नरक चौदस : यमराज ही नहीं इन भगवानों की भी होती हैं इस दिन पूजा
दिवाली के एक दिन पहले यानी नरक चौदस को ज्योतिष के अनुसार छोटी दिवाली भी कहा जाता हैं। शास्त्रों में इसे नरक चतुर्दशी नाम दिया गया है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए व्रत करने का विधान है। छोटी दिवाली यानी नरक चौदस को यम की पूजा करने के साथ-साथ और भी भगवानों की पूजा की जाती है। आइए आपको बताते है कि नरक चौदस के दिन किन-किन भगवानों को पूजा जाता है।
छोटी दिवाली के दिन माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म हुआ था। इसीलिए आज बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर की सफाई जरूर करनी चाहिए। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा छोटी दीवाली के रूप में मनाई जाती है।
देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है। नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे वैकुंठ में स्थान मिलता है। इस दिन घर की सफाई की जाती है घर से टूटा-फूटा सामान फैंक देना चाहिए। इस दिन सायं 4 बत्ती वाला मिट्टी का दीपक पूर्व दिशा में अपना मुख करके घर के मुख्य द्वार पर रखें और
‘दत्तो दीपः चतुर्दश्यो नरक प्रीतये मया। चतुर्वर्ति समायुक्तः सर्व पापा न्विमुक्तये।।’
मंत्र का जाप करें और नए पीले रंग के वस्त्र पहन कर यम का पूजन करें। जो व्यक्ति इन बातों पर अमल करता है उसे नर्क की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
पूजन विधी
नरक चौदस के दिन नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-
ऊं यमाय नमः, ऊं धर्मराजाय नमः, ऊं मृत्यवे नमः, ऊं अन्तकाय नमः, ऊं वैवस्वताय नमः, ऊं कालाय नमः, ऊं सर्वभूतक्षयाय नमः, ऊं औदुम्बराय नमः, ऊं दध्राय नमः, ऊं नीलाय नमः, ऊं परमेष्ठिने नमः, ऊं वृकोदराय नमः, ऊं चित्राय नमः, ऊं चित्रगुप्ताय नमः।
शुभ मुहूर्त
शाम 05:40 से 06:55 बजे तक (दीपदान के लिए)
इस दिन का शास्त्रों में काफी महत्व है। छोटी दिवाली के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोमान्यताएं है। एक कथा के अनुसार नरकासुर का आतंक काफी बढ़ गया था। उसकी क्रूरता से हर कोई परेशान था. यहां तक कि 16 हजार 100 कन्याओं को भी उसने बंदी बना लिया था। तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने की ठानी। जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी दु्र्दान्त असुर नरकासुर का वध किया था, उस दिन नरक चतुर्दशी था। इस तरह भगवान श्री कृष्ण ने सभी कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था।
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