माया नगरी की माया और बोझ बनती खुद की ही काया
By Vaibhav Trivedi
मायानगरी मुंबई , कहते है ये शहर कभी नही सोता ,ऐसा कोई ख़्वाब नही जो यहाँ पूरा ना हो , असम्भव शब्द इस शहर के लिए नही । सडको पर चका चोंध रौशनी और सरपट दोड़ती कारे माल कल्चर एंव आधुनिक जीवन शेली और इन सबके बीच एक ऐसी दुनिया जो की पूरी तरह से मृग मरीचिका की भाँती चमक कर किसी स्वर्ग की अप्सरा की भाँती किसी को भी आकर्षित और मदहोश करने में देर नही करती ।
मुंबई की इसी जीवन शेली को जीने और यहाँ निवास कर रातो रात पूरी दुनिया पर छा कर करोड़ो दिल जीत लेने का स्वपन शायद ही ऐसी कोई आँख हो जिसने ना देखा हो और शायद अपने इन्ही ख्वाबो और हसरतो को पूरा करने मुंबई में प्रति दिन औसत 10,000 से अधिक युवा जोश इस माया नगरी में पहुंचता है लेकिन इतने बड़े आंकड़े में से अभिनय की इस शोहरत भरी दुनिया में सफलता मिलने का प्रतिशत सिर्फ 0.0000002 % है ऐसे में यहाँ आने वाले युवाओं में से लगभग 60% युवा अपने जीवन को जाने अनजाने में बर्बाद कर बैठते है और कुछ किस्मत ही यहाँ से सकुशल उस स्थिति में वापिस लोट पाते है जिस स्तिथि में वो मुंबई आये थे ।
यंहा सफलता मिलने का कोई मापदंड कोई मानक कोई योग्यता कोई तरीका कोई विद्वान आज तक निर्धारित नही कर पाया है यहाँ कोन सफल होगा और कोन असफल , क्या हिट होगा और क्या फ्लाप इसका निर्धारण ना कभी कोई कर सका है और ना ही कभी किया जा सकेगा । माया नगरी की माया ही ऐसी है की यहाँ अपने अपने जमाने के मशहूर अभिनेताओं तक को अपने पुत्र पुत्रियो को इस मायाजगत में स्थापित करने में नाकामी हासिल हुई है चाहे वे विनोद खन्ना हो या जितेन्द्र या ही मेन धर्मेन्द्र या सुपर स्टार अमिताभ बच्चन वन्ही दूसरी और दिल्ली से आया एक 16 साल का लड़का जो अपनी प्रेयसी को ढूंढते हुए मुंबई आता है और खर्च चलाने के लिए टीवी की दुनिया का रुख करता है वो आज लाखो दिलो पर राज करता है आज दुनिया उसे शाहरुख़ खान के नाम से पहचानती है ।
कहते है की हर सिक्के के हमेशा दो पहलू होते है लेकिन एक बार में सिर्फ एक ही पहलू को देखा जा सकता है अक्सर किसी भी चीज का अँधेरा पहलू अँधेरे में ही रहता है और हमारी आँखे उसे देख नही पाती अभिनय जगत की इसी शोहरत दोलत और दुनिया के साथ ही चलती है अपराध , गुनाह और अकेलेपन और गुमनामी की दुनिया इस दुनिया में और उस दुनिया के बीच एक महीन सा अंतर होता है और जरा सी असावधानी से इंसान कब गुनाह , अपराध एंव युवा जोश के बीच वे सब गलतिया कर बेठता है जिसके बाद उसकी वापसी उसके लिए असम्भव हो जाती है और वो चाह कर भी वापसी नही कर पाता ।
अक्सर सफल होते सितारों की शोहरत और दोलत और लोकप्रियता जिस रफ्तार से बडती है एक समय बाद ये उससे दुगनी रफ्तार से नीचे आने लगती है और सितारे के आवरण में छुपा आम इंसान उस शोहरत दोलत का इतना आदि हो जाता है की वो ये सब बर्दाश्त नही कर पाता और कई बार इसका अंजाम मानसिक संतुलन खोने तक देखा गया है अक्सर देखने में आता है की फला अभिनेता या अभिनेत्री नशे की गिरफ्त में पाए गये या कोई अपने घर में मृत मिला ।
