Saturday, July 29th, 2017
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कैशलैश होते छत्तीसगढ़ के छोटे-छोटे गांव




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cashless chattisgarh

समय के साथ कदमताल करता छत्तीसगढ़ एक ऐसे राज्य के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुआ है जिसके लिए नवाचार करना उसके व्यवहार में शामिल हो चुका है। इसकी ताजा मिसाल है छत्तीसगढ़ राज्य का कैशलेश की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाना। आमतौर पर लोगों की सोच है कि छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षा का अभाव है लेकिन गांव-गांव में एटीम-पेटीएम करते लोगों को देखकर सारी सोच बदल जाती है। जो लोग कैशलैस व्यवस्था को बढ़ा रहे हैं, उनमें ज्यादतर वो लोग हैं जिनकी दुनिया अपने गांव में सिमटी हुई है। इनमें से तो बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी उम्र में एकाध ही बार राजधानी रायपुर तक आए होंगे लेकिन वे हरदम नए जमाने के साथ रहे हैं। उनकी इस सोच को बढ़ाने में राज्य सरकार की कोशिशें रही है कि उनके गांव-घर में जाकर नई तकनीक की जानकारी दी जाए और उनके जीवन को सहज और सरल बनाया जाए।

छोटे से किराना दुकान के मालिक जोगेश्वर एक अनजान से गांव तेलावट में रहते हैं। रेडियो में सुनकर और टेलीविजन में देखकर उन्हें लगा कि अब इस नयी व्यवस्था को अपनाएंगे तोक उनके व्यापार पर कोई असर नहीं होगा। उन्होंने पेटीएम के बारे में सुन रखा था। पेटीएम के उपयोग में शुरू में कुछ दिक्कत आयी लेकिन लेन-देन में सुविधाजनक देखकर लोग अब खुद ब खुद पेटीएम से लेनदेन करने लगे हैं। पेटीएम संचालन के बारे में गांव के सूरज अहीर ने सिखाया था। लगभग दो महीने के अंतराल में जागेश्वर खुद लोगों को कैशलैश लेन-देन के बारे में शिक्षित कर रहा है। जागेश्वर से सीखकर ही प्रेमसिंह निषाद द्वारा अपनी अण्डे की दुकान और संतोष जैन द्वारा अपनी कंप्यूटर की दुकान में भी पेटीएम का उपयोग लेनदेन के लिए प्रारंभ कर दिया गया है। मोबाइल शॉप ओनर मोहम्मद सलीम अपनी दुकान ख्वाजा मोबाइल में विगत वर्ष 2012-13 से पीओएस मशीन लगा लिया था। उनका कहना है कि पूर्व में स्वाइप मशीन से माह में 20 से 30 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन ही हो पाता था। लेकिन नोट बंदी के बाद से जबसे कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिला है उनके यहां प्रतिदिन 8 से 10 हजार औसतन व्यवहार स्वाइप मशीन के माध्यम से हो रहा है।

बिलासपुर मार्ग पर स्थित ग्राम खडगवां को सांसद आदर्श ग्राम के गोविन्द कुशवाहा के परिवार के लिए भरण पोषण का एकमात्र साधन उनकी किराना दुकान है। नोटबंदी की घोषणा हुई, तबसे उन्हें लगने लगा कि लेन देन करने में कठिनाई होगी। और उनकी दुकान बंद हो जायेगी। कुशवाहा की शंका का निराकरण ग्राम स्तरीय उद्यमी राहुल गुप्ता और साक्षर भारत विकासखंड कार्यक्रम समन्वयक वकिल खान ने ई-वालेट के द्वारा डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहित किया और इसकी पूरी प्रक्रिया को प्रदर्शित किया और दुकान में आने वाले ग्राहकों से उन्होने डिजिटल लेनदेन के लिए अनुरोध किया। जिसके फलस्वरूप श्री कुशवाहा ओैर किराना दुकान के कई ग्राहक डिजिटल लेनदेन कर रहे हैं। अब श्री कुशवाहा बहुत खुश है और उनका मानना है कि डिजिटल लेनदेन बहुत आसान एवं पूरी तरह सुरक्षित है।

