तीन तलाक के ख़िलाफ़ है केन्द्र सरकार
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ट्रिपल तलाक महिलाओं के साथ लैंगिग भेदभाव करता है। इसीलिए एक धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसे लॉ के लिए कोई जगह नहीं है। ये कहना है केन्द्र सरकार का। दरअसल, केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे के ज़रिए केन्द्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं का पक्ष लेते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ का विरोध किया है। कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए केंद्र सरकार ने दलील दी है कि संविधान से हर नागरिक को बराबरी का अधिकार मिला है। इसमें धार्मिक अधिकार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। मुस्लिम महिलाओं को भी बराबरी का अधिकार है। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार की ओर से इस लॉ को खत्म करने की बात भी की गई है। आगे अपनी दलील देते हुए सरकार ने कहा, पर्सनल लॉ को संविधान की कसौटी पर कसना जरूरी है। जो प्रावधान संविधान के मुताबिक नहीं है, उन्हें खत्म करना चाहिए।
बता दें कि ‘तीन तलाक’ पर सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी। बाद में छह मुस्लिम महिलाओं ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी। पिछले महीने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया था। पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुनवाई खत्म करने की मांग करते हुए कहा था कि धार्मिक आधार पर बने नियमों को संविधान के आधार पर नहीं परखा जा सकता। 2 सितंबर को दिए जवाब में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दलील दी थी कि, ”पत्नी से छुटकारा पाने के लिए पति उसका कत्ल कर दे, इससे बेहतर है कि उसे 3 बार तलाक बोलने दिया जाए।” बहरहाल, दशहरा की छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले पर सुनवाई होनी है। कानून के जानकारों का मानना है कि इस मसले पर सुनवाई लंबी खींच सकती है। मामला संविधान पीठ को सौंपे जाने की भी संभावना बन सकती है। फिलहाल, ‘तीन तलाक’ की व्यवस्था बनी रहेगी या नहीं ये तय होने में अभी कुछ वक्त लग सकता है.मुस्लिम महिलाओं ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इन तीन बातों का केन्द्र सरकार ने किया जिक्र
– संविधान में ‘तीन तलाक’ की कोई जगह नहीं है।
– संविधान मर्दों को एक से ज्यादा शादी की इजाजत नहीं देता है।
– ‘तीन तलाक’, ‘बहुविवाह’ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
दुनिया के कई इस्लामिक देशों में भी बैन है ‘तीन तलाक’
गौरतलब है कि ‘तीन तलाक’ दुनिया के कई इस्लामिक देशों में भी बैन है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में यह 1961 से ‘तीन तलाक’ बैन है। बांग्लादेश ने वजूद में आते ही 1971 में इसे बैन कर दिया था। इस्लामिक देश मिस्त्र में तो 1929 से ही ‘तीन तलाक’ की इजाजत नहीं है। मिस्त्र से सटे अफ्रिका के एक और इस्लामी देश सूडान में 1935 में ही तीन तलाक को बैन कर दिया गया था। करीब 90 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाली पश्चिम एशिया के देश सीरिया में तीन तलाक का यह रिवाज 1953 में प्रतिबंधित कर दिया गया था।
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