भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के पद की शपथ लेने के बाद वेंकैया नायडू भारत के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर आसीन हो जाएंगे, जिसके बाद वे दलगत परिधि से परे अखंड लोकतंत्र के प्रति समर्पित हो जाएंगे। वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति पद-आरोहण को भारतीय लोकतंत्र की सार्थकता के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि वे किसान पृष्ठभूमि से उदित होकर द्वितीय सर्वोच्च पद पर दैदीप्यमान होने का गौरव करेंगे। आइये बिंदुवार जानते हैं – दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद “उपराष्ट्रपति” का संवैधानिक सार्वजनिक जीवन कैसा होता है?
संविधान में उपराष्ट्रपति का महत्व
उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। राष्ट्रपति के निधन या उनके पद से हटने पर उपराष्ट्रपति प्रभारी राष्ट्रपति बना दिए जाते हैं, क्योंकि राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद को खाली नहीं रखा जा सकता है। उपराष्ट्रपति प्रभारी राष्ट्रपति के पद पर अधिकतम 6 महीने तक रह सकते हैं, इस के बाद पुनःनिर्वाचन होकर राष्ट्रपति आसीन होते हैं।
कार्यकाल, रिटायरमेंट तथा वेतन
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन 5 साल के लिए होता है। इस पद से रिटायरमेंट के लिए कोई तय आयुसीमा नहीं है। एक व्यक्ति कितनी भी बार उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकता है। उपराष्ट्रपति को हर महीने 1,25,000 रु. वेतन के रूप में दिए जाते हैं।
उपराष्ट्रपति, इस पद से इस तरह हट सकते हैं
उपराष्ट्रपति कार्यकाल पूरा होने से पहले दो ही तरीकों से पद से हटाए जा सकते हैं :- 1) वे खुद ही पद से इस्तीफा दे दें। 2) उन्हें उनके पद से राष्ट्रपति हटा सकते हैं, वह भी तब, जब राज्यसभा के ज्यादातर सांसद उनके विरुद्ध मतदान करें और लोकसभा से सांसद बहुमत में इस फैसले का समर्थन करें। इन दोनों तरीकों के अलावा उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का कोई औपचारिक तरीका नहीं है। उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14 दिनों का एडवांस नोटिस देना अनिवार्य है। उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर राज्यसभा का उपसभापति राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाता है।
राष्ट्रपति की तरह नहीं मिलता अलग आवास
राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति को अलग से आवास नहीं दिया जाता है, जब कि राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति भवन में रहते हैं।
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