तो क्या बिहार के तर्ज पर यूपी में लागू हो पायेगा नीतीश का शराबबंदी फार्मूला
उत्तर प्रदेश का चुनावी दंगल लगातार रोमांचक होता जा रहा है। और अब ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगातार बैठको से सियासी गलियारों में हलचले और भी तेज हो गई हैं। यूपी में आगामी चुनाव को देखते हुये नीतीश कुमार अब तक कई बैठके भी कर चुके हैं। लेकिन अभी सियासी जमीन की तलाश के लिये उन्हे अभी तक कोई सहारा नही मिला है। लेकिन बसपा के बागी नेता आरके चौधरी का साथ शायद नीतीश कुमार को मिल सकता है। आरके चौधरी आगामी 26 जुलाई को अपनी पार्टी की एक बड़ी रैली करेगें। जिसके मुख्य अतिथि के रूप में नीतीश कुमार को बुलाया गया है। चुनाव की बढ़ती सरगर्मी को देखते हुये प्रदेश में नीतीश कुमार लगातार शराबबंदी का मुद्दा उठा रहे हैं। जिससे महिलायें इस बात से काफी खुश नजर आ रही हैं। लगातार उठ रहे इस मुद्दे से प्रदेश की राजनीति दिन ब दिन गरम होती जा रही है।
बसपा के बागी नेता के मंच से विरोधियों को ललकारेगें नीतीश
2017 का चुनाव इतना अहम हो गया है। कि यंहा पर सभी अपनी सियासी जमीन तलाशने में लग गये हैं। तो वंही इस कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी पार्टी की पंहुच यूपी में पंहुचाना चाहते हैं। तो ऐसे में उन्हे बसपा के बागी नेता आरके चौधरी का साथ मिल गया है। नीतीश कुमार अभी हाल ही में बिहार में हुये चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी। जिससे उनका मनोबल काफी ऊंचा हो गया है। तो ऐसे में राजनीति गलियारों में ये हलचले और भी तेज हो गई हैं। कि नीतीश कुमार इस चुनाव में मोदी के सामने मुश्किले खड़ी कर सकते हैं।
नीतीश की दोस्ती से बसपा और भाजपा के लिये बढ़ी चिंता
नीतीश कुमार बिहार के तर्ज पर यूपी में भी शराबमुक्त का सपना देख रहे हैं। और यही नही उन्होने संघमुक्त भारत के सपने में उन्होंने बसपा के बड़े बागी नेता को भी साथ ले लिया है। इसके लिये 26 जुलाई को नीतीश आरके चौधरी के साथ मंच साझा करेगें। आरके चौधरी बसपा के एक बड़े नेता के रूप में माने जाते थे। वह पार्टी में महासचिव के पद पर थे। और वह बसपा के फाउंडिंग मेंबर भी थे। 1981 से कांशीराम के साथ थे। चार बार विधायक रहे हैं. चार बार उन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया था. वह पासी कम्युनिटी से आते हैं. पासी समुदाय में अच्छी पकड़ रखने वाले आरके चौधरी करीब तीन साल पहले खत्म हो चुके संगठन बीएस-4 (बहुजन समाज स्वाभिमान संघर्ष समिति) को दोबारा ला रहे हैं। और मायावती के खिलाफ बिगुल फूकेंगे. नीतीश से उनकी दोस्ती बसपा और भाजपा दोनों के लिए चिंता की बात है।
नीतीश कुमार की नजर इन पर
नीतीश ने जब बिहार में शराबबंदी कानून बनाया तो वो भी लोगों को बताना नहीं भूले कि गांधी शराब को देश और समाज के पतन की वजह मानते थे. नीतीश की नजर महिलाओं और कुर्मी वोटरों पर हैं. उत्तर प्रदेश में कुर्मी, पटेल, शाक्य, राजभर, कुशवाहा और मौर्य लगभग एक सी जातियां हैं और ये पूरे प्रदेश में फैले हुए हैं. इन चुनाव में इन वोटरों के कई दावेदार हैं। हर पार्टी इन्हें लुभाने में लगी है।
यूपी में चुनाव के वक्त उठ सकता है शराबबंदी का मुद्दा, मोदी और अखिलेश के सामने खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें
यूपी की राजनीति दिन ब दिन अब दिलचस्प होती नजर आ रही है। नीतीश कुमार आगामी 26 जुलाई बसपा से बगावत किये नेता आरके चौधरी के मंच से दहाड़ेगें। तो वंही ऐसा माना जा रहा है कि यूपी में चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है तो वैसे वैसे नीतीश कुमार प्रदेश में शराबबंदी का मुद्दा जोरो से उठा रहे हैं। तो यह कहना भी ठीक नही कि इससे किसी को नुकसान होगा। बिहार चुनाव के वक्त कुछ छोटे मुद्दे इतने बड़े रंग ले लिये थे कि जिससे मोदी एंड बीजेपी कम्पनी को प्रदेश की बागडोर नहीं मिल पाई। तो वंही यूपी में लगातार शराबबंदी के उठ रहे मुद्दे प्रदेश की सियासी गलियारों में तूफान ला सकते हैं।
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