जनपद पंचायत राजपुर का एक छोटा सा पंचायत है ग्राम करजी। यह अम्बिकापुर-राजपुर मुख्यमार्ग पर स्थित है। बीते 11 दिसम्बर 2016 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के द्वारा ग्राम पंचायत की आदित्य जनरल स्टोर्स से पेन एवं चॉकलेट खरीदकर पीओएस मशीन से भुगतान कर कैशलेस माध्यम को बढ़ावा देने हेतु शुरूआत की थी। उस वक्त गांव में केवल एक ही दुकान पर कैशलेस के माध्यम उपलब्ध थे। आज गांव की सभीदुकानों में डिजीटल भुगतान के माध्यम में से कम से कम एक माध्यम उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों को शासकीय उचित मूल्य दुकान एवं ग्रामीण लोक सेवा केन्द्र में पूर्ण रूप से कैशलेस लेनदेन किया जा रहा है।

बलौदा बाजार विकासखंड के ग्राम पंचायत मरदा के शिक्षित युवक दीपचंद साहू, फिरत राम साण्डे एवं दुकानों के द्वारा कैसलेस पद्धति को अपनाकर ग्राम पंचायत को जिले का प्रथम कैशलेस पंचायत बना दिया है। ग्राम मरदा के शिक्षित युवक दीपचंद साहू अपने जीवनयापन के लिये पान ठेला व्यवसाय चला रहा है। नोटबंदी के पश्चात ग्रामीण नगदी हेतु एटीएम एवं बैंकों के चक्कर लगाते देखकर दीपचंद ने विशेष पहल करते हुए ग्रामीणों को कैशलेस भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराया। उनकी इस पहल से अधिकांश ग्रामीण उनके पास आकर उनकी दुकान की सामग्री लेने के अलावा अन्य सामग्री भी मंगा रहे हैं, जिससे दीपचंद के व्यवसाय में बढ़ोतरी हुई। दीपचंद द्वारा ग्रामीणों के बैंक खाता से भुगतान एवं लेन-देन के अलावा उन्हें कैशलेस पद्धति से अवगत कराया भी जा रहा है। उनके प्रयास के चलते ग्राम के अन्य दुकानदार भी कैशलेस पद्धति को अपना रहे हैं।

डिजिटल सेवा केन्द्र मरदा के संचालक फिरत राम साण्डे द्वारा भी ग्रामीणों की समस्याओं को देखते हुए कैशलेस पद्धति अपनाने आधार एनेबल्ड सिस्टम से भुगतान कराया जा रहा है। कैशलेस पद्धति को सरल एवं सहज बनाने हेतु फिरत राम आधार नंबर एवं बायोमेट्रिक मशीन का उपयोग कर रहा है। उनके द्वारा ग्रामीणों के आधार नंबर एवं अंगूठा निशानी के माध्यम से लेनदेन कर रहा है। ग्राम मरदा का युवक मुकेश ओगरे ने बताया कि सरकार द्वारा पॉच सौ एवं एक हजार के पुराने नोट बंद करने के पश्चात उन्हें चिल्हर के लिये भटकना पड़ रहा था। उन्होंने अपनी समस्या को लेकर डिजिटल सेवा केन्द्र मरदा पहुंचा जहॉ से उन्हें नगद राशि प्राप्त हो गया। श्री फिरत राम साण्डे ने बताया कि डिजिटल सेवा केन्द्र के माध्यम से लगभग 3 लाख 15 हजार 70 रूपये का लेन देन किया जा चुका है। अब गांव के लोग बैंक न जाकर डिजिटल सेवा केन्द्र से ही रूपये प्राप्त कर रहे हैं।

कैशलेश से लेन-देन करते छत्तीसगढ़ राज्य के गांव-गांव उन लोगों के लिए एक सबक है जो बार बार छत्तीसगढ़ को अशिक्षित कहते थे। आज वही लोग हैरान हैं कि कैसे और कितने जल्दी इन लोगों ने डिजीटल लेन-देन को सीख लिया है। जिले में लोगों में डिजिटल लेनदेन की प्रवृष्टि निरंतर बढ़ रही है। लेनदेन की कैशलेस विधाएं शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनाई जा रही है।

लेखक
प्रियंका तावड़े

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