ये चैंपियन हैं बालिका वधू, तो जानिए कैसे बनीं कुश्ती चैंपियन
कुश्ती पर बनी फिल्म दंगल के बाद से रेसलिंग का क्षेत्र लाइमलाइट में आ गया है, वहीं इसके साथ ही महिला रेसलर्स को भी अब लोग पहचानने लगे हैं। लेकिन क्या वाकई कुश्ती लडऩा इतना आसान है। कुश्ती के क्षेत्र में अपना नाम कमाने वाली नेशनल चैंपियंस की जीत उनके स्ट्रगल की निशानी है। कुछ इसी तरह का स्ट्रगल किया रेसलिंग नेशनल चैंपियन नीतू सरकार ने। एक बालिका वधू होने के बावजूद उन्होंने अपनेे सपने को टूटने नहीं दिया। मेहनत और हिम्मत कर अपनी रेसलिंग के क्षेत्र में अपनी वो पहचान बनाई जिसकी वो हकदार थीं।
दरअसल, ये नीतू सरकार की कहानी है जो आपके चेहरे पर स्माइल ला सकती है और इंसानियत पर आपका भरोसा बनाए रख सकती हस्। नीतू सरकार की शादी 13 साल की उम्र में उनकी उम्र में तीन गुना बड़े व्यक्ति से करा दी गई। इसके अलावा उनके ससुर ने हालात को और खराब बना दिया। नीतू ने शादी से बाहर निकलने का फैसला किया। लेकिन उनके हालात यहीं नहीं सुधरे।12 साल की उम्र में वो दो जुड़वा बच्चों की मां बन गईं। लेकिन नीतू ने हर नहीं मानी और इस हालात से लडऩे का फैसला किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पुराने सूट को उधेड़कर उसे दोबारा बुनकर मैंने सिलाई सीखी। मैं ट्रेनिंग अफॉर्ड नहीं कर सकती थी, मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन उनके अंदर एक पैशन था जो छुपा हुआ था। जब उन्होंने दिल्ली में टीवर पर इंटरनेशनल गेम देख तब उनके मन में रेसलिंग के लिए इंस्पीरेशन आया। लेकिन बच्चों की मां होने की वजह से इस सपने को दबाए रखना पड़ा।
और बस लाइफ बदल गई-
जब वो अपने योगा कोच से मिलीं तब उनकी में अचानक बहुत बड़ा बदलाव आया। उनके योगा कोच ने रेसलिंग जिला कोच सिंह का नंबर दिया। ये सिंह ही थे, जिन्होंने नीतू को उसकी कठिन जिन्दगी के बावजूद रेसलिंग करने के लिए इंस्पायर किया और सिखाया भी। वो हमेशा नीतू को मैरीकॉम का उदाहरण दिया करते थे और फिर 19 की उम्र में नीतू सीनियर कैटेगरी की नेशनल मेडेलिस्ट बन गईं। पिछले ही साल 21 साल की नीतू ने ब्राजील के जूनियर वल्र्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और केरल में आयोजित नेशनल गेम्स में सिल्वर मेडल हासिल किया।
फिर भी ये सब कुछ इस युवा मां के लिए इतना आसान नहीं था। उन्हें एक स्ट्रिक्ट ट्रेनिंग से होकर गुजरना होता था। वो रोज सुबह तीन बजे उठ जाती । अपने गांव बड़वा से रोहतक जातीं जो रेसलिंग के लिए जाना जाता है। ट्रेनिंग के बाद वो घर आती और घर के कामों में लग जातीं।
ऐसे हुई फिर एक नई जिन्दगी की शुरूआत-
नीतू बताती हैं कि आज वो जहां है वो सिर्फ अपने पिता और अपने दूसरे पति की वजह से हैं। वे बताती हैं कि उन्होंने मुझे एक नई जिन्दगी दी है। उन्होंने ही मुझे नरक से खींचकर जन्नत का रास्ता दिखाया। मैं अगर आज रेस्टलिंग कर पाती हूं तो सिर्फ उनकी वजह से । मैं ज्यादा दूर रहती हूं इसलिए हमारा रिश्ता सामान्य पति-पत्नी की तरह नहीं है। उन्होंने मेरे लिए बहुत बड़ा सेक्रीफाइस किया है। नीतू ने एक इंटरव्यू में बताया है कि जब उन्होंने रेस्टलिंग के शौक के बारे में अपने दूसरे पति संजय को बताया तो उन्हें लगा कि वो क्रेजी हो गई हैं, लेकिन जब उसके लिए उन्होंने उनका पैशन देखा तो वो ख्ुाद नीतू को सपोर्ट करने लगे और अभी वो हाउस हसबैंड के रोल में बहुत खुश हैं। फिलहाल नीतू इस साल के सुशीलफॉर स्पोट्र्स फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित वल्र्ड रेसलिंग चैंपियनशिप मे हिस्सा लेने के लिए ट्रेनिंग ले रही हैं। इस फाउंडेशन की शुरूआत रेसलर सुशील कुमार ने की थी, जिसे वे अपना आदर्श मानती हैं।
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