बड़े शहरों के एयरपोर्ट्स को छोटे शहरों के अविकसित एयरपोर्ट्स से जोड़ने तथा 2500 रुपये में 500 किलोमीटर की हवाई यात्रा वाली क्षेत्रीय संपर्क योजना (RCS) यानी ‘उड़ान’ के दूसरे चरण के लिए बोली प्रक्रिया अप्रैल के अंत तक शुरू हो जाएगी तथा रूटों का आवंटन जुलाई के अंत तक पूरा कर लिया जायेगा। ‘उड़ान’ के पहले चरण के लिए पाँच विमान सेवा कंपनियों को 128 मार्गों का अावंटन 30 मार्च को किया गया था। पहले सरकार की योजना 6 महीने बाद दूसरे चरण के तहत नए रूटों का अावंटन करने की थी, लेकिन अब जुलाई के अंत तक इस काम को पूरा करने का फैसला किया गया है। इस विषय पर आपके सम्पूर्ण नॉलेज के लिए यह भी पढें – अब उड़ेगा देश का आम नागरिक, 180 रूट पर मिलेंगे सस्ते हवाई टिकट
भरपाई वायेबिलिटी गैप फंडिंग के जरिये
दिल्ली के विज्ञान भवन में गत सप्ताह सभी संबद्ध पक्षों के साथ दूसरे चरण के बारे में लंबी चर्चा हुई थी। बंद दरवाजे के पीछे हुई इस बैठक के बारे में मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट, सिविल एविएशन जयंत सिन्हा ने यूनीवार्ता से बातचीत करते हुए बताया कि वृहद चर्चा हुई और हमने तय किया कि तीन महीने के अंदर ही हम दूसरे चरण को भी पूरा कर दें। अप्रैल के अंत तक बोली प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। काउंटर बिडिंग, वित्तीय बोली प्रक्रिया और तकनीकी विश्लेषण का काम मई-जून के दौरान पूरा करते हुये जुलाई के अंत तक नये RCS मार्गों का आवंटन कर दिया जायेगा। योजना के तहत ऐसे मार्गों को शामिल किया जाता है जिनमें कम से कम एक हवाईअड्डे पर मौजूदा समय में सप्ताह में सात से कम उड़ानों का परिचालन हो रहा है। आवंटन पाने वाले एयरलाइंस को इन मार्गों पर सप्ताह में कम से कम 7 उड़ानों का परिचालन करना होगा। इन पर 50 प्रतिशत सीटें योजना के तहत आरक्षित होंगी, जिन पर होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार वायेबिलिटी गैप फंडिंग के तहत प्रति सीट क्षतिपूर्ति राशि देगी। अन्य 50 प्रतिशत सीटों के लिए बाजार कारकों के अनुसार किराया तय करने का अधिकार एयरलाइंसों को दिया गया है। आवंटित मार्गों पर एयरलाइंस विशेष को तीन साल का एकाधिकार दिया गया है।
छोटे शहरों को दिल्ली और मुंबई से जोड़े जाने
श्री सिन्हा ने बताया कि विज्ञान भवन में हुई बैठक में सभी राज्यों, एयरलाइंसों और हवाईअड्डा परिचालन कंपनियों के प्रतिनिधियों के अलावा वायु सेना के अधिकारी और नागर विमानन महानिदेशक भी शामिल हुये थे। उन्होंने कहा, “हमें सभी संबद्ध पक्षों से फीडबैक लेना था कि किस तरीके से दूसरा चरण आरंभ करें।” ‘उड़ान’ के तहत छोटे शहरों को दिल्ली और मुंबई से जोड़े जाने की दिशा में स्लॉट की उपलब्धता की समस्या के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार दोनों एयरपोर्ट्स पर इस समस्या के निदान पर काम कर रही है। दोनों जगह परिस्थितियाँ बिल्कुल अलग हैं।
मुंबई में एक और एयरपोर्ट!
श्री सिन्हा ने कहा कि मुंबई एयरपोर्ट पर वास्तविक चुनौती है। वहाँ एक ही रनवे है। उसकी पूरी क्षमता लग गई है, अब वहाँ उड़ानों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है। मुंबई में एक और एयरपोर्ट बनाना ही समाधान है। उन्होंने कहा कि विमान सेवा कंपनियाँ उड़ान की संख्या बढ़ाने के बदले वहाँ बड़े विमानों का यूज़ करके सीटों की संख्या बढ़ा रही हैं।
विस्तार के लिए वायु सेना से बात : सुरक्षा को पूरी प्राथमिकता
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली में तीन रनवे हैं, लेकिन यहाँ समस्या नागरिक हवाई क्षेत्र की उपलब्धता की है। यहाँ ज्यादातर हवाई क्षेत्र वायु सेना के लिए आरक्षित है। उन्होंने कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट पर इस समय सालाना 6 करोड़ यात्रियों की आवाजाही होती है, जिसके कुछ साल में बढ़कर 10 करोड़ के पार पहुँचने की संभावना है। इसके मद्देनजर हम नागरिक हवाई क्षेत्र के विस्तार के लिए लगातार वायु सेना से बात कर रहे हैं, लेकिन कोई भी फैसला लेने से पहले सुरक्षा को जरूर ध्यान में रखा जायेगा।