यूपी: यूपी के चुनाव में ये हैं नये चेहरे, जो राजनीति गलियारो में मचा सकते हैं घमासान
By Satish Tripathi
राज्य ही नही केन्द्र की सत्ता के लिये देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश का चुनाव काफी अहम माना जाता है। कहा जाता है कि केन्द्र का रास्ता यही से होकर गुजरता है। और यह हो भी क्यो न। क्योकि केन्द्र में मौजूदा सरकार में 73 सांसद यूपी से ही हैं। तो अब आप इस बात से अनुमान तो लगा लिये होगें कि राजनीति में यूपी का चुनाव कितना अहम है। फिलहाल उत्तरप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को भी केवल 8 महीने का समय ही बचा है। तो ऐसे में सभी पार्टी के कार्यकर्ता अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की तैयारियो को लेकर जुट गये हैं। तो आज हम आपको यूपी के चुनावी कड़ी में ऐसे चेहरो से आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं। जो आने वाले वक्त में हम सभी को ही नही राजनीति गलियारो में सबको चौंका देगें।
चुनावी कड़ी की इस खास पेशकश में हम आपको ऐसे चेहरो से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो पर्दे पर एक नायक और पर्दे के पीछे कलाकार के रूप में अपना किरदार पेश करते हैं। और यही नही अपने अपने क्षेत्र में अपनी पार्टी और अपनी छवि को लेकर एक अलग पहचान हैं। कहते हैं न युवा हमेशा अपनी नई सोच और बदलते नये आयाम से एक इबादत लिखता है।
अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी)
अखिलेश यादव प्रदेश के उस युवा चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। जिसने सबसे कम उम्र में प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने नाम की। और यही नही चुनाव में नई तकनीकी से सत्ता का रास्ता भी खुद तय किया। इस युवा नेता ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए हुए चुनावों में समाजवादी पार्टी को एक नई सोच के साथ जीत दिलाने में अहम योगदान दिया। समाजवादी पाटी के युवा नेता, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और अब यूपी के सबसे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन चुनावों में एक छुपेरुस्तम की तरह अपनी पार्टी को सत्ता का दावेदार बना दिया। अखिलेश यादव यूपी की राजनीति में धूमकेतु की तरह उभरे हैं जिसकी चमक के आगे सभी नेताओं की चमक फीकी पड़ गयी है| 1 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्में अखिलेश यादव अपने विनम्र स्वभाव के लिए पहचाने जाते हैं। इस युवा नेता ने यूपी के इतिहास में एक ऐसा अध्याय जोड़ दिया है जिसे कभी भुला नहीं जा सकेगा। शायद यही वजह है कि इस युवा चहरे को यूपी की सत्ता का नेतृत्व करने का मौका मिला है। जिसके पास सपने हैं, विश्वास है और उन सपनो को पूरा करने का जज्बा है
डिम्पल यादव (समाजवादी पार्टी)
डिम्पल यादव अखिलेश यादव की पत्नी हैं। डिम्पल ने महिलाओ की सुरक्षा और महिलाओ की स्वास्थ्य सम्बंधित को लेकर बहुत सारे काम किये। डिम्पल यादव यूपी के कन्नौज क्षेत्र से सांसद हैं। कन्नौज क्षेत्र इत्र के लिये देश ही नही विदेशो में भी काफी प्रसिद्ध है। फिलहाल डिम्पल यादव कम उम्र में राजनीति गलियारो में विकास को लेकर काफी सुर्खिया बटोरी हैं।
अपर्णा यादव (समाजवादी पार्टी)
लखनऊ की कैंट सीट से प्रत्याशी घोषित की गईं अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. अपर्णा यादव का जुड़ाव सामाजिक कार्यों से रहा है. वह महिला सशक्तिकरण के लिए मुहिम चलाती रहीं हैं. इसके साथ ही वह राजनीतिक मुद्दों पर भी बेबाक राय रखने के लिये जानी जाती हैं. राजनीति में कदम रखने की इच्छा के चलते ही अपर्णा को प्रत्याशी बनाया गया है।
तेज प्रताप यादव (समाजवादी पार्टी)
तेजप्रताप यादव सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पोते हैं. और वह मैनपुरी से सांसद भी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों जगहों से जीते. इसके बाद उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट मैनपुरी खाली कर दी थी. इस सीट पर उन्होंने अपने पोते तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़ाया. तेजप्रताप ने भी अपने दादा को निराश नहीं किया और बंपर वोटों से चुनाव में जीत हासिल की. साथ ही राजनीति में धमाकेदार एंट्री की. इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में एमएससी करके लौटे तेजप्रताप सिंह सक्रिय राजनीति में उतरने वाले मुलायम सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
अक्षय यादव (समाजवादी पार्टी)
अक्षय यादव मौजूदा समय में फिरोजाबाद से सपा सांसद हैं। अक्षय यादव भी पहली बार चुनाव जीतकर सक्रिय राजनीति में उतरे हैं। यह सीट यादव परिवार की पारंपरिक संसदीय सीट रही है। जब अखिलेश यादव ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा था, उस समय फिरोजाबाद के चुनाव प्रबंधन की कमान अक्षय यादव ने संभाली थी। इसके बाद अखिलेश ने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया। भाभी डिंपल का चुनाव प्रबंधन भी अक्षय ने संभाला था, लेकिन कांग्रेस नेता राज बब्बर ने डिंपल को हरा दिया था
धर्मेंद्र यादव (समाजवादी पार्टी)
2004 में मुख्ययमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव के समय धर्मेन्द्र ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उस वक्त उन्होंने 14वीं लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाया। और यही नही धर्मेन्द्र यादव अपने क्षेत्र के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र में भी काफी सक्रिय रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि चुनाव के वक्त धर्मेन्द्र यादव खुद आसपास के क्षेत्र में खुद सक्रिय रहते हैं।
प्रियंका गांधी (कांग्रेस)
प्रियंका गांधी पिछले दो दशक से खुद राजनीति में काफी सक्रिय रहती है। वह चुनाव औऱ चुनाव के बाद भी रायबरेली और अमेठी का दौरा करती है। और वंहा पर जाकर वंहा की समस्या को को भी समझती हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग है इस बार की प्रियंका गांधी इन दो तीन जिलो से निकलकर पूरे प्रदेश की चुनाव की कमान खुद अपने हाथ में लें। इसके लिये खुद कांग्रेस पार्टी के प्रभारी गुलाम नबी आज़ाद ने प्रियंका गांधी से दिल्ली में मुलाकात कर उनसे यूपी चुनाव में प्रचार का ज़िम्मा संभालने का आग्रह किया है। तो अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कांग्रेस पीके औऱ प्रियंका गांधी के भरोसे यूपी में कितना सफल होती है। फिलहाल प्रियंका गांधी चुनाव को लेकर कई बार यूपी का दौरा भी कर चुकी हैं। बता दें प्रियंका गांधी पिछले चुनावों में भी कांग्रेस की स्टार प्रचारक रही हैं. लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गाँधी के लिए अमेठी और रायबरेली में ही प्रचार किया था.
