INTERVIEW : गीतकार-पटकथा लेखक पुनीत शर्मा
मुंबई आकर तैयारी न करें, तैयार होकर आएं युवा
पुनीत शर्मा
गीतकार-पटकथा लेखक
मायानगरी मुंबई में अपना मुकाम बनाना आसान नहीं। इंदौर से मुंबई गये गीतकार-पटकथा लेखक पुनीत शर्मा की कहानी कम समय में बड़ी सफलता की कहानी है। औरंगजेब, रिवॉल्वर रानी और जो भी कारवाल्हो जैसी बड़े बैनर की फिल्मों के लिये गीत लिख चुके पुनीत के पास इस पेशे में आने वाले युवाओं के लिए कुछ सलाह भी है।
अपने जन्म, शिक्षा-दीक्षा के बारे में कुछ बताइये?
मेरी पैदाइश सन् 1987 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुई। वहां मालवा मिल इलाके में मेरा घर है। पढ़ाई-लिखाई वहीं हुई और मुंबई जाने के पहले तक रहना भी वहीं हुआ।
लिखने का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ?
यह किस्सा रोचक है। दरअसल बचपन में मैं अपने बड़े भाई ’ताऊ के बेटे’ की कविताएं चुराकर ले जाता और स्कूल में अपने दोस्तों के बीच अपनी कहकर इंप्रेशन जमाता। इससे मिलने वाली तारीफ से मेरा हौसला बढ़ता गया और मैं मोहल्ले में भी भइया की कविताएं सुनाकर कवि बनने लगा। एक दिन चोरी पकड़ी गई। उस दिन हुई बेइज्जती से पार पाने और प्रायश्चित करने के लिए मैंने कविताएं लिखनी शुरू कर दीं।
फिल्मों में आने का फैसला कब और कैसे लिया?
मैं तीन साल पहले मुंबई आया लेकिन मुझे लगता है कि कुछ देर कर दी। ग्रेजुएशन के तुरंत बाद यहां आ जाना था लेकिन कुछ वित्तीय स्थिति इजाजत नहीं देती थी। इसलिए तीन साल तक माई एफएम में स्क्रिप्ट राइटर की नौकरी कर कुछ पैसे जमा किए और फिर एक दिन सबकुछ छोड़ छाड़कर मुंबई चला आया।
मुंबई में कोई परिचय था पहले से?
नहीं कोई परिचय तो नहीं था लेकिन हां गुलाल और गैंग्स ऑफ वासेपुर फेम पीयूष मिश्रा से एक दो बार बातचीत हुई थी एक दोस्त के जरिए। उन्होंने मुझसे कहा कि आ जाओ। उन्होंने यह भी कहा कि पुनीत मैं किसी तरह की गारंटी तो नहीं लेता लेकिन एक बात तुमसे कहता हूं अगर तुममें टैलेंट होगा तो एक साल के भीतर तुमको काम मिल जाएगा। हुआ भी ऐसा ही।
तो पहला ब्रेक और पहली कमाई कैसे हुई?
गीतकार के रूप में पहली कमाई तो स्वरात्मा नामक बैंड के लिए गीत लिखकर हुई। फिल्मों के लिए तो मैंने बहुत बाद में लिखना शुरू किया। पहला ब्रेक मछली जल की रानी है फिल्म के रूप में मिला जिसके लिए दो गीत लिखे।
अब तक के अपने फिल्मी सफर के बारे में कुछ बताएं।
रिवॉल्वर रानी, औरंगजेब, जो भी कारवाल्हो, क्रेजी कुक्कड़ फैमिली आदि फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं। रिवॉल्वर रानी के लिए तमाम संवाद लिखे जिनमें से कुछ फिल्म में लिए भी गए। जिमी शेरगिल और श्रेया सरन स्टारर वाल्मीकि की बंदूक फिल्म के एडिशनल स्क्रीनप्ले, डॉयलाग और गीत लिखे हैं। इन दिनों पटकथा पर ध्यान है इसलिए गाने कम लिख रहा हूं।
मुंबई में किस तरह के समझौते करने पड़ते हैं।
अगर आप प्रतिभाशाली हैं तो समझौते के मौके आते हैं। आप करें या न करें यह आप पर निर्भर करता है। मसलन बड़े लेखक कुछ पैसे देकर आपसे चीजें लिखवाते हैं और अपने नाम से बेच देते हैं। कई बार आपको पैसे की मजबूरी में ऐसी चीजें लिखनी पड़ती हैं जो शायद आप बाद में खुद ही सुनना न चाहें। मैंने भी ऐसे गीत लिखे हैं।
फिल्मी दुनिया युवाओं को बहुत लुभाती है। इस दुनिया से जुड़ने की चाह रखने वालों को कोई सलाह देंगे?
बिल्कुल। मैं उनसे यही कहूंगा कि अगर फिल्मी दुनिया में आना है तो पहले पूरी तैयारी कर लें उसके बाद आएं। यहां आकर तैयार होने से बेहतर है पहले पूरी तरह तैयार हो जाएं। भावुक होकर फिल्म इंडस्ट्री में न आएं। पहले पूरा होमवर्क करें। अपनी फाइनैंशियल पोजीशन मजबूत करें। मन में यह तय कर लें कि अब वापस नहीं आना है तभी सफलता मिलेगी। आधे अधूरे मन से आने वाले कम ही सफल होते हैं। वे केवल अपना समय और धन बर्बाद करेंगे।
आपने किस तरह की तैयारी की थी।
यह अच्छा सवाल किया आपने। इससे युवा साथियों को समझने में आसानी होगी। मैं गीतकार बनने आया था। तो मैंने पहले थिएटर के लिए गीत लिखे। पुराने फिल्मी गानों के म्यूजिक पर अपने बोल वाले नए गाने बनाता। ऐसा अभ्यास मैंने बहुत लंबे समय तक किया। इसका मुझे फायदा भी मिला। रिवॉल्वर रानी फिल्म का टाइटल गाने की आउटलाइनिंग मैंने एक घंटे में ही कर दी थी जो सिलेक्ट भी हो गई।