कहते है माया नगरी में चड़ते सूरज को लोग जितनी शिद्दत से प्रणाम करते है शाम को उसी सूरज को उतनी ही हिकारत से ठोकर भी मारते है
मशहूर फिल्म अभिनेत्री परवीन बाबी , फिल्म स्टार राजेश खन्ना , अभिनेत्री दिव्या भारती , मनीषा कोइराला आदि इस के उदाहरण है
जहा परवीन बाबी की मोत का पता मोत के 4 दिनों बाद चल सका था उन्हें पड़ोसियों द्वारा बदबू की शिकायत पर पुलिस ने दरवाजा तोडकर अपने फ्लेट में मृत पाया था वन्ही राजेश खन्ना भी अपनी अभिनय की सफल पारी के बाद लम्बे समय तक अवसाद और तनाव में रहे ।
और हालिया में छोटे पर्दे की मशहूर अदाकारा जिसने घर घर में अपनी एक पहचान और लगभग हर निम्न और मध्यम वर्गीय परिवार से रिश्ता बालिका वधु धारावाहिक के माध्यम से स्थापित कीया वो आनन्दी प्रत्यूषा बनर्जी 25 साल की उम्र में अपने घर में फांसी के फंदे से लटकती पायी गयी हालांकि प्रत्यूषा की मोत खुदखुशी है या हत्या इस पर सस्पेंस अभी हाल फिलहाल बरकरार है ।
प्रत्युषा का जन्म जमशेदपुर में 1991 में हुआ था और बालिका वधु में बड़ी होती आनन्दी का किरदार निभाने के लिए उन्हें हजारो प्रतिभागियों के बीच से चुना गया था जिस पर उन्होंने अपने अभिनय से उस पात्र के साथ न्याय कर अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया इसके अतिरिक्त सुसराल सिमर का , सावधान इंडिया , बिगबोस एंव खतरों के खिलाड़ी में भी प्रत्यूषा से रूबरू होने का मोका दर्शको को मिला और प्रत्यूषा को छोटे पर्दे का एक सफल कलाकार माने जाने लगा.
लेकिन पिछले कुछ समय से अपने बॉय फ्रेंड के साथ कभी अलगाव तो कभी जुड़ाव की खबरो के चलते भी वे सुर्खियों में रही ऐसे में जब आज उनकी मोत की खबर आई तो उनके परिवार के सदस्यों , दोस्तों , साथी कलाकारों सहित इस देश का लगभग हर घर हतप्रभ अचम्भित और दुखी था मानो की बालिका वधु में हर कुरीति और अन्याय के खिलाफ मुखरता से आवाज उठाने वाली यह नायिका अपने निजी जीवन में यह अंजाम भोगेगी इसका किसी को विशवास नही हो पा रहा एक नायिका के चरित्र को बखूबी निभाती निभाती प्रत्युषा कब अपने निजी जीवन में इतनी एकाकी और तनाव एंव अवसाद में जाती गयी की किसी को कोई अंदाजा ही नही लग पाया यहाँ प्रत्यूषा की मोत चाहे जेसे भी हुई है पर प्रत्यूषा के दोषी समस्त समाज है सूत्र बताते है की एक दुःख भरा स्टैट्स उसने पिछले कई समय से लगाया हुआ था इस मार्मिक स्टेट्स को पड़ने के बावजूद क्या जिम्मेदार समाज से या प्रत्युषा को अपने किसी अपने में कोई ऐसा नही मिला जिससे वो अपने हालात कह सके दुःख बाँट सके या कोई ऐसा जो खुद पहल कर प्रत्यूषा के एकाकी और तनाव में रहने के कारण जानकर उसकी मदद की पहल कर सके आज भले ही हम चाँद मंगल पर पहुंच चुके है लेकिन हमने अपने मुल्य और जमीन खो दी है आज ऑनलाइन हमारे हजारो मित्र है लेकिन असल धरातल पर एक आवाज पर 5 लोग भी खड़े कर पाने में पसीना निकलता है यह सब है आत्म हित सर्वोपर्री रखने एंव स्वयम्भू मानसिकता के चलते ऐसे में प्रत्युषा की मोत के जिम्मेदारो की जब भी इंसानियत के कानून के तहत पेशी होगी इसमें आपका और मेरा नाम भी कटघरे में ही आएगा ।
|