वरूण गांधी (बीजेपी)
वरूण गांधी बीजेपी का युवा चेहरा माना जाता है। वरुण गांधी को लेकर प्रदेश में दर्जनो बार पोस्टर वार हो चुका है। जिसमें मांग है कि वरुण गांधी को बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के नाम की घोणषा की जाए। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता इस बात से सहमत नही हैं। ध्रुवीकरण में माहिर वरुण गांधी इस समय सुल्तानपुर से सांसद हैं। इससे पहले गांधी 2009 में पीलीभीत से सांसद चुने गए थे। 2009 में ही मुस्लिम विरोधी बयान देकर वरुण दक्ष्णपंथियों के लिए हीरो बन गए थे। 33 साल की उम्र में ही बीजेपी के महासचिव बनने वाले वरुण को2014 में इस पद से हटा दिया गया। हालांकि वंही अभी हाल ही में राजनीति गलियारो में ये कयास लगाये जा रहे थे कि वरुण गांधी औऱ उनकी मां मेनका गांधी कांग्रेस में शामिल होने वाली है। लेकिन फिलहाल यह खबर हवा हवाई ही बनकर रह गई।
योगी आदित्यनाथ (बीजेपी)
गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ। योगी पहली बार 1998 में 26 साल की उम्र में गोरखपुर से सांसद बने और तब से लगातार पांचवी बार सांसद हैं। योगी बीजेपी के लिए हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं और खास बात है कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार का भी कोई मामला दर्ज नहीं है। दक्षिणपंथी सोच और आक्रामक बयानों के कारण ध्रुवीकरण करने में माहिर माने जाते हैं। राजपूत होने के कारण जहां बीजेपी को सवर्णों का साथ मिल सकता है तो वहीं दूसरी तरफ ध्रुवीकरण के जरिए आखिरी वक्त पक ओबीसी वोट को अपनी तरफ खींच सकते हैं। हालांकि वंही सूत्रो की माने तो ऐसा माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के नाम को लेकर बीजेपी की तरफ से यूपी के मुख्यमंत्री नाम की घोषणा की सहमति हो चुकी है। योगी आदित्यनाथ बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के सीएम उम्मीदवार के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।
महेश शर्मा (बीजेपी)
महेश शर्मा केन्द्र में केंद्रीय संस्कृति मंत्री और नोएडा से सांसद है। तेजी से उभरते राजनीतिक में आरएसएस के करीबी माने जाने वाले और हिंदूत्ववादी छवि के नेता शर्मा कभी भी इस दौर में सबसे आगे आ सकते हैं। माना जा रहा है कि महेश शर्मा यूपी में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के नामो की रेस में भी हैं। यूपी सीएम की दावेदारी को लेकर 12-13 जून को इलाहाबाद में होने वाली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी यह मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया गया था। लेकिन फिलहाल चुनाव को देखते हुये महेश शर्मा पिछले दो साल में यूपी की राजनीति में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
जयन्त चौधरी (रालोद)
जयन्त चौधरी का जन्म 27 दिसम्बर 1978 को हुआ था। जयंत फिलहाल राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के राष्ट्रीय महासचिव हैं। अमेरिका में जन्मे जयंत चौधरी रालोद के अध्यक्ष अजित सिंह के बेटे और चौधरी चरण सिंह के पौत्र हैं। जयंत चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले नेताओं में शामिल हैं। आने वाले समय में जयंत देश की किसान राजनीति का भी युवा चेहरा बन सकते हैं। लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स से स्नातक जयंत को उत्तर प्रदेश की राजनीति के संभावनाशील राजनेता के तौर पर देखा जाता है। 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीते जयंत चौधरी 16 वीं लोकसभा में मथुरा से चुनाव हार गए थे। हालांकि पूरे उत्तर प्रदेश के हिसाब से रालोद का वोट प्रतिशत कम रहता हो लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को मजबूत माना जाता है।