तो क्या यूपी में कांग्रेस प्रियंका गांधी और बीजेपी स्मृति ईरानी के भरोसे पार करेगी नैया
By Satish Tripathi
उत्तरप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2017 को देखते हुये सरगर्मीयां तेज हो गई है। सभी पार्टीयां यूथ को खासकर फोसक कर रहीं हैं। तो ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने अभी से अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। जिसको लेकर अभी हाल ही में हुये मोदी के कैबिनेट में फेरबदल हुआ। जिसमें यूपी में आगामी चुनाव को देखते हुये काफी तरजीह दी गई है। यूपी के ऐसे तीन चेहरों को शामिल किया गया है। तो वंही दूसरी तरफ यूपी के चुनाव रणनीति को देखते हुये बीजेपी ने बड़ा कदम उठाया। जिसमें स्मृति ईरानी का शिक्षा मंत्रालय का पद छीनकर उन्हे कपड़ा मंत्रालय का पद दे दिया गया। जिसको लेकर राजनेताओ के पेट ये बात नही हजम हुई। कि आखिर बीजेपी ने इतने फायर ब्राण्ड और तेज तर्रार वाली छवि स्मृति ईरानी से उनका पद क्यो घटाया गया आखिर यह साबित क्या करता है। उत्तर प्रदेश की राजनीति गलियारो में ये कयास लगये जा रहे हैं। स्मृति ईरानी का पद इसलिये घटाया क्योकि यूपी की चुनावी कमान स्मृति ईरानी को सौपी जानी है। हालांकि अभी तक बीजेपी की तरफ से कोई अधिकारिक पुष्टि नही की गई है। लेकिन राजनीति गलियारों में ये कयास जरूर लगाये जा रहे हैं। कि मानव संधासन विकास मंत्रालय से हटाकर उन्हें कपड़ा मंत्रालय भेजे जाने के पीछे क्या आखिर राज क्या है?
स्मृति ईरानी को यूपी में चुनाव कि मिल सकती है जिम्मेदारी, इसलिये बदला गया विभाग
देश की राजनीति सियासत में डियर से लेकर आंटी नेशनल तक खबरो में रहने वाली स्मृति ईरानी का अपना अलग ही अंदाज रहा। लेकिन अभी हाल ही में मोदी के कैबिनेट में हुये फेरबदल में स्मृति ईरानी से मानव संधासन विकास मंत्रालय से हटाकर उन्हें कपड़ा मंत्रालय भेजे जाने के पीछे के राज से यह तो तंय हो गया कि बीजेपी उत्तर प्रदेश की बागडोर इनके हाथ में जरूर थमा सकती है। तो ऐसे में क्या मानना संही है कि प्रियंका गांधी और स्मृति ईरानी के बीच टक्कर जबरदस्त हो सकती है। क्योकि लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने अमेठी जाकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को किस तरह घेरा था। तो वंही इस बात को देखकर प्रियंका गांधी अपने भाई के चुनाव प्रचार के लिये खुद जिम्मेदारी अपने कंधो पर उठा ली थी।
कांग्रेस में प्रियंका गांधी के नाम को लेकर हो रही मंथन
खैर देश का सबसे बड़ा प्रदेश जंहा से देश के केन्द्र की सत्ता का रास्ता गुजरता है। तो राजनीति के मायने से उत्तर प्रदेश का चुनाव काफी अहम माना जा रहा है। जिस पर सभी राजनीति पार्टीयों की निगाहें टिकी हैं। ऐसे में कांग्रेस ने प्रदेश के हालात और चुनाव का जायजा लेने के लिये प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी सौपीं है। जिसमें प्रशांत किशोर राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ये रिपोर्ट सौंप चुके हैं। कि यूपी में चुनाव प्रचार के लिये किसी यूथ चेहरे को कांग्रेस की तरफ से सामने लाया जाए। फिलहाल अगर सूत्रो की बात करें तो कांग्रेस ने यूपी में चुनाव प्रचार की कमान संभालने के लिये प्रियंका गांधी का नाम सामने लाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यह मानते हैं कि प्रियंका पिछले दो दशक से राजनीति में काफी सक्रिय हैं। और वह पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होने कई प्रदेश के चुनाव प्रचार की कमान खुद अपने हाथ में ली थी। तो ऐसे में अगर पूरे प्रदेश का चुनावी प्रचार एक यूथ के कंधे पर जिम्मेदारी दी जाती है। तो राजनीति कौन सी मोड़ लेगी। हालांकि यह तो फिलहाल वक्त ही बतायेगा कि 2017 विधानसभा चुनाव कौन सा रंग देता है।
प्रियंका गांधी को मिल सकता है फायदा, कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाकर की थी मांग
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो यूपी में प्रियंका गांधी को चेहरा बनाए जाने से कांग्रेस को फायदा होगा। आपको ध्यान होगा की 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने मोदी के 56 इंच सीने वाले पॉपुलर बयान पर करारा हमला बोला था। हालांकि वंही कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने भी प्रियंका गांधी के रायबरेली और अमेठी से बाहर भी चुनाव प्रचार करने के संकेत दिये हैं। लेकिन कार्यकर्ता उन्हें हर हाल में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय तौर पर देखना चाहते हैं। इसके लिए कई बार उन्होंने पोस्टर लगाकर आलाकमान के सामने अपनी डिमांड रखी है। अगर सूत्रों की मानें तो पार्टी रणनीतिकार इस बात पर विचार कर रहे हैं कि प्रियंका की पॉलिटिकल एंट्री बहुत शानदार हो, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर उसका सन्देश दिया जा सके।
यूपी चुनाव ने गांधी परिवार को दिये हैं बहुत दर्द
राजनीति गलियारो में ये माना जा रहा है कि प्रियंका का पूरे यूपी में चुनाव प्रचार करना अब लगभग तय है। तो अब फैसला सिर्फ ये होना है कि वो कहां कहां और कितना प्रचार करेगीं। यूपी के विधानसभा चुनावों ने गांधी परिवार को बहुत दर्द दिए हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने रात दिन एक करके 200 से ज्यादा सभाएं की। और कांग्रेस के पिछले कई दशको में किये गये विकास कार्यों के बारे में जमकर तारीफ की। तो वंही 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के अनुभव के बारे में भी बुरा नही कहा जा सकता क्योकि उन्होंने अमेठी और रायबरेली में पार्टी का चुनाव प्रचार किया था। जो कि वह सीट इस समय पार्टी झोली में है। लेकिन 2017 के यूपी चुनाव की बात ही कुछ और है. इसे 2019 के पहले का सेमीफाइनल कहा जा रहा है लेकिन कुछ भी हो यूपी का चुनाव 2017 काफी रोमांचक रहेगा।
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