगा कालाधन समाप्त हो जाएगा। भ्रष्टाचार का नामो-निशान मिट जाएगा। क्या ऐसा हो पाएगा या सिर्फ एक बयार आ कर चली जाएगी और समस्या ज्यां की त्यों सर उठाए खड़ी रहेगी ?

कैश का समाज :
सदियों से चला आ रहा है यह लेन-देन का सबसे आसान, समझ में आने वाला साधन,‘कैश’। सरकारों द्वारा अधिकृत रूप से जारी मुद्रा, जिसे सभी आम व्यक्ति, अमीर से लेकर गरीब तक आसानी से अपना रहे हैं। पढ़े-लिखे व्यक्ति से अनपढ़ तक भी इसे आसानी से व्यवहार में ला पाते हैं। इसके साथ समस्या ये हो रही है कि इसे रखने में जोखिम है। दूसरा सरकार को दे रहे हिसाब -किताब में आसानी से मैनेज हो जाता है इसलिए कालेधन में ये धन परिवर्तित हो जाता है। ये समस्या आम जनता की नहीं बल्कि सरकार की अधिक है उसे टैक्स के रूप में रकम कम मिलती है। अब चूंकि यह व्यवहार बन गया है इसे भ्रष्टाचार के रूप में नेता से लेकर अफसर तक अधिकांश लेते है। इसलिए हर आम व्यक्ति को भी इसे व्यवहार में लाना पड़ता है, यह उनकी मजबूरी है किन्तु दिक्कत नहीं है।

कैशलेस समाज :
तकनीक का उपयोग लेन-देन के काम को बड़ा ही आसान कर देता है। समय की, जोखिम की काफी हद तक बचत कर देता है, लेन-देन की गति बढ़ा देता है। आम जनता के लिए भी असान व सरकार को टैक्स वसूलने में भी आसान। मोटे तैर पर देखा जाए तो तकनीक लेन-देन की प्रक्रिया को बहुत सरल बना देती है किन्तु ऐसा नहीं कि इससे समस्याएं सभी खत्म हो गई हैं। ये आसान सी दिखने वाली प्रक्रिया, कठिन भी काफी है। इसमें जोखिम भी काफी है। वजह है इस तकनीक को समझने में, ये आसान नहीं है। हर आम को ये व्यवहार में लाने में आसान नहीं है। इससे कार्य करना जितना आसान है उससे अधिक इसमें जोखिम है। कब आपके खाते से रकम अचानक गायब हो जाए पता ही नहीं चलेगा। हैकर्स ज़्यादा स्मार्ट है। आज भी बड़ी-बड़ी साइट इससे बच नहीं पा रही हैं। दुनिया के हैकर्स अपना कमाल दिखा ही देते हैं। इसलिए यह उतनी विश्वसनीय नहीं हो पाई है इसके लिए तकनीक को और भी उन्नत करना पड़ेगा। साथ ही आम जनता को भी सीखने में वक़्त लगेगा। साथ ही ये बड़ी रकम बड़े लोगों के लिए आसान है किन्तु छोटी रकम छोटे लोगों के लिए तकलीफ दायक ही रहेगी।

सरकार द्वारा कैश की बजाय कैशलेस पर बहुत जोर दिया जा रहा है। ठीक भी है किन्तु पूर्णतः करने की बात गलत ही साबित होगी। यह बड़ी रकम, बड़े व समझदार लोगों तक सीमित रहे तो कोई दिक्कत नहीं है। किन्तु छोटी रकम व छोटे लोगों के लिए कैश ही सबसे आसान और बेहतर ऑप्शन है, जिसे अनवरत चालू ही रखना चाहिए। जैसे-जैसे लोग समझदार होते जाएंगे वैसे-वैसे कैशलेस व्यवहार आसानी से बढ़ता जाएगा किन्तु इसको समय की दरकार है। एकदम करना जल्दबाज़ी वाला कदम होगा।

जहां तक सवाल भ्रष्टाचार, कालेधन का है, वह तो इससे थोड़ा बहुत भी कम नहीं होगा, बढ़ेगा ही। बस बदलेगा तो तरीका। कैश की बजाय कुछ और नये तरीकों में बदल जाएगा। जिन भी देशों में पहले कैशलेस की व्यवस्था में परिवर्तन किया है, वहां भी आज तक भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ, कालाधन कम नहीं हुआ यह कई रिपोर्टो से खुलासा हो चुका है। कारण साफ है भ्रष्टाचार खराब नीयत की वजह से पनपता है जो कि आज तक विद्यमान है। सरकार ने उस पर कोई कदम अभी तक नहीं उठाया है। कालाधन भी उसी वजह से पनपता है। इसका कैश या कैशलेस से कोई वास्ता नहीं है। सरकार बेवजह इस पर इतना अधिक फोकस कर अपना भी और देश-समाज का भी समय बर्बाद कर रही है। यदि वह वाकई इस पर चिन्तित है तो पहले टैक्सेशन कम करने का कार्य करे व खुद की, नेताओं व अफसरों की नीयत को ठीक करने पर कार्य करे, तभी हम कालेधन व भ्रष्टाचार पर लगाम लगा पाएंगे। व्यवस्था कैश की हो या कैशलेस की इससे कोई फर्क कालेधन पर नहीं पड़ेगा।

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